जयपुर. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में चना खरीद को लेकर राजस्थान के साथ हो रही नाइंसाफी पर एक बार फिर किसान नेताओं ने नाराजगी जताई (non procurement of gram at MSP) है. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि केंद्र सरकार भेदभाव पूर्ण नीति के चलते राजस्थान के किसानों को इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है. केंद्र और राज्य की लड़ाई में प्रदेश के किसान पिछड़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री पर को लिखा था पत्र: रामपाल जाट ने कहा कि भारत सरकार ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान में दलहन और तिलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगा रखे हैं. जिनमें एक दिन में एक किसान से चना खरीद की अधिकतम मात्रा 25 क्विंंटल निर्धारित की हुई है, इसे 40 क्विंंटल कराने के लिए मध्य प्रदेश को 14 दिन में अनुमति दे दी गई. लेकिन राजस्थान पिछले 44 दिन इस राहत की उम्मीद लगाए बैठ है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान की ओर से किसान महापंचायत ने केंद्रीय कृषि मंत्री को 14 अप्रैल को पत्र भेजकर मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी 25 क्विंटल की मात्रा को 40 क्विंटल करने के लिए अनुरोध किया. जिस पर केंद्र के कृषि मंत्रालय की ओर से जवाब आया कि राजस्थान सरकार की ओर से डिमांड आने पर ही इस प्रकार का छुट का आदेश हो सकता है. केंद्र सरकार इस जवाब पर किसान महापंचायत की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री को 18 अप्रैल को पत्र दिया जिस पर राजस्थान सरकार की ओर से 4 मई को यानी 16 दिन पश्चात् केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को अर्ध शासकीय पत्र भेज दिया. उसके बावजूद केंद्र सरकार ने राजस्थान के किसानों को राहत नहीं दी.
केंद्र राज्य के झगड़े में किसान पिछड़ रहा: रामपाल जाट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की आपसी खींचतान का खामियाजा प्रदेश के किसानों को उठाना पड़ रहा है. राज्य में कांग्रेस की सरकार है और केंद्र में बीजेपी की सरकार. ऐसे में उन राज्यों को तो केंद्र सरकार राहत दे रही जहां पर बीजेपी की सरकार है. इसका उदाहरण है मध्य प्रदेश जहां पर चना की मात्रा को 40 क्विंटल की छूट दी हुई है. इसी तरह की छूट के लिए राजस्थान जिले डेढ़ महीने से इंतजार कर रहा है.
समान किसान समान अधिकार हो: रामपाल जाट ने कहा कि एक देश एक किसान तो फिर किसानों के अधिकार भी एक होने चाहिए. राजस्थान का किसान 44 दिन से केंद्र की मोदी सरकार से मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी 1 दिन में 40 क्विंटल खरीद की मांग कर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. यह बड़ा दुर्भाग्य है कि एक देश में किसानों को अलग-अलग नजर से सिर्फ और सिर्फ इसे देखा जा रहा है, क्योंकि इन राज्यों में अलग-अलग पार्टी की सरकार है. यह भेदभाव का परिणाम है, जिसके कारण राजस्थान के किसान पिछड़े हैं.