जयपुर. आनंदपाल सिंह एनकाउंटर प्रकरण को लेकर हाल ही में CBI ने अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें कुछ राजपूत नेताओं के नाम भी शामिल किए हैं. जिसे लेकर सर्व राजपूत संघर्ष समिति की ओर से प्रेस वार्ता आयोजित कर CBI जांच पर सवाल उठाए गए. साथ ही इसे पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का षड्यंत्र बताया गया.
सर्व समाज संघर्ष समिति के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और संघर्ष समिति के बीच 18 जुलाई 2017 को एक समझौते पत्र पर सहमति बनी थी. जिसके तहत आनंदपाल एनकाउंटर और 12 जुलाई को सांवराद में हुए घटनाक्रम संबंधी सभी प्रकरणों की जांच CBI से करवाए जाने पर सहमति बनी थी.
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ऐसे में संघर्ष समिति ने रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में पूर्ववर्ती सरकार पर सहमति पत्र से परे जाकर CBI जांच करवाने का आरोप लगाया है. संघर्ष समिति का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने CBI से FIR संख्या 115/ 17 पर जांच करवाई और बिना धरातल पर जांच करे CBI की ओर से चार्जशीट पेश की गई है.
जिसमें समाज के 24 लोगों को गैरकानूनी तरीके से फसाने का काम किया जा रहा है. जबकि पूर्ववर्ती सरकार से समझौता पत्र में आनंदपाल की मौत और सांवराद में हुए घटनाक्रम में सुरेंद्र सिंह की मौत संबंधी प्रकरणों में CBI जांच करवाने की मांग की गई थी.
आंदोलन की चेतावनी...
सर्व समाज संघर्ष समिति ने इस मामले को लेकर चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि राजपूत समाज के लोगों के साथ किसी तरह की कोई गैर कानूनी कार्रवाई हुई, तो समाज की ओर से आंदोलन किया जाएगा. इसे लेकर 12 जुलाई को एक बैठक भी सर्व राजपूत संघर्ष समिति की ओर से रखी गई है. जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.
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संघर्ष समिति ने बताया कि केंद्र सरकार और राज्य की कांग्रेस सरकार से उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग की है. इसे लेकर उन्होंने दोनों दल के नेताओं से संपर्क भी किया है.
CBI ने 24 नेताओं को माना दोषी...
आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद उसके पैतृक गांव सांवराद में दंगा भड़कने के मामले में सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है. सीबीआई ने आनंदपाल सिंह की पुत्री, वकील और राजपूत समाज के नेताओं को दंगे भड़काने और तत्काली एसपी पर जानलेवा हमला करने का दोषी माना हैं.