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दुर्घटनाएं रोकने के लिए आवारा पशुओं के गले में सरकार लगाएगी रिफ्लेक्टिव रेडियम पट्टी

प्रदेश की गहलोत सरकार आवारा पशुओं से होने वाले एक्सीडेंट को रोकने में लिए उनके गले में रिफ्लेक्टिव रेडियम पट्टी (Reflective Collars for Stray cattle) लगाएगी. इससे वाहन चालकों को सड़क पर पशु आसानी से स्पॉट हो सकेंगे और दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी. इसके साथ ही नन्दीशालाओं को खोलने के नियमों में भी शिथिलता दी जाएगी. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन प्रस्तावों पर सहमति बनी.

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Published : Jul 13, 2022, 11:20 PM IST

Reflective Collars for Stray cattle in Rajasthan to prevent road accidents
दुर्घटनाओं से बचाने के लिए अब आवारा पशुओं के गले में सरकार लगाएगी रिफ्लेक्टिव रेडियम पट्टी

जयपुर. सड़क पर आवारा घूमने वाले पशुओं की वजह से आए दिन सड़क हादसे होते हैं. इन सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार अब नया प्रयोग करने जा रही है. सरकार सड़क पर घूमने वाले पशुओं के गले में रिफ्लेक्टिव रेडियम पट्टी (Reflective Radium Collars for Stray cattle) लगाएगी. जिससे सड़क के बीच में बैठे जानवरों के बारे में वाहन चालकों को आसानी से पता लग जाए. इसके साथ ही सरकार की ओर से नंदी गौशाला खोलने के नियमों में भी बड़ी राहत देने की तैयारी की जा रही है.

राज्य के निराश्रित गोवंश की समस्या के निराकरण एवं राज्य सरकार की पंचायत समिति तथा ग्राम पंचायत स्तरीय नन्दीशालाओं एवं गौशालाओं की स्थापना की योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों और विभिन्न नवाचारों पर विचार करने के लिए मंत्रिमण्डलीय उपसमिति की बैठक बुधवार को स्वायत्त शासन मंत्री शान्ति धारीवाल की अध्यक्षता में बैठक (Meeting to discuss on Goshala in Rajasthan) हुई. बैठक में गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया, जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी मंत्री महेश जोशी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, गोपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन और गोपालन विभाग के निदेशक डॉ. लाल सिंह उपस्थित रहे.

पढ़ें: हादसाः आवारा पशु को बचाने के फेर में अनियंत्रित होकर पलटी गाड़ी, गुजरात के तीन लोगों की मौत

मंत्रिमण्डलीय उपसमिति ने इन बिन्दुओं पर की चर्चा: उपसमिति की बैठक में सभी जिला कलक्टरों को सिवायचक भूमि गौशालाओं के आवंटन के अधिकार देने के साथ ही चारागाह भूमि पर न्यायालय में लंबित प्रकरण में गौशालाओं का पक्ष मजबूती से रखने का निर्णय लिया गया. राज्य सरकार की नन्दीशाला/गौशाला योजनाओं को आरटीपीपी के नियमों से शिथिलता प्रदान करने और संस्थाओं को 2 प्रतिशत बिड सिक्यूरिटी और ढाई प्रतिशत प्रतिभूति राशि की शर्त को विलोपित करते हुए प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजने का निर्णय भी लिया गया.

उपसमिति में लिए गए एक और निर्णय के अनुसार अब पंचायत समिति स्तरीय नन्दीशालाओं के लिए भूमि की आवश्यकता 20 बीघा से घटाकर 10 बीघा कर दी गई है और ग्राम पंचायत स्तरीय गौशालाओं के लिए 5 बीघा की आवश्यकता तय की गई (Relaxation in rules for Nandishala) है. नन्दीशाला और गौशाला स्थापना की शर्तों में और शिथिलता देते हुए संस्थाओं के तीन वर्ष पुराने पंजीकरण एवं अनुभव की शर्त को शिथिल करते हुए संस्था का पंजीकृत होना मात्र की शर्त रखी गई है. साथ ही यदि भूमि चोकोर न हो तो उपलब्ध भूमि के आधार पर नक्शे पारित करने का निर्णय लिया गया. संस्थाओं को संस्था चयन की निविदा में ऑफलाइन प्रक्रिया और आवेदन के आधार पर भाग लेने की छूट भी प्रदान की गई.

पढ़ें: बीकानेर: सड़क पर घूमते आवारा पशु बन रहे हादसों का सबब, कागजों में ही सिमटे हैं नगर निगम के दावे

मंत्रिमण्डलीय उपसमिति की ओर से लिए गये अन्य निर्णय: अपाहिज और दृष्टिहीन गोवंश के भरण पोषण के लिए अनुदान 9 के स्थान पर 12 माह करने व ऐसे निजी संस्थानों को जो गोवंश और पशु पक्षियों को समर्पित है, उन्हे एकमुश्त सहायता के लिए निर्माण कार्य, आवश्यक उपकरण एवं औषधि प्रदान करने का निर्णय लिया गया. गत सरकार के समय घोषित जिला स्तरीय नन्दीशालाओं की योजना को 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए करने की सहमति प्रदान की गई. इसके अतिरिक्त इन महत्वाकांक्षी गोसेवा की योजनाओं में अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था के लिए कई नवाचारों के प्रस्तावों को स्वीकृति देते हुए उन्हें वित्त विभाग को भेजने का निर्णय लिया गया.

पढ़ें: झालावाड़: बछड़े को बचाने के चक्कर में पलटी ट्रैक्टर-ट्रॉली, 1 बच्चे की मौत, 6 घायल

सड़क दुर्घटना को रोकने पर चर्चा: नेशनल और स्टेट हाईवे के साथ-साथ लिंक रोड पर आवारा पशुओं के बैठे रहने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों भी बैठक में मंथन हुआ. बैठक में तय किया गया कि सड़क पर बैठे रहने वाले आवारा पशुओं के गले में रिफ्लेक्टिव रेडियम पट्टी लगाई जाए, जिससे कि रात को वाहन चालकों को लाइट के रिफ्लेक्शन में पशुओं के सड़क पर बैठे रहने के बारे में पता लग सके. मंत्रिमंडल उपसमिति इस प्रस्ताव को तैयार करके वित्तीय स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को भेजेगी.

जयपुर. सड़क पर आवारा घूमने वाले पशुओं की वजह से आए दिन सड़क हादसे होते हैं. इन सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार अब नया प्रयोग करने जा रही है. सरकार सड़क पर घूमने वाले पशुओं के गले में रिफ्लेक्टिव रेडियम पट्टी (Reflective Radium Collars for Stray cattle) लगाएगी. जिससे सड़क के बीच में बैठे जानवरों के बारे में वाहन चालकों को आसानी से पता लग जाए. इसके साथ ही सरकार की ओर से नंदी गौशाला खोलने के नियमों में भी बड़ी राहत देने की तैयारी की जा रही है.

राज्य के निराश्रित गोवंश की समस्या के निराकरण एवं राज्य सरकार की पंचायत समिति तथा ग्राम पंचायत स्तरीय नन्दीशालाओं एवं गौशालाओं की स्थापना की योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों और विभिन्न नवाचारों पर विचार करने के लिए मंत्रिमण्डलीय उपसमिति की बैठक बुधवार को स्वायत्त शासन मंत्री शान्ति धारीवाल की अध्यक्षता में बैठक (Meeting to discuss on Goshala in Rajasthan) हुई. बैठक में गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया, जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी मंत्री महेश जोशी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, गोपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन और गोपालन विभाग के निदेशक डॉ. लाल सिंह उपस्थित रहे.

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मंत्रिमण्डलीय उपसमिति ने इन बिन्दुओं पर की चर्चा: उपसमिति की बैठक में सभी जिला कलक्टरों को सिवायचक भूमि गौशालाओं के आवंटन के अधिकार देने के साथ ही चारागाह भूमि पर न्यायालय में लंबित प्रकरण में गौशालाओं का पक्ष मजबूती से रखने का निर्णय लिया गया. राज्य सरकार की नन्दीशाला/गौशाला योजनाओं को आरटीपीपी के नियमों से शिथिलता प्रदान करने और संस्थाओं को 2 प्रतिशत बिड सिक्यूरिटी और ढाई प्रतिशत प्रतिभूति राशि की शर्त को विलोपित करते हुए प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजने का निर्णय भी लिया गया.

उपसमिति में लिए गए एक और निर्णय के अनुसार अब पंचायत समिति स्तरीय नन्दीशालाओं के लिए भूमि की आवश्यकता 20 बीघा से घटाकर 10 बीघा कर दी गई है और ग्राम पंचायत स्तरीय गौशालाओं के लिए 5 बीघा की आवश्यकता तय की गई (Relaxation in rules for Nandishala) है. नन्दीशाला और गौशाला स्थापना की शर्तों में और शिथिलता देते हुए संस्थाओं के तीन वर्ष पुराने पंजीकरण एवं अनुभव की शर्त को शिथिल करते हुए संस्था का पंजीकृत होना मात्र की शर्त रखी गई है. साथ ही यदि भूमि चोकोर न हो तो उपलब्ध भूमि के आधार पर नक्शे पारित करने का निर्णय लिया गया. संस्थाओं को संस्था चयन की निविदा में ऑफलाइन प्रक्रिया और आवेदन के आधार पर भाग लेने की छूट भी प्रदान की गई.

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मंत्रिमण्डलीय उपसमिति की ओर से लिए गये अन्य निर्णय: अपाहिज और दृष्टिहीन गोवंश के भरण पोषण के लिए अनुदान 9 के स्थान पर 12 माह करने व ऐसे निजी संस्थानों को जो गोवंश और पशु पक्षियों को समर्पित है, उन्हे एकमुश्त सहायता के लिए निर्माण कार्य, आवश्यक उपकरण एवं औषधि प्रदान करने का निर्णय लिया गया. गत सरकार के समय घोषित जिला स्तरीय नन्दीशालाओं की योजना को 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए करने की सहमति प्रदान की गई. इसके अतिरिक्त इन महत्वाकांक्षी गोसेवा की योजनाओं में अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था के लिए कई नवाचारों के प्रस्तावों को स्वीकृति देते हुए उन्हें वित्त विभाग को भेजने का निर्णय लिया गया.

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सड़क दुर्घटना को रोकने पर चर्चा: नेशनल और स्टेट हाईवे के साथ-साथ लिंक रोड पर आवारा पशुओं के बैठे रहने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों भी बैठक में मंथन हुआ. बैठक में तय किया गया कि सड़क पर बैठे रहने वाले आवारा पशुओं के गले में रिफ्लेक्टिव रेडियम पट्टी लगाई जाए, जिससे कि रात को वाहन चालकों को लाइट के रिफ्लेक्शन में पशुओं के सड़क पर बैठे रहने के बारे में पता लग सके. मंत्रिमंडल उपसमिति इस प्रस्ताव को तैयार करके वित्तीय स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को भेजेगी.

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