जयपुर. नाहरगढ़ जैविक उद्यान में 14 महीने में आए दिन बाघ, शेर और शेरनी की मौत हो रही है. लगातार बढ़ रहे मौत के आंकड़ों की रोकथाम को लेकर वन विभाग ने कवायद शुरू कर दी है. पिछले दिनों लेप्टोस्पायरोसिस वायरस की वजह से कई वन्यजीव की मौत हो चुकी है. एक के बाद एक बिग कैट्स की मौत के बाद वन विभाग इसको लेकर सजग हुआ है. वन्यजीवों को लेप्टोस्पायरोसिस वायरस से बचाने के लिए एंक्लोजर के आस-पास रेट प्रूफिंग की जा रही है.
बता दें कि लेप्टोस्पायरोसिस वायरस चूहे, नेवले और गिलहरी के पेशाब से फैलता है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एंक्लोजर्स में वन्यजीवों के खाने और पानी में चूहे, नेवले और गिलहरी पेशाब कर देते हैं. इनको खाने से वन्यजीवों को लेप्टोस्पायरोसिस वायरस की बीमारी हो जाती है. इसके साथ ही रोजाना शाम को लॉयन सफारी जंगल में घूमने वाले लॉयन को एंक्लोजर में बंद किया जाएगा, जिससे रात के समय बाहर नहीं घूम सके.लायन सफारी में पानी की तलाई के आस-पास सफाई के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. बाहर खुले में पानी नहीं रखा जाएगा. तलाई को भी साफ रखा जाएगा, जिससे वन्यजीव बाहर का पानी ना पिए और संक्रमण से भी बचाव हो सके.
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वन्यजीवों को लेप्टोस्पायरोसिस वायरस से बचाने के लिए रेट प्रूफिंग की जरूरत थी. ऐसे में पार्क के भीतर वन्यजीवों के शेल्टर को पूरी तरह से रेट प्रूफिंग कर दिया गया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के रेंजर बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि शेल्टर के चारों तरफ जालिया लगा दी गई है, जिससे चूहे, नेवले और गिलहरी प्रवेश ना कर सकें. नीचे प्लेटें इस तरह से लगाई गई है कि नेवले और चूहे उस पर चढ़ भी नहीं सके. इसके साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर कई सावधानियां बरती जा रही हैं.
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वन्यजीवों को डाला जाने वाला मीट भी निगरानी में खिलाया जा रहा है. 4 घंटे बाद ही बचे हुए वेस्ट को साफ कर दिया जाता है, जिससे किसी दूसरे जीव का अंदर प्रवेश हो तो वहां कुछ खाने को ना मिले. बाहरी जीव भोजन नहीं मिलने से अंदर दोबारा घुसने की कोशिश नहीं करेंगे. वहीं, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे. साथ ही पिंजरे में छोटा स्पीस केज भी बनाए जाएंगे, जिससे रूटीन जांच के लिए बिग कैट्स को ट्रेंकुलाइज नहीं करना पड़े. उनका सैंपल या उपचार आसानी से हो सके.