जयपुर: राजस्थान में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है, दूसरी और सियासी पारा भी चढ़ा अपने परवान पर है. पहले कोरोना महामारी के मुद्दे पर राज्य के दोनों प्रमुख दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने थे, वहीं अब राज्यसभा चुनाव को लेकर दोनों दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. ठकराव यहां तक पहुंच गया है कि विधायकों को तोड़ने के मुद्दे पर SOG तक में शिकायत दर्ज करवाई जा चुकी है.
कांग्रेस ने सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी पर अपने विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया है. वहीं, भाजपा ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी खुद की अंतर्कलह से जूझ रही है.
बहरहाल राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव 19 जून को होगा. भाजपा ने पहले केवल राजेन्द्र गहलोत को अपना प्रत्याशी बनाया था. बाद में पार्टी ने नामांकन के अंतिम दिन ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतारकर कांग्रेस में खलबली मचा दी. वहीं, बात अगर कांग्रेस की करें तो उसने केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को राजस्थान से अपना प्रत्याशी बनाया है.
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प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुले तौर पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उनकी सरकार को अस्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं राज्यसभा चुनावों को लेकर उनका कहना है कि उनके विधायकों को प्रलोभन दिए जा रहे हैं. भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
इन्हीं सब मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने बात की राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया से. पूनिया ने बातचीत के दौरान कांग्रेस सरकार को न केवल आड़े हाथों लिया बल्कि चुनावी रणनीति पर भी चर्चा की.
सतीश पूनिया ने कहा कि राज्यसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी डरी हुई है और आशंकित है. हमारे एक प्रत्याशी के फार्म भरने पर ही कांग्रेस ने अपने विधायकों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी. यह बताता है कि सरकार किस स्थिति में है.
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पूनिया ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राजस्थान में कोरोना से 294 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है और सरकार के लोग गाने गा रहे हैं, मौज-मस्ती कर रहे हैं. यह दर्शाता है कि सरकार आमजन की समस्याओं को लेकर कितनी सजग है.
राजस्थान में भाजपा-कांग्रेस के हाथ में क्या?
राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं. कांग्रेस के पास बहुजन समाज पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों समेत 107 विधायक हैं. वहीं सत्ताधारी दल को राज्य में 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है.
कांग्रेस ने चुनावी रणनीति को मजबूत करते हुए भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो विधायकों को पहले ही अपने साथ जोड़ लिया है, इसके अलावा उसे राष्ट्रीय लोकदल व माकपा के विधायकों का भी समर्थन है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलपी के 3 विधायकों का समर्थन प्राप्त है.