ETV Bharat / city

विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले हेमाराम चौधरी के त्यागपत्र मामले में लिया जाए निर्णय, राठौड़ ने लिखा विधानसभा सचिव को पत्र

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी के सदन के सदस्यता से त्याग पत्र के मामले में आगामी विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले इस मामले में निर्णय लिए जाने की मांग की है. इस संबंध में राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव को सोमवार को पत्र लिखा. राठौड़ ने हेमाराम के इस्तीफे के बाद की बैठक नहीं बुलाई जाने से हो रहे कार्य गतिरोध का भी हवाला इस पत्र में दिया.

Letter to the Assembly Secretary
राठौड़ ने लिखा विधानसभा सचिव को पत्र
author img

By

Published : Aug 16, 2021, 8:15 PM IST

जयपुर. राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की आंतरिक राजनीति, वरिष्ठता के आधार पर सम्मान नहीं मिलने व विकास कार्यों में हो रहे भेदभाव से आहत होकर कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक, पूर्व नेता प्रतिपक्ष व राजकीय उपक्रम समिति के लगातार दूसरी बार मनोनीत अध्यक्ष हेमाराम चौधरी ने दिनांक 18 मई को राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया व कार्य संचालन संबंधी नियम-173 के अंतर्गत माननीय अध्यक्ष महोदय को अपने दिये त्याग पत्र पर लगातार अनेकों बार समाचार पत्रों में टिप्पणी करते हुए उन्होंने यह कहा है कि वह अपने इस्तीफे पर अडिग हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है कि जब तक उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हो जाती तब तक वे अपना इस्तीफा वापिस नहीं लेंगे और राजकीय उपक्रम समिति की मीटिंग भी नहीं बुलाएंगे.

राठौड़ ने पत्र में कहा कि 15वीं विधानसभा का सातवां सत्र 9 सितंबर से आहुत हो रहा है. लेकिन हेमाराम चौधरी द्वारा भेजे गए त्याग पत्र के संबंध में आज 90 दिन बाद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है. लंबा अंतराल गुजरने के बाद भी श्री हेमाराम को विधानसभा सचिवालय द्वारा उनके इस्तीफे पर अब तो कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिससे प्रदेशभर में असमंजस पैदा हो गई है.

पढ़ें : विधानसभा सत्र को लेकर क्या है विपक्ष की तैयारी...कैसे घेरेगी गहलोत सरकार को, सुनिये कटारिया ने क्या कहा

राठौड़ ने कहा कि विडंबना है कि हेमाराम चौधरी को उनके द्वारा सार्वजनिक रूप से मना किए जाने के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा राजकीय उपक्रम समिति का पुनः सभापति मनोनीत किया गया. जिसके बाद चौधरी द्वारा समिति की बैठकों में न तो रूचि ली जा रही है और न ही लम्बे समय से बैठक बुलायी जा रही है.

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों में भी हेमाराम द्वारा कहा जा रहा है कि उनका राजकीय उपक्रम समिति से कोई लेना-देना नहीं है और पूर्व में विधानसभा की सदस्यता से दिये गये त्याग पत्र पर अडिग हैं. इससे साबित होता है कि हेमाराम की इच्छा के विपरीत जाकर जबरन उन्हें सभापति बनाने का प्रस्ताव सरकारी मुख्य सचेतक द्वारा विधानसभा स्पीकर को प्रेषित कर कांग्रेस पार्टी में संभावित विद्रोह को दबाने का प्रयास किया गया. जिसका नकारात्मक प्रभाव अब राजकीय उपक्रम समिति के कार्यों पर पड़ रहा है.

जयपुर. राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की आंतरिक राजनीति, वरिष्ठता के आधार पर सम्मान नहीं मिलने व विकास कार्यों में हो रहे भेदभाव से आहत होकर कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक, पूर्व नेता प्रतिपक्ष व राजकीय उपक्रम समिति के लगातार दूसरी बार मनोनीत अध्यक्ष हेमाराम चौधरी ने दिनांक 18 मई को राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया व कार्य संचालन संबंधी नियम-173 के अंतर्गत माननीय अध्यक्ष महोदय को अपने दिये त्याग पत्र पर लगातार अनेकों बार समाचार पत्रों में टिप्पणी करते हुए उन्होंने यह कहा है कि वह अपने इस्तीफे पर अडिग हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है कि जब तक उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हो जाती तब तक वे अपना इस्तीफा वापिस नहीं लेंगे और राजकीय उपक्रम समिति की मीटिंग भी नहीं बुलाएंगे.

राठौड़ ने पत्र में कहा कि 15वीं विधानसभा का सातवां सत्र 9 सितंबर से आहुत हो रहा है. लेकिन हेमाराम चौधरी द्वारा भेजे गए त्याग पत्र के संबंध में आज 90 दिन बाद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है. लंबा अंतराल गुजरने के बाद भी श्री हेमाराम को विधानसभा सचिवालय द्वारा उनके इस्तीफे पर अब तो कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिससे प्रदेशभर में असमंजस पैदा हो गई है.

पढ़ें : विधानसभा सत्र को लेकर क्या है विपक्ष की तैयारी...कैसे घेरेगी गहलोत सरकार को, सुनिये कटारिया ने क्या कहा

राठौड़ ने कहा कि विडंबना है कि हेमाराम चौधरी को उनके द्वारा सार्वजनिक रूप से मना किए जाने के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा राजकीय उपक्रम समिति का पुनः सभापति मनोनीत किया गया. जिसके बाद चौधरी द्वारा समिति की बैठकों में न तो रूचि ली जा रही है और न ही लम्बे समय से बैठक बुलायी जा रही है.

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों में भी हेमाराम द्वारा कहा जा रहा है कि उनका राजकीय उपक्रम समिति से कोई लेना-देना नहीं है और पूर्व में विधानसभा की सदस्यता से दिये गये त्याग पत्र पर अडिग हैं. इससे साबित होता है कि हेमाराम की इच्छा के विपरीत जाकर जबरन उन्हें सभापति बनाने का प्रस्ताव सरकारी मुख्य सचेतक द्वारा विधानसभा स्पीकर को प्रेषित कर कांग्रेस पार्टी में संभावित विद्रोह को दबाने का प्रयास किया गया. जिसका नकारात्मक प्रभाव अब राजकीय उपक्रम समिति के कार्यों पर पड़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.