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केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर राजेंद्र राठौड़ ने सीएम गहलोत पर साधा निशाना - Rajasthan News

गहलोत सरकार की ओर से कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर के पहले सप्ताह में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के फैसले का उपनेता प्रतिपक्ष ने विरोध किया है. राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि, वह अपने आकाओं को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. भाजपा इसका विरोध करेगी.

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राजेन्द्र राठौड़ का बयान
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Published : Oct 22, 2020, 1:49 AM IST

जयपुर. विधानसभा प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है. राठौड़ ने राज्य कैबिनेट मीटिंग में केन्द्र सरकार की ओर से पारित किए गए 3 ऐतिहासिक कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर माह में राजस्थान विधानसभा में विशेष सत्र आहूत कर प्रस्ताव पारित करने के निर्णय को संघीय ढांचे को कमजोर करने और संविधान की आत्मा पर चोट पहुंचाने वाला बताया है. साथ ही कहा कि भाजपा इसका कड़ा विरोध करेगी.

राठौड़ ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के हित में संसद में पारित किए गए तीन ऐतिहासिक कृषि विधेयक जो अब कानून का स्वरूप ले चुके हैं, 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020' के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने से पहले राज्य सरकार विधिसम्मत लाये गए कृषि कानूनों की विषय सामग्री और अन्तर्वस्तु का गहराई से अध्ययन करें तो बेहतर होगा.

ये पढ़ें: पंजाब के बाद अब राजस्थान भी लाएगा केंद्र सरकार के किसान बिलों को प्रभावहीन करने के लिए विधेयक

राठौड़ ने कहा कि सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस शासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए, कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक लाने के के निर्देश के बाद अशोक गहलोत विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना चाहते हैं. ऐसा करके वह दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के समक्ष नंबर बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. जबकि सार्वभौमिक सत्य है कि बिना अध्ययन किए जल्दबाजी में लिया गया हर फैसला आत्मघाती ही साबित होता है.

राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस शासित पंजाब सरकार की ओर से कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक पास किए बाद अब राजस्थान में राज्य सरकार संघवाद के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करना चाह रही है. जिसका भारतीय जनता पार्टी राजस्थान विधानसभा में इसका कड़ा विरोध करेगी. राठौड़ ने कहा कि दशकों से किसानों का शोषण करने और उन्हें अंधकार में रखकर वोट लेने वाली कांग्रेस सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कृषकों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है. जबकि इन नए कृषि कानूनों का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कोई लेना-देना नहीं है. स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्रियों की ओर से सार्वजनिक रूप से यह कहा जा रहा है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है और भविष्य में दिया जाता रहेगा.

ये पढ़ें: गहलोत सरकार का बड़ा फैसला, कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर के पहले सप्ताह में बुलाएगी विधानसभा का विशेष सत्र

राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने का निर्णय इसका प्रमाण है कि केन्द्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को बंद नहीं कर रही है. यदि नये प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की नीयत है तो सरकार भुगतान राशि के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार राशि के मध्य की अंतर की राशि देने की घोषणा करें.

राठौड़ ने कहा कि मोदी सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा में विशेष सत्र के माध्यम से नया प्रस्ताव लाने वाले कांग्रेस के ये लोग किसानों की खुशहाली और उनकी उपज के सही मूल्य के विरोधी हैं. यह लोग नहीं चाहते कि देश का पेट भरने वाला अन्नदाता कभी उनके समान समृद्ध और सशक्त हो पाए. केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कानूनों में ऐतिहासिक सुधार का ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाया है, जिसे पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने कभी किसान हित में ऐसा कदम उठाने की हिम्मत तक नहीं की. राठौड़ ने कहा कि वास्तविक रूप से वैकल्पिक व्‍यापार चैनल उपलब्ध होने से किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेंगे और अंतरराज्‍यीय व राज्‍य में व्यापार सरल होगा.

जयपुर. विधानसभा प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है. राठौड़ ने राज्य कैबिनेट मीटिंग में केन्द्र सरकार की ओर से पारित किए गए 3 ऐतिहासिक कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर माह में राजस्थान विधानसभा में विशेष सत्र आहूत कर प्रस्ताव पारित करने के निर्णय को संघीय ढांचे को कमजोर करने और संविधान की आत्मा पर चोट पहुंचाने वाला बताया है. साथ ही कहा कि भाजपा इसका कड़ा विरोध करेगी.

राठौड़ ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के हित में संसद में पारित किए गए तीन ऐतिहासिक कृषि विधेयक जो अब कानून का स्वरूप ले चुके हैं, 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020' के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने से पहले राज्य सरकार विधिसम्मत लाये गए कृषि कानूनों की विषय सामग्री और अन्तर्वस्तु का गहराई से अध्ययन करें तो बेहतर होगा.

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राठौड़ ने कहा कि सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस शासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए, कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक लाने के के निर्देश के बाद अशोक गहलोत विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना चाहते हैं. ऐसा करके वह दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के समक्ष नंबर बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. जबकि सार्वभौमिक सत्य है कि बिना अध्ययन किए जल्दबाजी में लिया गया हर फैसला आत्मघाती ही साबित होता है.

राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस शासित पंजाब सरकार की ओर से कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक पास किए बाद अब राजस्थान में राज्य सरकार संघवाद के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करना चाह रही है. जिसका भारतीय जनता पार्टी राजस्थान विधानसभा में इसका कड़ा विरोध करेगी. राठौड़ ने कहा कि दशकों से किसानों का शोषण करने और उन्हें अंधकार में रखकर वोट लेने वाली कांग्रेस सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कृषकों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है. जबकि इन नए कृषि कानूनों का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कोई लेना-देना नहीं है. स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्रियों की ओर से सार्वजनिक रूप से यह कहा जा रहा है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है और भविष्य में दिया जाता रहेगा.

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राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने का निर्णय इसका प्रमाण है कि केन्द्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को बंद नहीं कर रही है. यदि नये प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की नीयत है तो सरकार भुगतान राशि के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार राशि के मध्य की अंतर की राशि देने की घोषणा करें.

राठौड़ ने कहा कि मोदी सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा में विशेष सत्र के माध्यम से नया प्रस्ताव लाने वाले कांग्रेस के ये लोग किसानों की खुशहाली और उनकी उपज के सही मूल्य के विरोधी हैं. यह लोग नहीं चाहते कि देश का पेट भरने वाला अन्नदाता कभी उनके समान समृद्ध और सशक्त हो पाए. केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कानूनों में ऐतिहासिक सुधार का ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाया है, जिसे पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने कभी किसान हित में ऐसा कदम उठाने की हिम्मत तक नहीं की. राठौड़ ने कहा कि वास्तविक रूप से वैकल्पिक व्‍यापार चैनल उपलब्ध होने से किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेंगे और अंतरराज्‍यीय व राज्‍य में व्यापार सरल होगा.

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