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स्पेशल: लॉकडाउन के 21 दिन बीते नहीं आया राशन, अब 19 दिन फिर इंतजार

जिला प्रशासन और निगम प्रशासन लॉकडाउन के 21 दिन में जरूरतमंदों का सर्वे भी नहीं कर पाया. जिसके चलते सैकड़ों परिवारों तक राशन या भोजन के पैकेट नहीं पहुंच पा रहे. हालांकि इन परिवारों के लिए उनके आस-पड़ोस के लोग मसीहा बने हुए हैं. लेकिन अब 19 दिन का लॉकडाउन और बढ़ने के बाद रोज कमाकर खाने वाले परिवारों पर बड़ा संकट आ गया है.

लॉकडाउन में लोगों तक नहीं पहुंच रहा राशन, Ration is not reaching the people in lockdown
लॉकडाउन में लोगों तक नहीं पहुंच रहा राशन
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Published : Apr 14, 2020, 9:14 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए देशभर में लॉक डाउन की मियाद 19 दिन और बढ़ा दी गई है. ऐसे में उन परिवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया, जो इस लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे. क्योंकि उनके घर में राशन का एक कतरा तक नहीं है.

लॉकडाउन में लोगों तक नहीं पहुंच रहा राशन (पार्ट-1)

उन्हें उम्मीद थी कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद वो अपने परिवार के लिए कमा कर लाएंगे, और दो वक्त के खाने की व्यवस्था होगी. हालांकि प्रदेश सरकार ने ऐलान किया था कि कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोएगा. इसके लिए जिला स्तर पर जरूरतमंदों को राशन और भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की गई.

लेकिन प्रशासन सरकार के दावे की रफ्तार के साथ नहीं चल पाया. पहले जिला प्रशासन और फिर निगम प्रशासन सर्वे ही करता रह गया. यही वजह रही कि आज भी सैकड़ों परिवार एक वक्त भोजन कर रहे हैं और उसकी व्यवस्था भी आस-पड़ोस के लोगों की मदद से हो पा रही है.

पढ़ें- अजमेर में कोरोना वायरस का पिंडदान कर युवाओं ने मुंडवाया सिर

ईटीवी भारत ब्रह्मपुरी स्थित ऐसे ही कुछ परिवारों तक पहुंचा, जहां एक समय चूल्हा जल रहा है. वहीं, उन लोगों को आज भी प्रशासन की ओर से मदद का इंतजार है. मंगला माता मार्ग क्षेत्र में रहने वाले महेश ने बताया कि उनके परिवार में 7 लोग हैं, जिसमें 3 बच्चे भी हैं. क्षेत्रीय बीएलओ लिखा पढ़ी के लिए उन तक पहुंचा भी, लेकिन राशन नहीं पहुंचा.

फिलहाल आस-पड़ोस के लोगों की मदद से दो वक्त के खाने का इंतजाम हो पाता है. वहीं, इसी क्षेत्र में रहने वाले गोकुलेश्वर ने बताया कि घर में 4 सदस्य हैं. वह खुद मजदूरी करते हैं, पत्नी स्कूल में खाना बनाने जाती है. लेकिन अभी दोनों का काम छूटा हुआ है. यही वजह है कि घर में एक वक्त चूल्हा जल रहा है.

लॉकडाउन में लोगों तक नहीं पहुंच रहा राशन (पार्ट-2)

पढ़ें- SPECIAL: अजमेर की पहली ऐसी ग्राम पंचायत जहां CCTV से हो रही है निगरानी

जबकि बनवारी सोनी और उनकी धर्मपत्नी ने बताया कि वो रोज कमा कर खाने वालों में से हैं. अब घर में महज 2 दिन का राशन बचा हुआ है, अब भगवान ही जाने 2 दिन बाद क्या होगा.

इन परिवारों से मिलने के बाद यह बात तो साफ हो गई कि प्रशासन जो दावे कर रहा है, उनमें सच्चाई का प्रतिशत कम है. ऐसे में कुछ ने अपनी स्थिति को भगवान भरोसे छोड़ दिया है, तो कुछ को अभी भी प्रशासन से उम्मीद है.

जयपुर. कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए देशभर में लॉक डाउन की मियाद 19 दिन और बढ़ा दी गई है. ऐसे में उन परिवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया, जो इस लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे. क्योंकि उनके घर में राशन का एक कतरा तक नहीं है.

लॉकडाउन में लोगों तक नहीं पहुंच रहा राशन (पार्ट-1)

उन्हें उम्मीद थी कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद वो अपने परिवार के लिए कमा कर लाएंगे, और दो वक्त के खाने की व्यवस्था होगी. हालांकि प्रदेश सरकार ने ऐलान किया था कि कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोएगा. इसके लिए जिला स्तर पर जरूरतमंदों को राशन और भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की गई.

लेकिन प्रशासन सरकार के दावे की रफ्तार के साथ नहीं चल पाया. पहले जिला प्रशासन और फिर निगम प्रशासन सर्वे ही करता रह गया. यही वजह रही कि आज भी सैकड़ों परिवार एक वक्त भोजन कर रहे हैं और उसकी व्यवस्था भी आस-पड़ोस के लोगों की मदद से हो पा रही है.

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ईटीवी भारत ब्रह्मपुरी स्थित ऐसे ही कुछ परिवारों तक पहुंचा, जहां एक समय चूल्हा जल रहा है. वहीं, उन लोगों को आज भी प्रशासन की ओर से मदद का इंतजार है. मंगला माता मार्ग क्षेत्र में रहने वाले महेश ने बताया कि उनके परिवार में 7 लोग हैं, जिसमें 3 बच्चे भी हैं. क्षेत्रीय बीएलओ लिखा पढ़ी के लिए उन तक पहुंचा भी, लेकिन राशन नहीं पहुंचा.

फिलहाल आस-पड़ोस के लोगों की मदद से दो वक्त के खाने का इंतजाम हो पाता है. वहीं, इसी क्षेत्र में रहने वाले गोकुलेश्वर ने बताया कि घर में 4 सदस्य हैं. वह खुद मजदूरी करते हैं, पत्नी स्कूल में खाना बनाने जाती है. लेकिन अभी दोनों का काम छूटा हुआ है. यही वजह है कि घर में एक वक्त चूल्हा जल रहा है.

लॉकडाउन में लोगों तक नहीं पहुंच रहा राशन (पार्ट-2)

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जबकि बनवारी सोनी और उनकी धर्मपत्नी ने बताया कि वो रोज कमा कर खाने वालों में से हैं. अब घर में महज 2 दिन का राशन बचा हुआ है, अब भगवान ही जाने 2 दिन बाद क्या होगा.

इन परिवारों से मिलने के बाद यह बात तो साफ हो गई कि प्रशासन जो दावे कर रहा है, उनमें सच्चाई का प्रतिशत कम है. ऐसे में कुछ ने अपनी स्थिति को भगवान भरोसे छोड़ दिया है, तो कुछ को अभी भी प्रशासन से उम्मीद है.

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