जयपुर. सेना भर्ती से जुड़ी अग्निपथ योजना को लेकर हो रहे विरोध को थामना (Agneepath Yojana Protest) अब केंद्र सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. विरोध राजनीतिक दल कर रहे हैं और युवा इस योजना के खिलाफ सड़कों पर हैं. लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का कहना है कि ईडी में पेश होने की खबरें दब जाएं, इसके लिए ये पूरा बवाल किया जा रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में राठौड़ ने विरोध कर रहे युवाओं को नसीहत भी दी कि वे किसी का टूल ना बनें, वरना उन्हें सरकारी नौकरियों में इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
ईडी में पेश होने वालों की खबरें दब जाए इसलिए हो रहा बवालः ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि अग्निपथ योजना सेना भर्ती की एक बेहतर योजना है. जिसके जरिए पहले से 4 गुना अधिक भर्ती भारतीय सेना में हो सकेगी. लेकिन बिना जनाधार वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं. जो लोग भ्रष्टाचार के चलते (Rahul Gandhi ED Enquiry) ईडी में पेश हो रहे हैं, उनकी खबरें दब जाए, इसके लिए भी इस योजना पर इतना बवाल किया जा रहा है. राठौड़ का निशाना कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी पर था.
कई देशों में है यह व्यवस्था, अधिकारियों का होता है टेंपरेरी रिक्रूटमेंटः कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने यह भी कहा कि भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के कई ऐसे देश हैं जिसमें यह व्यवस्था चल रही है. जहां तक संविदा पर भर्ती की बात है तो भारतीय सेना में यह काम बहुत पहले से हो रहा है. राठौड़ ने कहा कि सेना में अधिकारियों को 4 से 5 साल का एक्सटेंशन इसके तहत दिया जाता रहा है. भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इजराइल एक छोटा सा देश है, लेकिन वहां 2 वर्ष तक सेना में अपना योगदान देना जरूरी है. उसमें से भी 2 फीसदी लोगों को ही आगे स्थाई कर भर्ती की जाती है. लेकिन भारत में भर्ती होने वाले युवाओं में से 25 फीसदी को आगे 15 साल के लिए एक्सटेंशन दिया जाएगा.
भारी बजट और फौज की औसतन आयु के कारण भर्ती योजना में हुआ परिवर्तनः भाजपा सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का सेना से पुराना जुड़ाव रहा है. यही कारण है कि जब उनसे संविदा के आधार पर सेना में भर्ती के कारण पूछे गए तो उन्होंने कहा कि आज देश की सेना और सुरक्षा में जो बजट लगता है, उसमें आधा बजट तो सेना के कर्मचारी और जवानों की तनख्वाह में चला जाता है. उसके बाद आज सेना को आधुनिक बनाया जाना जरूरी है. जिसमें बजट की भी आवश्यकता होती है.
राठौड़ ने कहा कि यह बजट केंद्र सरकार उपलब्ध कराती है. राठौड़ ने कहा कि आज सेना की औसत आयु 32 से 35 वर्ष रही है. इसलिए भी हमें सेना में युवा फौजी चाहिए, जो रिस्क लेने की स्थिति में हों. राठौड़ ने यह बात भी बेझिझक कही कि आज 35 वर्ष का फौजी रिस्क लेने से पहले सोचता है. लेकिन 17 से 23 साल का युवा फौजी देश के लिए रिस्क ले लेता है. यही कारण है कि हमें (Agnipath Army Recruitment Plan) सजावटी सेना नहीं, बल्कि युवा और जोशीले रिस्क लेने वाले युवाओं की सेना की जरूरत है. इसी लिहाज से यह योजना शुरू की गई है.
युवा टूल ना बने, वरना आ सकती है नौकरी में यह रुकावटः ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि इस योजना का विरोध कर रहे युवा उन जनाधार खो चुके नेताओं के टूल ना बनें जो उनका उपयोग कर रहे हैं. राठौड़ ने कहा कि 90 दिनों में सेना में भर्ती (Army Recruitment 2022 News) शुरू हो जाएगी. युवा उस पर ध्यान दें, क्योंकि भर्ती के दौरान पुलिस वेरिफिकेशन भी होता है, और यदि इस आंदोलन के दौरान किसी भी युवा के खिलाफ कोई मामला दर्ज हुआ तो फिर वो सरकारी नौकरी नहीं कर पाएगा. उसका करियर दांव पर लग जाएगा.
करोड़ों रुपये खर्च कर भी नहीं मिलती सेना की ट्रेनिंगः कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से जब पूछा गया कि सेना में संविदा पर भर्ती कितनी उचित है, तब राठौड़ ने कहा कि 4 साल के लिए युवाओं की भर्ती 1 तरीके से सेना की ट्रेनिंग ही है. इस ट्रेनिंग के साथ युवाओं को वेतन भी मिलेगा. राठौड़ ने कहा कि 17 से 23 साल के युवा अमूमन उस समय पढ़ाई करते हैं और ट्यूशन में अपनी जेब से पैसा खर्च करते हैं. लेकिन सेना भर्ती के दौरान उन्हें सेना से ट्रेनिंग मिलेगी जो करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी हर किसी को नहीं मिलती. साथ ही 4 साल में उसे जो वेतन मिलेगा वो अलग. राठौड़ ने कहा कि 4 साल बाद 25 फीसदी युवाओं को आगे एक्सटेंशन मिल जाएगा, लेकिन जो 75 फीसदी अग्निवीर बचेंगे वे अपने इस अनुभव के आधार पर पुलिस, बीएसएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की भर्ती में प्राथमिकता ले सकेंगे.