श्योपुर. पिछले 18 सितंबर को राजस्थान के सवाईमाधोपुर की रणथंभौर सेंचुरी से गायब हुई दो मादा बाघिन और चार शावकों के श्योपुर जिले के जंगल में होने की संभावना जताई जा रही है. जिसे लेकर रणथंभौर सेंचुरी के अधिकारियों ने श्योपुर के कूनों-पालपुर अभ्यारण्य के (ranthambore tiger search in sheopur) डीएफओ पीके वर्मा को पत्र भेजकर लापता बाघिन और शावकों को जंगल में तलाश कराने के लिए लिखा है.
रणथंभौर से श्योपुर आए बाघ ! श्योपुर जिला राजस्थान बॉर्डर से सटा हुआ इलाका है.यहां से सवाईमाधोपुर की दूरी (rajasthan tiger in mp)महज 65 किलोमीटर है. इस वजह से रणथंभौर के बाघ कई बार श्योपुर की कूनों पालपुर सेंचुरी में आ जाते हैं. इसके पीछे एक वजह यह भी है कि, श्योपुर जिले के कूनों-पालपुर अभ्यारण्य में एक भी बाघ-बाघिन नहीं है. यहां दूसरे वन्य जीव हिरण, सांभर, नीलगाय, बारहसिंहा, चीतल हजारों की संख्या में मौजूद हैं. इनके अलावा जंगली सुअर, जंगली बिल्ली, भालू, तेंदुआ, गीदड़ काफी संख्या में हैं. 350 किलोमीटर के करीब ऐरिए में फैला घना और विशाल जंगल है. कूनों का बेहद खास वातावरण सवाईमाधोपुर की रणथंभौर सेंचुरी के बाघों को बहुत भाता है.
बाघों की तलाश के लिए लिखा पत्र : कई बार रणथंभौर के बाध चंबल नदी पार करके श्योपुर के कूनों पालपुर अभ्यारण्य में आकर रहने लग जाते हैं. टी-38 बाघ तो यहां कई महीनों तक रहा था. इसलिए रणथंभौर से गायब हुई 2 बाघिन और 4 शावकों के यहां आने की संभावना जताई जा रही है, जिनके कराहल इलाके में पदचिरह्न होने की चर्चाएं भी हैं. हालांकि, इस तरह की पुष्टि किसी भी अधिकारी की तरफ से नहीं की गई है.
कूनों सेंचुरी के डीएफओ पीके वर्मा का कहना है कि, राजस्थान की रणथंभौरर सेंचुरी से बाघिन और शावकों के लापता होने के संबंध में पत्र आया है. उनकी श्योपुर जिले के जंगल में तलाश की जा रही है.