जयपुर. किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा कि रबी की 6 उपजों में न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर केंद्र सरकार द्वारा स्वयं की पीठ थपथपाने की सार्थकता तब ही है, जब वह इन उपजों की दाने-दाने की खरीद ग्राम स्तर पर वर्षभर चालू रखे.
रामपाल जाट का कहेना है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने की घोषणा तब ही पूरी हो सकेगी. हालांकि यह सही है कि गेंहू में 50 रुपए, जो में 75 रुपए, सरसों और चना में 225 रुपए, मसूर में 300 रुपए और कुसुम में 112 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. वहीं उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि, यह अलग तथ्य है कि 1 वर्ष में खेती के काम आने वाले डीजल पर ही 15 रुपए से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 1 किलो की बढ़ोतरी मात्र 50 पैसे हुई है.
उन्होंने कहा कि, किसानों को भूल भुलैया में रखने के लिए 2008 में आरंभ इस योजना का नाम प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान रखा हुआ है. आश्चर्यजनक यह है कि, किसानों की आय पर कुल्हाड़ी चलाने को भी संरक्षण बताया जा रहा है. दूसरी ओर खरीफ फसलों में जिन 16 उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है, उनकी खरीद होने के कारण किसानों का अपना बाजरा 1100 रुपए प्रति क्विंटल से कम दामों पर बेचना पड़ रहा है, जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया हुआ है.
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रामपाल जाट ने कहा कि, ये स्थिति तो तब है जब देश का आधे से अधिक बाजरे का उत्पादन राजस्थान में होता है. इस वर्ष भी राजस्थान में 43,64,458 मीट्रिक टन बाजरा उत्पादन का अनुमान है. यही स्थिति मक्का, मूंग, उड़द जैसी उपजों की है, जिनको 1 क्विंटल पर 3000 रुपए तक घाटा उठाकर किसानों को बेचने को विवश होना पड़ रहा है.