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जेके लोन अस्पताल ने ढूंढा दुर्लभ बीमारी का इलाज, मयोजाइम तकनीक से शुरू हुआ उपचार

जयपुर में स्थित जेके लोन अस्पताल में दुर्लभ बीमारियों से जुड़े इलाज को लेकर रिसर्च किया जा रहा है. अस्पताल के चिकित्सकों ने पॉम्पे डिजीज और स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 बीमारी से पीड़ित बच्चे का उपचार एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी अल्गलूकोसिडेस अल्फा यानी मयोजाइम तकनीकी से शुरू किया है.

Rare disease treatment at JK Lone Hospital,  JK Lone Hospital Latest News
जेके लोन अस्पताल में ढूंढा दुर्लभ बीमारी का इलाज
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Published : Sep 10, 2020, 7:46 PM IST

जयपुर. राजधानी जयपुर स्थित जेके लोन अस्पताल में बीते कुछ समय से दुर्लभ बीमारियों से जुड़े इलाज को लेकर रिसर्च किया जा रहा है. हाल ही में अस्पताल के चिकित्सकों ने पॉम्पे डिजीज और स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1, जो एक रेयर डिजीज है इससे जुड़ा इलाज ढूंढ निकाला है.

अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि पॉम्पे डिजीज और स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 यह दोनों काफी रेयर डिजीज में शामिल है. हाल ही में इन दोनों बीमारियों से पीड़ित एक नवजात का मामला अस्पताल में देखने को मिला है. गुप्ता ने बताया कि हाल ही में जेके लोन अस्पताल में आगरा से इस तरह का केस सामने आया है और 44 दिन का एक बच्चा इन दोनों बीमारियों से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि संभवतः यह देश का पहला मामला है.

जेके लोन अस्पताल में ढूंढा दुर्लभ बीमारी का इलाज

पढ़ें- SPECIAL : जोधपुर AIIMS कर रहा देश में पहली बार भोपों के उपचार पर रिसर्च

डॉक्टर ने बताया कि बीते कुछ दिनों से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और आगरा में जब बच्चे को दिखाया गया तो उन्होंने तुरंत जयपुर के जेके लोन अस्पताल में उसे रेफर कर दिया. सांस लेने की समस्या के साथ-साथ बच्चे के शरीर में ढीलापन और हरकत कम होने की भी परेशानी थी. बच्चे की जांच की गई तो सामने आया कि बच्चे को कमजोरी के अलावा मांसपेशियों में परेशानी और दिल की भी समस्या है.

डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि ऐसे में चिकित्सकों ने इस बच्चे का डीबीएस सैंपल दिल्ली भेजकर जांच कराई तो पॉम्पे नाम की रेयर बीमारी की पुष्टि हुई. चिकित्सकों ने स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 की भी जांच एमएलपीए तकनीक द्वारा कराई और बच्चे में दोनों रेयर डिजीज देखने को मिली.

महंगा है इलाज

चिकित्सकों ने बताया कि पॉम्पे नाम की बीमारी के इलाज के लिए काफी पैसा खर्च करना होता है. इसकी दवा कि प्रतिवर्ष कीमत लगभग 25 से 30 लाख रुपए है और इसे आजीवन बच्चे को देना होता है. साथ ही स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 की दवा भी काफी महंगी होती है. हालांकि इस बच्चे के इलाज का खर्चा अनुकंपा उपयोग कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है.

मायोजाइम तकनीकी से इलाज शुरू

ऐसे में जेके लोन अस्पताल के चिकित्सकों ने इस 44 दिन के बच्चे का उपचार एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी अल्गलूकोसिडेस अल्फा यानी मयोजाइम तकनीकी से शुरू किया है. अस्पताल के चिकित्सकों ने दावा किया है कि इस उम्र पर यह दवा शुरू करने का यह देश का पहला मामला है. इलाज शुरू करने के बाद बच्चे की हालत में सुधार दिखाई दे रहा है.

जयपुर. राजधानी जयपुर स्थित जेके लोन अस्पताल में बीते कुछ समय से दुर्लभ बीमारियों से जुड़े इलाज को लेकर रिसर्च किया जा रहा है. हाल ही में अस्पताल के चिकित्सकों ने पॉम्पे डिजीज और स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1, जो एक रेयर डिजीज है इससे जुड़ा इलाज ढूंढ निकाला है.

अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि पॉम्पे डिजीज और स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 यह दोनों काफी रेयर डिजीज में शामिल है. हाल ही में इन दोनों बीमारियों से पीड़ित एक नवजात का मामला अस्पताल में देखने को मिला है. गुप्ता ने बताया कि हाल ही में जेके लोन अस्पताल में आगरा से इस तरह का केस सामने आया है और 44 दिन का एक बच्चा इन दोनों बीमारियों से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि संभवतः यह देश का पहला मामला है.

जेके लोन अस्पताल में ढूंढा दुर्लभ बीमारी का इलाज

पढ़ें- SPECIAL : जोधपुर AIIMS कर रहा देश में पहली बार भोपों के उपचार पर रिसर्च

डॉक्टर ने बताया कि बीते कुछ दिनों से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और आगरा में जब बच्चे को दिखाया गया तो उन्होंने तुरंत जयपुर के जेके लोन अस्पताल में उसे रेफर कर दिया. सांस लेने की समस्या के साथ-साथ बच्चे के शरीर में ढीलापन और हरकत कम होने की भी परेशानी थी. बच्चे की जांच की गई तो सामने आया कि बच्चे को कमजोरी के अलावा मांसपेशियों में परेशानी और दिल की भी समस्या है.

डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि ऐसे में चिकित्सकों ने इस बच्चे का डीबीएस सैंपल दिल्ली भेजकर जांच कराई तो पॉम्पे नाम की रेयर बीमारी की पुष्टि हुई. चिकित्सकों ने स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 की भी जांच एमएलपीए तकनीक द्वारा कराई और बच्चे में दोनों रेयर डिजीज देखने को मिली.

महंगा है इलाज

चिकित्सकों ने बताया कि पॉम्पे नाम की बीमारी के इलाज के लिए काफी पैसा खर्च करना होता है. इसकी दवा कि प्रतिवर्ष कीमत लगभग 25 से 30 लाख रुपए है और इसे आजीवन बच्चे को देना होता है. साथ ही स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 की दवा भी काफी महंगी होती है. हालांकि इस बच्चे के इलाज का खर्चा अनुकंपा उपयोग कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है.

मायोजाइम तकनीकी से इलाज शुरू

ऐसे में जेके लोन अस्पताल के चिकित्सकों ने इस 44 दिन के बच्चे का उपचार एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी अल्गलूकोसिडेस अल्फा यानी मयोजाइम तकनीकी से शुरू किया है. अस्पताल के चिकित्सकों ने दावा किया है कि इस उम्र पर यह दवा शुरू करने का यह देश का पहला मामला है. इलाज शुरू करने के बाद बच्चे की हालत में सुधार दिखाई दे रहा है.

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