जयपुर. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के दुष्कर्म संबंधी आंकड़ों पर राजस्थान के एडीजी क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा (ADG Crime Dr. Ravi Prakash Mehrada) का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद यह हल्ला मच गया कि राजस्थान दुष्कर्म के प्रकरणों (rape cases in Rajasthan) में पूरे देश में पहले स्थान पर है. जबकि यह आंकड़ों का खेल है.
एडीजी क्राइम मेहरड़ा ने एनसीआरबी के 'क्राइम स्टैटिक्स- ए वर्ड ऑफ कॉशन' (Crime Statics - A Word of Caution) पेज का हवाला देते हुए कहा कि पेज को पढ़ने के बाद पूरी तरह से क्लियर हो जाता है कि आंकड़ों के खेल में नहीं पड़ना चाहिए. ये आंकड़े किसी राज्य की नीति हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसी राज्य में आंकड़ों का कम या ज्यादा होना उस राज्य की नीति पर निर्भर करता है.
एडीजी क्राइम मेहरड़ा ने कहा कि राजस्थान सरकार ने 2 वर्ष पहले वर्ष 2019 में फ्री रजिस्ट्रेशन करने का निर्णय लिया था. जिसके चलते थाने में आने वाले परिवादी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया जाने लगा. यदि परिवादी का थाने में मुकदमा दर्ज नहीं होता, तो एसपी ऑफिस में सीसीटीएनएस के जरिए परिवादी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर उसे जांच के लिए थाने में भेजने की व्यवस्था शुरू की गई. जांच के दौरान यदि थानाधिकारी मुकदमा दर्ज नहीं करते तो उनके खिलाफ कानूनी और विभागीय कार्रवाई भी की गई.
अपराध पंजीकृत होना और घटित होना अलग-अलग बातें
एडीजी मेहरड़ा ने बताया कि एनसीआरबी के क्राइम स्टैटिक्स ए वर्ड ऑफ कॉशन पेज में यह साफ लिखा हुआ है कि अपराध का पंजीकृत होना और घटित होना दो अलग-अलग चीजें हैं. किसी राज्य में पुलिस के आंकड़ों में अपराध की संख्या में वृद्धि सरकार की ओर से की जा रही नागरिक केंद्रित पुलिस पहल हो सकती हैं.
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जैसे कि ई-एफआईआर (e-FIR) की सुविधा, महिला हेल्प डेस्क और फ्री रजिस्ट्रेशन आदि. राजस्थान में भी आंकड़ों के बढ़ने के पीछे का कारण सरकार की विभिन्न पॉलिसी हैं. जिसके चलते प्रदेश में अपराध ज्यादा पंजीकृत हो रहे हैं. राजस्थान में दुष्कर्म के प्रकरणों का पंजीकरण काफी ज्यादा हुआ है. हालांकि 42 से 45% केस में पुलिस ने विभिन्न कारणों के चलते एफआर लगाई है यानी कि वे केस झूठे पाए गए.
फ्री रजिस्ट्रेशन के चलते हैं महिलाओं/ कमजोर वर्ग को फायदा
एडीजी मेहरड़ा ने बताया कि फ्री रजिस्ट्रेशन पॉलिसी के चलते महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों को फायदा हुआ. पहले महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों को थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. अब आसानी से शिकायत पर एफआईआर दर्ज की जाती है. महिलाओं में भी जागरूकता आई है, उनकी हिम्मत बढ़ी है, वे थाने में अपनी पीड़ा बताने लगी हैं और शिकायत दर्ज कराने आगे आ रही हैं. ऐसे में आंकड़ों में बढ़ोतरी स्वाभाविक है.
आंकड़ों का खेल न खेलें..
एडीजी क्राइम मेहरड़ा ने बताया कि समाज के सभी वर्गों के लोगों को मिलकर यह तय करना होगा कि वे आंकड़ों का खेल न खेलें. किसी राज्य में आंकड़ों के कम-ज्यादा होने की चर्चा से आमजन का नुकसान होता है. जिसके चलते आमजन को एफआईआर कराने में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे अगर किसी थाने में आंकड़े कम हैं तो अधिकारी उस थाने के एसएचओ की पीठ थपथपाते हैं. ऐसे में आंकड़ों को कम बनाए रखने की कोशिश में शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने में आना-कानी की जाने लगती है.
राजस्थान में सभी थाने के एसएचओ को लोगों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर उसकी त्वरित जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. जिसके चलते राजस्थान में पोक्सो एक्ट, रेप और ब्लाइंड मर्डर के लगभग सभी प्रकरण पुलिस ने जांच कर सुलझा दिए हैं.