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कोरोना काल में गौशालाओं के बढ़े हुए बिजली बिल देखकर भड़के राजेंद्र राठौड़

कोरोना काल में आए गौशालाओं के बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. राठौड़ ने मौजूदा समय में गौशालाओं को राहत देते हुए बड़े हुए फ्यूल और फिक्स्ड चार्जेस वापस लेने के लिए राज्य सरकार से मांग की है.

Rajendra Rathore Target Gehlot Government, Electricity Bill of Gaushalas
कोरोना काल में गौशालाओं के बढ़े हुए बिजली बिल देखकर भड़के राठौड़
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Published : Jun 8, 2020, 6:58 PM IST

जयपुर. कोरोना संकट काल के दौरान प्रदेश की गौशालाओं के हाल ही में आए बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. राठौड़ ने मौजूदा समय में प्रदेश की गौशालाओं को राहत देते हुए बड़े हुए फ्यूल और फिक्स्ड चार्जेस वापस लेना और पिछली भाजपा सरकार के दौरान गौशालाओं को लेकर लिए गए निर्णय के अनुरूप ही बिजली का बिल रोपित किए जाने की मांग की है.

राजेंद्र राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि पूर्व में तत्कालीन सरकार की ओर से 23 नवंबर, 2005 से पंजीकृत गौशाला, मंदिर, धर्मशाला और विद्यालयों से घरेलू विद्युत दरों की आधी 50 प्रतिशत दरों से बिल लिए जाने का नीतिगत निर्णय लिया गया था. जिसे मौजूदा सरकार ने बदलकर नए टैरिफ प्लान 2020 में इसे बढ़ाकर शत प्रतिशत घरेलू दर और बढ़े हुए फिक्स चार्ज, फ्यूल चार्ज की राशि के साथ फरवरी माह के विद्युत बिलों में जोड़कर मई में वसूले जाने का निर्णय किया है, जो पूर्ण रूप से अव्यावहारिक है. राठौड़ ने कहा कि इस निर्णय से राज्य में गौशाला, मंदिर, धर्मशाला और विद्यालयों के संचालन पर अनावश्यक भार पड़ेगा, जिससे इनका सुचारू रूप से संचालन किया जाना बेहद कठिन हो जाएगा. ऐसे में राज्य सरकार बढ़ी हुई विद्युत दरें और चार्ज की राशि को तत्काल प्रभाव से वापस ले.

पढ़ें- अब राज्य ने किया रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय से सौर ऊर्जा का टारगेट बढ़ाने का आग्रह

राठौड़ ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में गौशालाओं को भामाशाह से मिलने वाले सहयोग में अत्याधिक कमी आई है. वहीं राज्य सरकार की ओर से मात्र पंजीकृत गौशालाओं में न्यूनतम 200 पशुधन होने पर ही अनुदान दिए जाने की नीति के कारण हजारों पंजीकृत गौशालाओं का संचालन पूर्व से ही करना कठिन हो गया था.

जयपुर. कोरोना संकट काल के दौरान प्रदेश की गौशालाओं के हाल ही में आए बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. राठौड़ ने मौजूदा समय में प्रदेश की गौशालाओं को राहत देते हुए बड़े हुए फ्यूल और फिक्स्ड चार्जेस वापस लेना और पिछली भाजपा सरकार के दौरान गौशालाओं को लेकर लिए गए निर्णय के अनुरूप ही बिजली का बिल रोपित किए जाने की मांग की है.

राजेंद्र राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि पूर्व में तत्कालीन सरकार की ओर से 23 नवंबर, 2005 से पंजीकृत गौशाला, मंदिर, धर्मशाला और विद्यालयों से घरेलू विद्युत दरों की आधी 50 प्रतिशत दरों से बिल लिए जाने का नीतिगत निर्णय लिया गया था. जिसे मौजूदा सरकार ने बदलकर नए टैरिफ प्लान 2020 में इसे बढ़ाकर शत प्रतिशत घरेलू दर और बढ़े हुए फिक्स चार्ज, फ्यूल चार्ज की राशि के साथ फरवरी माह के विद्युत बिलों में जोड़कर मई में वसूले जाने का निर्णय किया है, जो पूर्ण रूप से अव्यावहारिक है. राठौड़ ने कहा कि इस निर्णय से राज्य में गौशाला, मंदिर, धर्मशाला और विद्यालयों के संचालन पर अनावश्यक भार पड़ेगा, जिससे इनका सुचारू रूप से संचालन किया जाना बेहद कठिन हो जाएगा. ऐसे में राज्य सरकार बढ़ी हुई विद्युत दरें और चार्ज की राशि को तत्काल प्रभाव से वापस ले.

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राठौड़ ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में गौशालाओं को भामाशाह से मिलने वाले सहयोग में अत्याधिक कमी आई है. वहीं राज्य सरकार की ओर से मात्र पंजीकृत गौशालाओं में न्यूनतम 200 पशुधन होने पर ही अनुदान दिए जाने की नीति के कारण हजारों पंजीकृत गौशालाओं का संचालन पूर्व से ही करना कठिन हो गया था.

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