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Reality Check : बिजली बचाने के हुक्मरानों के आदेश हवा, सरकारी दफ्तरों में छुट्टी के दिन भी जगमगाते रहे 'दीप'

राजस्थान के मौजूदा दौर में बिजली संकट किसी से छिपा नहीं है. इस बार सूबे के मुखिया अशोक गहलोत से लेकर कई महकमों के अफसर अपने-अपने मातहतों से इस सिलसिले में अपील कर चुके हैं. जिसका मकसद है बिजली को बचाना और इसके अपव्यय को रोकना. मतलब साफ है कि अगर जरूरत के मुताबिक बिजली का इस्तेमाल किया जाए तो फिर किसी हद तक प्रदेश में जारी बिजली संकट को कम करके जरूरतमंदों को इसका लाभ पहुंचाया जा सकता है. ईटीवी भारत ने इसी सिलसिले में जयपुर शहर के दोनों नगर निगम के दफ्तर पर रियलिटी चेक किया. खुद देखिये...

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Published : Oct 11, 2021, 9:49 PM IST

electrical power consumption in jaipur rajasthan
हुक्मरानों के आदेश हवा

जयपुर. प्रदेश ही नहीं, देश के कई हिस्सों में मौजूदा समय में बिजली की समस्या गहराती जा रही है. ऐसे में ये सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हर हाल में बिजली की बर्बादी को रोका जाए, लेकिन राजस्थान के सरकारी दफ्तरों में तो मानो इसका कोई असर ही नहीं है. बात जयपुर की करें तो ईटीवी भारत की टीम जयपुर विकास प्राधिकरण के दफ्तर पर पहुंची और वहां हालात टटोलने की कोशिश की. देखिये कुछ ऐसे दिखे हालात...

पड़ताल में ये सामने आया कि सरकारी महकमे अपने उच्च अधिकारी और हुक्मरानों की आवाज की नाफरमानी कर रहे हैं, जिसका नतीजा आज पूरा प्रदेश भुगत रहा है. ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले हेरिटेज नगर निगम के मुख्यालय और जोन कार्यालय पहुंची. यहां निगम कमिश्नर से लेकर उपायुक्त के खाली कमरों में बिजली के इस्तेमाल से चलने वाले लाइट, पंखे और एयर कंडीशनर फिजूल चलते मिले.

आदेश के बावजूद लापरवाही...

यहां जरूरी बैठक को निपटाने के लिए छुट्टी वाले दिन अधिकारी पहुंचे थे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी बिजली को लेकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते दिखे. इस दौरान महापौर के दफ्तर में ताला लगा था, लेकिन बाकी कारिंदों के कमरों में बिजली के अपव्यय को रोकने के लिए की गई अपील का असर देखने को नहीं मिला. ईटीवी भारत की टीम जयपुर नगर निगम हेरिटेज से फिर जयपुर विकास प्राधिकरण के दफ्तर पर पहुंची तो नवरात्रि की छठ पर सरकारी छुट्टी के बावजूद गैलरी में लाइटें खुली मिली.

डायरेक्टर इंजीनियर के दफ्तर में पंखा, ट्यूबलाइट तो चालू था ही और सरकारी कुर्सी और टेबल पर दो एयर कंडीशनर मौसम में शीत बरसा रहे थे. इस बात से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात क्या हैं. आपको ये भी समझ लेना चाहिए कि इसी जेडीए को साल 2020 में राजस्थान एनर्जी कंजर्वेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था और आज इनाम लेकर ये जेडीए भी अपनी जिम्मेदारी से बेरुख होकर जवाबदेही से पल्ला झाड़ रहा है.

पढ़ें : विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक को लेकर बैकफुट पर सरकार, सीएम गहलोत ने कहा-राज्यपाल वापस भेज दें बिल

इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ग्रेटर नगर निगम पर पहुंची. यहां भी हमें स्थितियां बेहतर देखने के लिए नहीं मिली. गलियारों में बत्तियां चालू थी. नजारा ऐसा था कि अमावस की रात को रोशन कर के नगर निगम में दीपोत्सव मनाया जा रहा है. सरकारी कारिंदों के कमरों की बात की जाए तो निराशा यहां भी हाथ लगी. कुछ जगह ताले थे तो कुछ जगह तस्वीरें निराश करने वाली थी.

दिया तले अंधेरा की कहावत आपने कई मर्तबा सुनी होगी. पर ईटीवी भारत ने एक मर्तबा फिर आपके लिए इस कहावत को सच्चाई में तब्दील करती तस्वीर के रूप में पेश कर दिया है. मुख्यमंत्री से लेकर बड़े अफसरों ने कागजों में आमजन को राहत के छींटे बरसाने के लिए ये अपील भले ही कर दी कि आप बिजली को संभलकर इस्तेमाल कीजिए. अपने पहले कार्यकाल में भी अशोक गहलोत ने जो नारा दिया था उसमें बिजली बचाने की बात सर्वोपरि थी, लेकिन राजधानी जयपुर के सरकारी दफ्तरों में अगर नजीर ही गलत पेश की जाएगी, तो फिर किसी जिला मुख्यालय या उपखंड पर जनता के लिए सरकारी कारिंदों की जिम्मेदारी कैसे तय हो, इस सवाल के लिए आप जवाब तलाशते रहें.

जयपुर. प्रदेश ही नहीं, देश के कई हिस्सों में मौजूदा समय में बिजली की समस्या गहराती जा रही है. ऐसे में ये सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हर हाल में बिजली की बर्बादी को रोका जाए, लेकिन राजस्थान के सरकारी दफ्तरों में तो मानो इसका कोई असर ही नहीं है. बात जयपुर की करें तो ईटीवी भारत की टीम जयपुर विकास प्राधिकरण के दफ्तर पर पहुंची और वहां हालात टटोलने की कोशिश की. देखिये कुछ ऐसे दिखे हालात...

पड़ताल में ये सामने आया कि सरकारी महकमे अपने उच्च अधिकारी और हुक्मरानों की आवाज की नाफरमानी कर रहे हैं, जिसका नतीजा आज पूरा प्रदेश भुगत रहा है. ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले हेरिटेज नगर निगम के मुख्यालय और जोन कार्यालय पहुंची. यहां निगम कमिश्नर से लेकर उपायुक्त के खाली कमरों में बिजली के इस्तेमाल से चलने वाले लाइट, पंखे और एयर कंडीशनर फिजूल चलते मिले.

आदेश के बावजूद लापरवाही...

यहां जरूरी बैठक को निपटाने के लिए छुट्टी वाले दिन अधिकारी पहुंचे थे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी बिजली को लेकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते दिखे. इस दौरान महापौर के दफ्तर में ताला लगा था, लेकिन बाकी कारिंदों के कमरों में बिजली के अपव्यय को रोकने के लिए की गई अपील का असर देखने को नहीं मिला. ईटीवी भारत की टीम जयपुर नगर निगम हेरिटेज से फिर जयपुर विकास प्राधिकरण के दफ्तर पर पहुंची तो नवरात्रि की छठ पर सरकारी छुट्टी के बावजूद गैलरी में लाइटें खुली मिली.

डायरेक्टर इंजीनियर के दफ्तर में पंखा, ट्यूबलाइट तो चालू था ही और सरकारी कुर्सी और टेबल पर दो एयर कंडीशनर मौसम में शीत बरसा रहे थे. इस बात से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात क्या हैं. आपको ये भी समझ लेना चाहिए कि इसी जेडीए को साल 2020 में राजस्थान एनर्जी कंजर्वेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था और आज इनाम लेकर ये जेडीए भी अपनी जिम्मेदारी से बेरुख होकर जवाबदेही से पल्ला झाड़ रहा है.

पढ़ें : विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक को लेकर बैकफुट पर सरकार, सीएम गहलोत ने कहा-राज्यपाल वापस भेज दें बिल

इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ग्रेटर नगर निगम पर पहुंची. यहां भी हमें स्थितियां बेहतर देखने के लिए नहीं मिली. गलियारों में बत्तियां चालू थी. नजारा ऐसा था कि अमावस की रात को रोशन कर के नगर निगम में दीपोत्सव मनाया जा रहा है. सरकारी कारिंदों के कमरों की बात की जाए तो निराशा यहां भी हाथ लगी. कुछ जगह ताले थे तो कुछ जगह तस्वीरें निराश करने वाली थी.

दिया तले अंधेरा की कहावत आपने कई मर्तबा सुनी होगी. पर ईटीवी भारत ने एक मर्तबा फिर आपके लिए इस कहावत को सच्चाई में तब्दील करती तस्वीर के रूप में पेश कर दिया है. मुख्यमंत्री से लेकर बड़े अफसरों ने कागजों में आमजन को राहत के छींटे बरसाने के लिए ये अपील भले ही कर दी कि आप बिजली को संभलकर इस्तेमाल कीजिए. अपने पहले कार्यकाल में भी अशोक गहलोत ने जो नारा दिया था उसमें बिजली बचाने की बात सर्वोपरि थी, लेकिन राजधानी जयपुर के सरकारी दफ्तरों में अगर नजीर ही गलत पेश की जाएगी, तो फिर किसी जिला मुख्यालय या उपखंड पर जनता के लिए सरकारी कारिंदों की जिम्मेदारी कैसे तय हो, इस सवाल के लिए आप जवाब तलाशते रहें.

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