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गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना किसान विरोधी मानसिकता का परिचायक: रामपाल जाट - Rajasthan hindi news

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं. रामपाल जाट ने (Rampal Jat speak on ban on wheat export) कहा है कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना किसान विरोधी मानसिकता का परिचायक है.

Rampal Jat speak on ban on wheat export
रामपाल जाट का बयान
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Published : May 14, 2022, 10:02 PM IST

जयपुर. भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. एक्सपोर्ट की जाने वाली सामग्री में गेहूं अब 'प्रतिबंधित' सामान की कैटेगरी में डाल दिया गया है, लेकिन मोदी सरकार के इस आदेश के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है. किसान महापंचायत में गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के फैसले को किसान विरोधी मानसिकता करार दिया है. किसान नेता रामपाल जाट (Rampal Jat speak on ban on wheat export) ने भी इसका विरोध किया है.

गेहूं के दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल गिरे: रामपाल जाट ने कहा कि देश में खाद्यान्नों के भंडार 636.14 लाख टन होते हुए भी केंद्र सरकार ने विदेश व्यापार (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1992 का दुरुपयोग करते हुए देश की खाद्य सुरक्षा के नाम पर गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. जिससे गेहूं के दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल गिर गए और किसानों का घाटा बढ़ गया.

न्यूनतम समर्थन मूल्य भी प्राप्त नहीं होगा: जाट ने कहा कि अब किसानों को सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी प्राप्त नहीं हो सकेगा. अभी तक किसानों को एक क्विंटल पर 2200 से 2300 रुपये प्राप्त हो रहे थे जिससे लागत C-2 तो प्राप्त नहीं हो रही थी किन्तु घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो रहा था . जबकि देश में गेहूं का भंडारण भी 260 लाख टन की आवश्यकता के विरुद्ध 1 जनवरी 2022 को 330 लाख टन था , अभी मई माह में भी यह भण्डारण 303 लाख टन है.

पढ़ें. राजस्थान में रूस-यूक्रेन युद्ध का गेहूं की बिक्री पर असर, किसान मंडी में माल बेचने से कर रहे परहेज

गरीबों की दृष्टि से तो निर्यात पर प्रतिबंध गलत: रामपाल जाट ने कहा कि गरीबों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत ₹2 किलो गेहूं या चावल प्राप्त करने का अधिकार है. गरीबों की दृष्टि से तो निर्यात पर प्रतिबंध की आवश्यकता ही नहीं थी, तब भी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और किसानों को गेहूं के लागत मूल्य से भी वंचित करने का काम किया. दूसरी और खेती में प्रयुक्त होने वाले डीजल में होने वाली निरंतर वृद्धि को नियंत्रित नहीं कर खेती की लागत बढ़ाने का काम किया है . इस में केंद्र सरकार की किसान विरोधी मानसिकता की झलक दिखाई देती है.

पढ़ें. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की पीएम मोदी से मुलाकात, संगठनात्मक और राजनीतिक हालात पर की चर्चा

यह लिया केंद्र सरकार ने फैसला: भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. इसके एक्सपोर्ट को अब 'प्रतिबंधित' सामानों की कैटेगरी में डाल दिया गया है. इसकी एक बड़ी वजह इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं के दामों में बेहताशा तेजी आना है . विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT)ने शुक्रवार शाम को एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर सरकार के इस फैसले की जानकारी दी. हालांकि निर्यात के जिन ऑर्डर के लिए 13 मई से पहले लेटर ऑफ क्रेडिट जारी हो चुका है, उनका एक्सपोर्ट करने की अनुमति होगी.

पड़ोसी और जरूरतमंद देशों का रखा ख्याल
सरकार ने देश में खाद्यान्न की कीमतों को कंट्रोल में रखने, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने और जरूरतमंद विकासशील और पड़ोसी देशों (खासकर श्रीलंका संकट को देखते हुए) का ख्याल रखते हुए भी ये फैसला किया है. सरकार ने अपने आदेश में साफ किया है कि गेहूं का निर्यात उन देशों के लिए संभव होगा, जिनके लिए भारत सरकार अनुमति देगी. इस संबंध में सरकार जरूरतमंद विकासशील देशों की सरकार के आग्रह के आधार पर फैसला लेगी ताकि वहां भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

जयपुर. भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. एक्सपोर्ट की जाने वाली सामग्री में गेहूं अब 'प्रतिबंधित' सामान की कैटेगरी में डाल दिया गया है, लेकिन मोदी सरकार के इस आदेश के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है. किसान महापंचायत में गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के फैसले को किसान विरोधी मानसिकता करार दिया है. किसान नेता रामपाल जाट (Rampal Jat speak on ban on wheat export) ने भी इसका विरोध किया है.

गेहूं के दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल गिरे: रामपाल जाट ने कहा कि देश में खाद्यान्नों के भंडार 636.14 लाख टन होते हुए भी केंद्र सरकार ने विदेश व्यापार (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1992 का दुरुपयोग करते हुए देश की खाद्य सुरक्षा के नाम पर गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. जिससे गेहूं के दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल गिर गए और किसानों का घाटा बढ़ गया.

न्यूनतम समर्थन मूल्य भी प्राप्त नहीं होगा: जाट ने कहा कि अब किसानों को सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी प्राप्त नहीं हो सकेगा. अभी तक किसानों को एक क्विंटल पर 2200 से 2300 रुपये प्राप्त हो रहे थे जिससे लागत C-2 तो प्राप्त नहीं हो रही थी किन्तु घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो रहा था . जबकि देश में गेहूं का भंडारण भी 260 लाख टन की आवश्यकता के विरुद्ध 1 जनवरी 2022 को 330 लाख टन था , अभी मई माह में भी यह भण्डारण 303 लाख टन है.

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गरीबों की दृष्टि से तो निर्यात पर प्रतिबंध गलत: रामपाल जाट ने कहा कि गरीबों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत ₹2 किलो गेहूं या चावल प्राप्त करने का अधिकार है. गरीबों की दृष्टि से तो निर्यात पर प्रतिबंध की आवश्यकता ही नहीं थी, तब भी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और किसानों को गेहूं के लागत मूल्य से भी वंचित करने का काम किया. दूसरी और खेती में प्रयुक्त होने वाले डीजल में होने वाली निरंतर वृद्धि को नियंत्रित नहीं कर खेती की लागत बढ़ाने का काम किया है . इस में केंद्र सरकार की किसान विरोधी मानसिकता की झलक दिखाई देती है.

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यह लिया केंद्र सरकार ने फैसला: भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. इसके एक्सपोर्ट को अब 'प्रतिबंधित' सामानों की कैटेगरी में डाल दिया गया है. इसकी एक बड़ी वजह इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं के दामों में बेहताशा तेजी आना है . विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT)ने शुक्रवार शाम को एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर सरकार के इस फैसले की जानकारी दी. हालांकि निर्यात के जिन ऑर्डर के लिए 13 मई से पहले लेटर ऑफ क्रेडिट जारी हो चुका है, उनका एक्सपोर्ट करने की अनुमति होगी.

पड़ोसी और जरूरतमंद देशों का रखा ख्याल
सरकार ने देश में खाद्यान्न की कीमतों को कंट्रोल में रखने, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने और जरूरतमंद विकासशील और पड़ोसी देशों (खासकर श्रीलंका संकट को देखते हुए) का ख्याल रखते हुए भी ये फैसला किया है. सरकार ने अपने आदेश में साफ किया है कि गेहूं का निर्यात उन देशों के लिए संभव होगा, जिनके लिए भारत सरकार अनुमति देगी. इस संबंध में सरकार जरूरतमंद विकासशील देशों की सरकार के आग्रह के आधार पर फैसला लेगी ताकि वहां भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

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