जयपुर. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कांग्रेस पार्टी द्वारा स्वयंभू किसान हितैषी बनकर केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ राजभवन का घेराव करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कृषि कानूनों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने 4 सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो सरकार और किसानों का पक्ष समझते हुए न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसके पश्चात भी कांग्रेस पार्टी राजभवन का घेराव कर संविधान को न केवल गहरी चोट पहुंचाने का काम कर रही है, बल्कि न्याय पालिका के फैसले पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है.
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कृषि कानूनों को लेकर CM @ashokgehlot51 सर्वोच्च न्यायालय से कई बार हस्तक्षेप करने की गुहार लगा चुके हैं। जब न्यायालय ने संविधान प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए कृषि कानूनों के संबंध में कमेटी गठित कर दी है तो अब कांग्रेस का धरने-प्रदर्शन का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। (2/4)
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">कृषि कानूनों को लेकर CM @ashokgehlot51 सर्वोच्च न्यायालय से कई बार हस्तक्षेप करने की गुहार लगा चुके हैं। जब न्यायालय ने संविधान प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए कृषि कानूनों के संबंध में कमेटी गठित कर दी है तो अब कांग्रेस का धरने-प्रदर्शन का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। (2/4)
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राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि केन्द्रीय कृषि कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सर्वोच्च न्यायालय से कई बार हस्तक्षेप करने की गुहार लगा चुके हैं. जब सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान प्रदत्त अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए कृषि कानूनों के संबंध में कमेटी गठित कर दी है, तो अब कांग्रेस का धरने-प्रदर्शन का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. कांग्रेस के इस कृत्य से यह सिद्ध होता है कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा ही नहीं है. न्यायपालिका के फैसले के विपरीत कांग्रेस का धरना-प्रदर्शन व राजभवन घेराव की नौटंकी संविधान की मर्यादाओं को तार-तार करने के समान है.
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न्यायपालिका के फैसले के विपरीत कांग्रेस का धरना-प्रदर्शन व राजभवन घेराव की नौटंकी संविधान की मर्यादाओं को तार-तार करने के समान है। कांग्रेस के इस कृत्य से यह सिद्ध होता है कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा ही नहीं है। (3/4)
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">न्यायपालिका के फैसले के विपरीत कांग्रेस का धरना-प्रदर्शन व राजभवन घेराव की नौटंकी संविधान की मर्यादाओं को तार-तार करने के समान है। कांग्रेस के इस कृत्य से यह सिद्ध होता है कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा ही नहीं है। (3/4)
— Rajendra Rathore (@Rajendra4BJP) January 15, 2021न्यायपालिका के फैसले के विपरीत कांग्रेस का धरना-प्रदर्शन व राजभवन घेराव की नौटंकी संविधान की मर्यादाओं को तार-तार करने के समान है। कांग्रेस के इस कृत्य से यह सिद्ध होता है कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा ही नहीं है। (3/4)
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राठौड़ ने कहा कि देश में 52 वर्षों तक शासन करने वाली कांग्रेस ने किसानों के अधिकार व उनके हितों के बारे में कुछ नहीं किया है. अगर कांग्रेस पार्टी किसानों के हितों के बारे में सोचती तो उन्हें आज किसान अधिकार दिवस का आयोजन कर स्वयं को उनका हितैषी सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. किसानों को धोखा दे रही कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में किसानों के बारे में की गई घोषणाओं पर अब यू-टर्न लेते हुए अपने ही घोषणा पत्र को गलत साबित करने में लगी हुई है.
साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने किसानों के हित में इतने क्रांतिकारी व कल्याणकारी कदम उठाए हैं, जितने पहले किसी सरकार ने नहीं उठाए. वर्ष 2008 में तत्कालीन यूपीए शासन के कालखंड में किसानों पर 6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, लेकिन किसानों को अंधेरे में रखते हुए महज 52 हजार करोड़ रुपये की ही कर्जमाफी की गई, वह भी भारी अनियमितता की भेंट चढ़ गई थी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों को कर्जमाफी के नाम पर सिर्फ धोखा देने का ही काम किया है, जो आज भी अनवरत जारी है. वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में केन्द्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि के तहत बिचौलियों को समाप्त कर किसानों को सीधे बैंक खातों में 6 हजार रुपये प्रतिवर्ष प्रदान कर उन्हें स्वावलंबी और सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है.