जयपुर. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दो वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि सुधार कानूनों और कांग्रेस सरकार के अस्थिर होने को लेकर राष्ट्रपति और राज्यपाल महोदय की कार्यप्रणाली को लेकर की गई टिप्पणी को निंदनीय बताया. कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे माननीयों के खिलाफ अशिष्ट आचरण का बयान देना संसदीय मर्यादाओं के विपरीत है और यह मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता है.
राठौड़ ने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति और राज्यपाल को लेकर मुख्यमंत्री के शब्दों का चयन और उनकी भाव-भंगिमा असंसदीय व लोकतंत्र को कमजोर करने वाली है. यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री ने माननीयों के खिलाफ बयानबाजी की हो, इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री गहलोत ने मीडिया के सामने लोकतंत्र की मर्यादाओं को तार-तार करते हुए कहा था कि अगर जनता राजभवन घेर लेती है, तो उनकी जिम्मेदारी नहीं होगी. माननीयों के खिलाफ लगातार ऐसी बयानबाजी करके अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद की गरिमा को गंभीर ठेस पहुंचा रहे हैं.
राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री ने दो वर्ष की उपलब्धियों के नाम पर मीडिया के समक्ष अपने मुंह-मियां मिट्ठू बनने का काम किया है. स्थानीय नगर निकाय चुनावों में सत्ता का जमकर दुरुपयोग और धांधली कर छद्म जीत का दावा करने वाली गहलोत सरकार को यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पन्न हुए पंचायती राज चुनावों में बुरी तरह त्रस्त हो चुकी जनता ने उन्हें आईना दिखाया है और दो वर्ष के कुशासन पर लोकतांत्रिक ढंग से मुहर भी लगाई थी.
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राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के आधिकारिक आंकड़ों को झूठा सिद्ध करने के लिए उन पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए जर्जर कानून व्यवस्था की तस्वीर को धुंधला करने और न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करने का कुत्सित प्रयास किया है. राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस का दो वर्षीय कार्यकाल किसान, युवा, महिला, गरीब, दिव्यांग और अन्य सभी वर्गों की अनदेखी की उपलब्धियों से भरा हुआ है.
इसके विपरीत मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की नाकामियों को छिपाते हुए ऐसी मनगढ़ंत बातों की तस्वीर बढ़ा-चढ़ाकर मीडिया के समक्ष रखी जिसका हकीकत से कोई वास्ता नहीं ही नहीं है. कांग्रेस सरकार युवाओं को रोजगार देने या आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोई कार्य नही कर पाई, इसी का नतीजा है कि प्रदेश का युवा अभी भी बेरोजगारी भत्ते के इंतजार में है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में बेरोजगारी की दर 15.3 फीसदी रही जो देश में दूसरे स्थान पर है.
राठौड़ ने कहा कि बेहतर होता कि मीडिया से संवाद के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने, बिजली दरों में कमी करने, किसानों की कर्जमाफी करने, भ्रष्टाचार पर कोई ठोस नीति अपनाने और राज्य में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा करते और नये विकास कार्यों की घोषणा करके जनता को लाभान्वित करने का प्रयास करते हैं. राठौड़ ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आपसी विद्रोह और अंर्तद्वंद्व से जूझती कांग्रेस सरकार को नहीं संभाल पाने का ठीकरा एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी पर फोड़ना उनकी हताशा और कुंठा को प्रदर्शित कर रहा है.
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राठौड़ ने कहा कि दिसंबर 2018 में सत्ता में आसीन हुई कांग्रेस सरकार के गठित होने से लेकर दो वर्ष पूर्ण होने के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी के कुनबे में कोल्ड वॉर की जो स्थिति बनी रही वो जगजाहिर है. सर्वप्रथम मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी के बीच अंदरूनी झगड़ा, फिर डिप्टी सीएम और अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी विधायकों द्वारा अपनी ही सरकार की नाकामियों को मीडिया और जनता के समक्ष समय-समय पर उजागर करना, पांच सितारा होटल में कैद सरकार को बचाने की जुगत में लगे सीएम अशोक गहलोत जी का मीडिया के समक्ष 18 महीने से मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के बीच में बात नहीं होने का कबूलनामा करने सहित अन्य घटनाक्रम इस बात को पुख्ता करते है कि कांग्रेस शुरुआत से ही अपना घर संभाल पाने में अक्षम है और पार्टी में विद्रोह व अंतर्कलह उनकी गलत नीतियों के कारण ही है.