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रियलिटी चेकः हाथों के हुनर से कमाकर खाने वाले प्रशासन की देख रहे राह...हर सुविधा से हैं महरूम

ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी जयपुर के कठपुतली नगर का रियलिटी चेक किया. इस दौरान सामने आया कि सरकार की तरफ से गरीब और जरूरतमंद को दिए जाने वाले भोजन या दूसरी सहूलियतों से यह लोग अब तक महरूम हैं. पढ़ें पूरी खबर...

कठपुतली नगर का रियलिटी चेक, Jaipur News,  kathputali city reality check
कठपुतली नगर का रियलिटी चेक
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Published : Apr 24, 2020, 6:49 PM IST

जयपुर. लॉकडाउन के बाद की स्थितियों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने लॉकडाउन के एलान के एक महीने बाद जयपुर के कठपुतली नगर का दौरा किया. बता दें की कठपुतली नगर इलाका एक कच्ची बस्ती है जहां पर कठपुतली कलाकारों की बड़ी तादाद बसती है.

कठपुतली नगर का रियलिटी चेक

टीम ने जब नगर का रियलिटी चेक किया तो पता लगा कि सरकार की तरफ से गरीब और जरूरतमंद को दिए जाने वाले भोजन या दूसरी सहूलियतों से यह लोग अब तक महरूम हैं. बस्ती में बड़ी आबादी भाट समाज की है जो कठपुतली के छोटे-मोटे करतब दिखाकर ही अपनी जिंदगी बसर करता है.

पढ़ें- स्पेशलः दो जून की रोटी का जुगाड़ कैसे करें रिक्शा चालक...थमे पहिए, कोरोना ने लगाया ब्रेक

कठपुतली नगर की कुल आबादी 3 हजार

राजस्थान विधानसभा से महज 300 मीटर की दूरी पर आधुनिक जयपुर की सबसे पुरानी कच्ची बस्ती कठपुतली नगर बसी हुई है. करीब 3000 लोगों की आबादी वाली इस झुग्गी झोपड़ी और तंग गलियों वाले इलाके में आम दिनों में किसी सरकारी नुमाइंदे का पहुंचना बड़ा मुश्किल होता है. लेकिन अब जब कोरोना वायरस के पैर पसारने के बाद पूरी दुनिया एक होकर लड़ रही है, तब बस्ती के बाशिंदे यह उम्मीद लगा रहे थे कि सरकार किसी को उनकी सुध लेने के लिए भी भेजेगी.

कठपुतली नगर का रियलिटी चेक, Jaipur News,  kathputali city reality check
मनोरंजन की रीढ़

सरकारी मदद की आस

ईटीवी भारत की टीम जब बस्ती में गई तो झुंड बनाकर बड़ी तादाद में लोगों ने टीम को घेर लिया. लोगों ने पूछा कि कब तक उन्हें बाकी गरीबों की तरह अनाज और सरकारी इमदाद नसीब होगी. जब बस्ती के लोगों ने अंदरूनी हालात बताएं तो लालफीताशाही के दावों की कलई खुल गई. बस्ती के लोगों के मुताबिक कभी-कभी कुछ सामाजिक संगठन उन्हें खाने के पैकेट देकर जाते हैं, लेकिन 6-7 लोगों के परिवार में एक-दो पैकेट ऊंट के मुंह में जीरे की राहत जैसा होता है.

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कठपुतली

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: जालोर के सुरक्षा कवच को देखकर CORONA भी परेशान...नहीं मिल रही एंट्री

बस्ती वालों ने बताया कि नजदीक के अन्य इलाकों में सरकारी नुमाइंदे आते हैं, लेकिन उनकी सुध लेने के लिए अब तक कोई नहीं पहुंचा है. उन्होंने बताया कि नजदीकी उचित मूल्य की दुकान पर भी राशन कार्ड से मिलने वाली सुविधाएं उन लोगों तक नहीं पहुंची है. बस्ती के लोगों का कहना है कि उनका पूरा काम पर्यटन उद्योग पर आधारित है, ऐसे में लॉकडाउन के बाद बंद कब तक चलेगा इसका अंदाजा नहीं है.

पपेट डांस दिखाकर करते हैं अपना गुजारा

बता दें कि जयपुर की कठपुतली नगर के लोग पपेट डांस दिखा कर अपना गुजारा करते हैं. कठपुतली की करतबों के साथ-साथ यह लोग काठ से बनी कठपुतलियों को बेचते भी हैं. लॉकडाउन के बाद शहर में सैलानियों का आना बंद हो गया है, जिसके कारण इस इलाके में भी काम यह लोग पुश्तैनी काम बंद होने के कारण परेशान हैं.

अपनी पहचान को बरकरार रखने के लिए कर रहे जद्दोजहद

रोजी-रोटी के जुगाड़ में किलोमीटर पैदल चलकर पहले यह लोग सैलानियों को रिझा कर थोड़ा बहुत कमा लिया करते थे, लेकिन अब उस पर भी ब्रेक लग गया है. वहीं कुछ युवा बताते हैं कि वे निजी नौकरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद उन्हें भी नौकरी से हटा दिया गया है. ऐसे में घर का गुजारा ना तो पुश्तैनी काम से हो रहा है और ना ही उनकी नौकरियां बची है.

युवाओं का कहना है कि ऐसे में अगर वक्त रहते उन्हें सरकारी मदद नहीं मिली तो बस्ती के लोग कहां जाएंगे. इंदौर में पर्यटन के मानचित्र पर कठपुतली नगर में भी जयपुर को अलग पहचान दिलाने में अपनी भूमिका निभाई थी. लेकिन इस दौर में कठपुतली नगर के यह लोग अपने पेट की आग के आगे इस पहचान को बरकरार रख पाने में जद्दोजहद कर रहे हैं.

जयपुर. लॉकडाउन के बाद की स्थितियों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने लॉकडाउन के एलान के एक महीने बाद जयपुर के कठपुतली नगर का दौरा किया. बता दें की कठपुतली नगर इलाका एक कच्ची बस्ती है जहां पर कठपुतली कलाकारों की बड़ी तादाद बसती है.

कठपुतली नगर का रियलिटी चेक

टीम ने जब नगर का रियलिटी चेक किया तो पता लगा कि सरकार की तरफ से गरीब और जरूरतमंद को दिए जाने वाले भोजन या दूसरी सहूलियतों से यह लोग अब तक महरूम हैं. बस्ती में बड़ी आबादी भाट समाज की है जो कठपुतली के छोटे-मोटे करतब दिखाकर ही अपनी जिंदगी बसर करता है.

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कठपुतली नगर की कुल आबादी 3 हजार

राजस्थान विधानसभा से महज 300 मीटर की दूरी पर आधुनिक जयपुर की सबसे पुरानी कच्ची बस्ती कठपुतली नगर बसी हुई है. करीब 3000 लोगों की आबादी वाली इस झुग्गी झोपड़ी और तंग गलियों वाले इलाके में आम दिनों में किसी सरकारी नुमाइंदे का पहुंचना बड़ा मुश्किल होता है. लेकिन अब जब कोरोना वायरस के पैर पसारने के बाद पूरी दुनिया एक होकर लड़ रही है, तब बस्ती के बाशिंदे यह उम्मीद लगा रहे थे कि सरकार किसी को उनकी सुध लेने के लिए भी भेजेगी.

कठपुतली नगर का रियलिटी चेक, Jaipur News,  kathputali city reality check
मनोरंजन की रीढ़

सरकारी मदद की आस

ईटीवी भारत की टीम जब बस्ती में गई तो झुंड बनाकर बड़ी तादाद में लोगों ने टीम को घेर लिया. लोगों ने पूछा कि कब तक उन्हें बाकी गरीबों की तरह अनाज और सरकारी इमदाद नसीब होगी. जब बस्ती के लोगों ने अंदरूनी हालात बताएं तो लालफीताशाही के दावों की कलई खुल गई. बस्ती के लोगों के मुताबिक कभी-कभी कुछ सामाजिक संगठन उन्हें खाने के पैकेट देकर जाते हैं, लेकिन 6-7 लोगों के परिवार में एक-दो पैकेट ऊंट के मुंह में जीरे की राहत जैसा होता है.

कठपुतली नगर का रियलिटी चेक, Jaipur News,  kathputali city reality check
कठपुतली

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: जालोर के सुरक्षा कवच को देखकर CORONA भी परेशान...नहीं मिल रही एंट्री

बस्ती वालों ने बताया कि नजदीक के अन्य इलाकों में सरकारी नुमाइंदे आते हैं, लेकिन उनकी सुध लेने के लिए अब तक कोई नहीं पहुंचा है. उन्होंने बताया कि नजदीकी उचित मूल्य की दुकान पर भी राशन कार्ड से मिलने वाली सुविधाएं उन लोगों तक नहीं पहुंची है. बस्ती के लोगों का कहना है कि उनका पूरा काम पर्यटन उद्योग पर आधारित है, ऐसे में लॉकडाउन के बाद बंद कब तक चलेगा इसका अंदाजा नहीं है.

पपेट डांस दिखाकर करते हैं अपना गुजारा

बता दें कि जयपुर की कठपुतली नगर के लोग पपेट डांस दिखा कर अपना गुजारा करते हैं. कठपुतली की करतबों के साथ-साथ यह लोग काठ से बनी कठपुतलियों को बेचते भी हैं. लॉकडाउन के बाद शहर में सैलानियों का आना बंद हो गया है, जिसके कारण इस इलाके में भी काम यह लोग पुश्तैनी काम बंद होने के कारण परेशान हैं.

अपनी पहचान को बरकरार रखने के लिए कर रहे जद्दोजहद

रोजी-रोटी के जुगाड़ में किलोमीटर पैदल चलकर पहले यह लोग सैलानियों को रिझा कर थोड़ा बहुत कमा लिया करते थे, लेकिन अब उस पर भी ब्रेक लग गया है. वहीं कुछ युवा बताते हैं कि वे निजी नौकरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद उन्हें भी नौकरी से हटा दिया गया है. ऐसे में घर का गुजारा ना तो पुश्तैनी काम से हो रहा है और ना ही उनकी नौकरियां बची है.

युवाओं का कहना है कि ऐसे में अगर वक्त रहते उन्हें सरकारी मदद नहीं मिली तो बस्ती के लोग कहां जाएंगे. इंदौर में पर्यटन के मानचित्र पर कठपुतली नगर में भी जयपुर को अलग पहचान दिलाने में अपनी भूमिका निभाई थी. लेकिन इस दौर में कठपुतली नगर के यह लोग अपने पेट की आग के आगे इस पहचान को बरकरार रख पाने में जद्दोजहद कर रहे हैं.

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