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पंचायती राज मंत्री के बयान और सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ सरपंचों ने निकाली रैली, 5 अगस्त को जयपुर में डालेंगे महापड़ाव

सरकार की ओर से वादाखिलाफी और पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा की इस्तीफे की मांग को लेकर सरपंचों ने प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर रैली निकाली और सीएम के नाम कलेक्टर को ज्ञापन (Rally of Sarpanchs in support of their demands) सौंपा. जयपुर में आयोजित रैली में जिला अध्यक्ष मेहर सिंह धनकड़ ने कहा कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई, तो जयपुर में 5 अगस्त को महापड़ाव डाल जाएगा.

Rally of Sarpanchs in support of their demands, ask resignation of minister Ramesh Meena
पंचायती राज मंत्री के बयान और सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ सरपंचों ने निकाली रैली, 5 अगस्त को जयपुर में डालेंगे महापड़ाव
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Published : Aug 1, 2022, 9:02 PM IST

जयपुर. पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के बयान और सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ सोमवार को प्रदेश भर में सरपंचों की ओर से प्रदर्शन किया गया और मुख्यमंत्री के नाम सभी जिला कलेक्टरों को ज्ञापन दिया गया. जयपुर में भी सरपंचों ने रैली निकालकर सरकार अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया. कुछ दिनों पहले पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने सरपंचों के खिलाफ एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बाड़मेर और नागौर में नरेगा में 300 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है और इसका आरोप मंत्री ने प्रदेश के सरपंचों पर लगाया था. तभी से पंचायती राज मंत्री के खिलाफ सरपंचों में आक्रोश है. वे पंचायती राज मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे (Sarpanchs demand resign of minister Ramesh Meena) हैं.

राजस्थान सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि 6 मार्च, 2021 को मुख्यमंत्री के साथ मांगों को पूरा करने के लिए समझौता किया गया था. वे मांगें आज तक लंबित पड़ी हैं. इसी तरह से 21 मार्च, 2022 को भी पंचायती राज मंत्री के साथ सरपंचों का समझौता हुआ था. उस समय 15 दिन में मांगों को पूरा करने के लिए मंत्री ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन आज तक सरपंचों की मांगों को पूरा करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके कारण प्रदेश के सरपंचों में आक्रोश व्याप्त है.

पढ़ें: पंचायती राज मंत्री रमेश कुमार मीणा के खिलाफ प्रदेश के सरपंच लामबंद, मीटिंग का किया बहिष्कार...मंत्री बोले दादागिरी से सरकार को नहीं झुका सकते

अपनी मांगों को पूरा करने और पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के इस्तीफे की मांग को लेकर सरपंचों ने पूरे प्रदेश में सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया है. सरपंचों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो 5 अगस्त को प्रदेशभर के सरपंच जयपुर में महापड़ाव डालेंगे जिसकी तैयारियां भी सरपंचों ने पूरी कर ली हैं. सरपंचों ने 36 मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है.

पढ़ें: आंदोलन की राह पर गांव की सरकार: 5 घंटे की वार्ता में नहीं बनी बात...11 हजार सरपंच 22 मार्च को करेंगे विधानसभा का घेराव

सरपंचों ने टेंडर प्रक्रिया में संशोधन, एनजीओ द्वारा ऑडिट जांच बंद करने और जांच पूर्व की भांति ही करवाए जाने, ग्रामीण जनता की सुविधा के लिए प्रचलित रास्तों, टांका, टंकी बोरिंग, हैंडपंप एवं पाइपलाइन के विकास कार्य 100 रुपए के सहमति पत्र के आधार पर करवाने की अनुमति देने की मांग की है. इसके अलावा महात्मा गांधी नरेगा सामग्री का बकाया भुगतान 7 दिन में जारी करने, राज्य वित्त आयोग की बकाया राशि और 15वें वित्त आयोग की बकाया राशि जारी करने की मांग की है. इसके अलावा महात्मा गांधी नरेगा योजना में मस्टरोल जारी करने के अधिकार ग्राम पंचायत स्तर पर दिए जाने, पंचायत में भुगतान प्रक्रिया का सरलीकरण करने की मांग की.

पढ़ें: करौली: सचिन पायलट और रमेश मीणा को हटाए जाने का कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया विरोध

जयपुर के जिला अध्यक्ष मेहर सिंह धनकड़ ने कहा कि पिछले लंबे समय से हमारी मांगे पूरी नहीं हो रही हैं और अब सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. 5 अगस्त को जयपुर में महापड़ाव डाला जाएगा जिसमें प्रदेशभर के सरपंच और वार्ड पंच शामिल होंगे. गढ़वाल ने कहा कि हम 2010 से सरपंचों की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन आज तक हमारी मांगे पूरी नहीं हुई हैं. जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तब तक हम यह लड़ाई जारी रखेंगे.

जयपुर. पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के बयान और सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ सोमवार को प्रदेश भर में सरपंचों की ओर से प्रदर्शन किया गया और मुख्यमंत्री के नाम सभी जिला कलेक्टरों को ज्ञापन दिया गया. जयपुर में भी सरपंचों ने रैली निकालकर सरकार अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया. कुछ दिनों पहले पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने सरपंचों के खिलाफ एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बाड़मेर और नागौर में नरेगा में 300 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है और इसका आरोप मंत्री ने प्रदेश के सरपंचों पर लगाया था. तभी से पंचायती राज मंत्री के खिलाफ सरपंचों में आक्रोश है. वे पंचायती राज मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे (Sarpanchs demand resign of minister Ramesh Meena) हैं.

राजस्थान सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि 6 मार्च, 2021 को मुख्यमंत्री के साथ मांगों को पूरा करने के लिए समझौता किया गया था. वे मांगें आज तक लंबित पड़ी हैं. इसी तरह से 21 मार्च, 2022 को भी पंचायती राज मंत्री के साथ सरपंचों का समझौता हुआ था. उस समय 15 दिन में मांगों को पूरा करने के लिए मंत्री ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन आज तक सरपंचों की मांगों को पूरा करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके कारण प्रदेश के सरपंचों में आक्रोश व्याप्त है.

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अपनी मांगों को पूरा करने और पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के इस्तीफे की मांग को लेकर सरपंचों ने पूरे प्रदेश में सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया है. सरपंचों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो 5 अगस्त को प्रदेशभर के सरपंच जयपुर में महापड़ाव डालेंगे जिसकी तैयारियां भी सरपंचों ने पूरी कर ली हैं. सरपंचों ने 36 मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है.

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सरपंचों ने टेंडर प्रक्रिया में संशोधन, एनजीओ द्वारा ऑडिट जांच बंद करने और जांच पूर्व की भांति ही करवाए जाने, ग्रामीण जनता की सुविधा के लिए प्रचलित रास्तों, टांका, टंकी बोरिंग, हैंडपंप एवं पाइपलाइन के विकास कार्य 100 रुपए के सहमति पत्र के आधार पर करवाने की अनुमति देने की मांग की है. इसके अलावा महात्मा गांधी नरेगा सामग्री का बकाया भुगतान 7 दिन में जारी करने, राज्य वित्त आयोग की बकाया राशि और 15वें वित्त आयोग की बकाया राशि जारी करने की मांग की है. इसके अलावा महात्मा गांधी नरेगा योजना में मस्टरोल जारी करने के अधिकार ग्राम पंचायत स्तर पर दिए जाने, पंचायत में भुगतान प्रक्रिया का सरलीकरण करने की मांग की.

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जयपुर के जिला अध्यक्ष मेहर सिंह धनकड़ ने कहा कि पिछले लंबे समय से हमारी मांगे पूरी नहीं हो रही हैं और अब सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. 5 अगस्त को जयपुर में महापड़ाव डाला जाएगा जिसमें प्रदेशभर के सरपंच और वार्ड पंच शामिल होंगे. गढ़वाल ने कहा कि हम 2010 से सरपंचों की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन आज तक हमारी मांगे पूरी नहीं हुई हैं. जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तब तक हम यह लड़ाई जारी रखेंगे.

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