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ऊर्जा विकास निगम की ओर से अडानी पावर को 506 करोड़ रुपये लौटाने के नोटिस पर भड़की सियासत, राठौड़ ने लिखा CM को पत्र

राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की ओर से अडानी पावर को 506 करोड़ रुपए लौटाए जाने को लेकर दिए गए नोटिस पर सियासी बवाल शुरू हो गया है. मामले में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है.

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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र
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Published : Oct 31, 2021, 4:57 PM IST

जयपुर. राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की ओर से अडानी पावर को 506 करोड़ रुपये लौटाए जाने के दिए गए नोटिस पर सियासी बवाल शुरू हो गया है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मामले में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए पूर्व में बिजली उपभोक्ताओं से वसूले गए 2627 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं को पुनर्भरण करने की भी मांग की है.

रविवार को लिखे गए पत्र में राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा कि अडानी पावर और राजस्थान डिस्कॉम्स के बीच वर्ष 2010 में कवई में 1320 मेगावाट क्षमता की विद्युत उत्पादन का एमओयू हुआ था. इसके अर्न्तगत अडानी पावर को सरकारी स्तर पर कोयला नहीं मिलने से कंपनी की ओर से उर्जा विकास निगम के लिए मंहगी दरों पर विदेश (इन्डोनेशिया) से कोयला आयात कर विद्युत उत्पादन किया गया था.

पढ़ें. राठौड़ के सियासी कद को भाजपा नहीं करती स्वीकार, उनको बनाना चाहिए था प्रदेशाध्यक्ष, बन गए सतीश पूनिया: खाचरियावास

राज्य स्तर पर कोयला नहीं मिलने के कारण कंपनी ने विदेश और स्थानीय स्तर पर कंपनी में कोयला खरीदा. इससे कोयले की दरों में भारी अंतर आया जिसके के कारण मार्च 2021 में 5637 करोड़ रुपये का कंपनी की ओर से राजस्थान उर्जा उत्पादन निगम से क्लेम किया गया था. कंपनी के क्लेम का प्रकरण विभिन्न चरणों से गुजरता हुआ सर्वोच्च न्यायालय तक गया. राजस्थान उर्जा विकास निगम के उच्च अधिकारियों की अडानी पावर के साथ मिली भगत के कारण से सर्वोच्च न्यायालय में उचित पैरवी और तर्क पूर्ण कार्यवाही नहीं हो पाई. इसके कारण राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर अडानी पावर के क्लेम के 5637 करोड़ रुपये भुगतान का भार अनावश्यक रूप से आ गया.

आश्चर्य की बात है कि बिजली उत्पादन के बदले कोयला भुगतान के अतिरिक्त राशि के रूप में 4680 करोड़ रुपये का क्लेम और 1459 करोड़ रुपये का कोयला कैरिंग चार्ज के क्लेम की गणना को स्वीकार्य करने वाले तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत के पश्चात अब अडानी पावर के सभी क्लेम को खारिज कर राजस्थान डिस्काम को अडानी पावर की ओर से 506 करोड़ रुपये लौटाने का नोटिस दिया गया है. पिछले 36 महीनों में राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर 5 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दरों में वृद्धि का भार डाल राशि वसूली जा रही है. अबतक डिस्कॉम ने वसूल की गई राशि सहित 2627 करोड़ रुपये का भुगतान भी अडानी पावर को कर दिया है.

पढ़ें. एक बार फिर राजस्थान आ रहे हैं अजय माकन, मंत्रिमंडल पुनर्गठन और विस्तार की चर्चा तेज

राजेंद्र राठौड़ ने सवाल उठाया कि ऐसे में यक्ष प्रश्न यह उठता है कि राजस्थान उर्जा विकास निगम की ओर से जब 506 करोड़ रुपए अडानी पावर को लौटाने का नोटिस दिया है. तो 2627 करोड़ रुपये जो राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं से जजिया कर के रूप में अधिक वसूले गए हैं. उनके लिए उत्तरदायी कौन होगा ?

चूंकि राजस्थान उर्जा विकास निगम ने पूर्व में अडानी पावर के 5637 करोड़ रुपये के क्लेम को सिरे से खारिज करते हुए 506 करोड़ रुपये विद्युत उत्पादन कंपनी से वसूलने का निर्णय लिया है. इससे यह साबित होता है कि डिस्कॉम्स और राजस्थान उर्जा विकास निगम के अधिकारियों ने अडानी पावर से मिलीभगत कर राज्य के उपभोक्ताओं पर भार डाला है. 5637 करोड़ रुपये की विशाल राशि का भार डालने के षडयंत्र में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किया जना तर्कसंगत है.

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मुझे पूर्ण आशा है कि राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं से विगत 36 माह में वसूली गई 2627 करोड़ रुपये की राशि का पुनर्भरण उनके बिलों में किये जाने के आदेश शीघ्र जारी करेंगे. अडानी पावर से मिली भगत का षड्यंत्र रचने वाले अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार की आवश्यक कार्रवाई किए जाने के निर्देश जारी करेंगे.

जयपुर. राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की ओर से अडानी पावर को 506 करोड़ रुपये लौटाए जाने के दिए गए नोटिस पर सियासी बवाल शुरू हो गया है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मामले में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए पूर्व में बिजली उपभोक्ताओं से वसूले गए 2627 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं को पुनर्भरण करने की भी मांग की है.

रविवार को लिखे गए पत्र में राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा कि अडानी पावर और राजस्थान डिस्कॉम्स के बीच वर्ष 2010 में कवई में 1320 मेगावाट क्षमता की विद्युत उत्पादन का एमओयू हुआ था. इसके अर्न्तगत अडानी पावर को सरकारी स्तर पर कोयला नहीं मिलने से कंपनी की ओर से उर्जा विकास निगम के लिए मंहगी दरों पर विदेश (इन्डोनेशिया) से कोयला आयात कर विद्युत उत्पादन किया गया था.

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राज्य स्तर पर कोयला नहीं मिलने के कारण कंपनी ने विदेश और स्थानीय स्तर पर कंपनी में कोयला खरीदा. इससे कोयले की दरों में भारी अंतर आया जिसके के कारण मार्च 2021 में 5637 करोड़ रुपये का कंपनी की ओर से राजस्थान उर्जा उत्पादन निगम से क्लेम किया गया था. कंपनी के क्लेम का प्रकरण विभिन्न चरणों से गुजरता हुआ सर्वोच्च न्यायालय तक गया. राजस्थान उर्जा विकास निगम के उच्च अधिकारियों की अडानी पावर के साथ मिली भगत के कारण से सर्वोच्च न्यायालय में उचित पैरवी और तर्क पूर्ण कार्यवाही नहीं हो पाई. इसके कारण राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर अडानी पावर के क्लेम के 5637 करोड़ रुपये भुगतान का भार अनावश्यक रूप से आ गया.

आश्चर्य की बात है कि बिजली उत्पादन के बदले कोयला भुगतान के अतिरिक्त राशि के रूप में 4680 करोड़ रुपये का क्लेम और 1459 करोड़ रुपये का कोयला कैरिंग चार्ज के क्लेम की गणना को स्वीकार्य करने वाले तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत के पश्चात अब अडानी पावर के सभी क्लेम को खारिज कर राजस्थान डिस्काम को अडानी पावर की ओर से 506 करोड़ रुपये लौटाने का नोटिस दिया गया है. पिछले 36 महीनों में राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर 5 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दरों में वृद्धि का भार डाल राशि वसूली जा रही है. अबतक डिस्कॉम ने वसूल की गई राशि सहित 2627 करोड़ रुपये का भुगतान भी अडानी पावर को कर दिया है.

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चूंकि राजस्थान उर्जा विकास निगम ने पूर्व में अडानी पावर के 5637 करोड़ रुपये के क्लेम को सिरे से खारिज करते हुए 506 करोड़ रुपये विद्युत उत्पादन कंपनी से वसूलने का निर्णय लिया है. इससे यह साबित होता है कि डिस्कॉम्स और राजस्थान उर्जा विकास निगम के अधिकारियों ने अडानी पावर से मिलीभगत कर राज्य के उपभोक्ताओं पर भार डाला है. 5637 करोड़ रुपये की विशाल राशि का भार डालने के षडयंत्र में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किया जना तर्कसंगत है.

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