जयपुर. राजस्थानी के शास्त्री नगर में 7 साल की मासूम से बलात्कार मामले में पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई है. पीड़ित को जहां पहले उपचार मिलना चाहिए था, उसकी बजाए तकरीबन 1 घंटे तक उसे थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के लिये बैठाए रखने के बाद अस्पताल ले जाया गया. मामले को गंभीर मानते हुए, अब बाल संरक्षण आयोग संबंधित पुलिस कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की बात कह रहा है.
पुलिस का काम शहरवासियों को सुरक्षित रखने और उनकी समस्या का निस्तारण करने का होता है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई अगर परेशानी का सबब बने तो सवाल उठने लाज़मी होते हैं. मामला राजधानी के शास्त्रीनगर में 7 वर्षीय बालिका से बलात्कार का है. बुधवार तक पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा, और आरोपी अब भी खुले में घूम रहा है.
हैरानी की बात ये है कि जिस रेप विक्टिम को पहले उपचार मिलना चाहिए था, उसे रिपोर्ट लिखने की खानापूर्ति के लिये तकरीबन 1 घंटे शास्त्री नगर थाने में बैठाये रखा गया. पीड़ित के पिता ने ईटीवी भारत को बताया कि बच्ची के साथ दुष्कर्म होने के बाद पीड़ित बच्ची को थाने लेकर पहुंचे, लेकिन यहां से उसे अस्पताल ले जाने के बजाय 1 घंटे तक रिपोर्ट लिखने का काम चलता रहा. बाद में उसे कांवटिया अस्पताल ले जाया गया, जहां से जेके लोन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया.
वहीं इस मामले को लेकर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि उन्हें भी पीड़ित के माता-पिता से बच्ची को थाने में बैठाए रखने की जानकारी मिली. ऐसे में उन्होंने शास्त्री नगर थाने में मौजूद संबंधित पुलिसकर्मी पर जांच के बाद सख्त कार्रवाई करने की बात कही.