जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को शून्य काल में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए यमुना नदी के सर प्लस पानी में से राजस्थान के हिस्से का पानी दिलवाने के लिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाया. इस दौरान राजेंद्र राठौड़ ने यह भी कहा कि सदन में सर्वसम्मति से संकल्प पारित करें और हम सब मिलकर राजस्थान के हिस्से का पानी राजस्थान को दिलाने का प्रयास करें.
बता दें, शून्यकाल में लगाए इस प्रस्ताव पर बोलते हुए राठौड़ ने कहा कि 12 मई 1994 में पांच राज्यों के बीच में समझौता हुआ था, जिसमें यमुना के सर प्लस पानी में से 1.119 डीसीएम हिस्से का पानी राजस्थान को आवंटित हुआ था और उसके क्रियान्वयन के लिए अपर यमुना बोर्ड भी बना, लेकिन इतने साल गुजर जाने के बावजूद राजस्थान को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल पाया. राठौड़ ने कहा कि चूरू और झुंझुनूं में 1 लाख 96 हजार हेक्टेयर की सिंचाई के लिए और सीकर में फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या से मुक्ति के लिए यह पानी दिया जाना था. वहीं, भरतपुर में भी कुछ पानी दिया जाना था, लेकिन इतने साल बाद राजस्थान को उसका हक नहीं मिल पाया.
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राठौड़ ने यह भी कहा कि यकीनन हरियाणा में भाजपा की सरकार है, लेकिन जब बात राजस्थान के हित की हो तो हम सब एक हैं. राठौड़ ने सुझाव दिया कि सदन में इस संबंध में एक संकल्प पारित करें और हम सब मिलकर जहां भी जाना हो वहां जाकर अपनी बात रखें, ताकि सर प्लस पानी राजस्थान के हिस्से में आ सके.
सभी प्रकार के जल विवाद निपटाने के लिए हो संकल्प पारितः कटारिया
इस मामले में सदन में मौजूद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि न केवल यमुना के सर प्लस पानी का विवाद, बल्कि राजस्थान में कई अंतर राज्य जल समझौता विवादों में है और राजस्थान को अपने हक का पानी नहीं मिल पा रहा है. कटारिया ने कहा कि चाहे बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस की हम सब राजस्थान के हिस्से का पानी राजस्थान की जनता को मिल सके इसके लिए एकजुट हैं और उन तमाम योजनाओं को एकजुट करते हुए एक प्रस्ताव बनाकर सत्र के दौरान संकल्प और प्रस्ताव रखा जाए और फिर जहां जरूरत हो हम मिलकर चलने को तैयार हैं.
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हरियाणा नहीं कर रहा सहयोग, सर्वे भी नहीं करने दियाः जलदाय मंत्री
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब पर बोलते हुए जलदाय मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला ने कहा कि यमुना के सर प्लस पानी को लेकर राजस्थान को जल आवंटित हुआ था, उसको लेकर केंद्रीय जल आयोग ने 2003 में अपनी स्वीकृति भी दे दी थी, लेकिन हरियाणा की सरकार से इस मामले में सहमति नहीं मिल पाई और ना ही राजस्थान को अपने हक का पानी मिल पाया. सर प्लस पानी राजस्थान पाइप लाइन के जरिए लाने की योजना भी बनाई और सैद्धांतिक स्वीकृति मिली, इसकी संशोधित डीपीआर भी बनाई गई और केंद्रीय जल आयोग के समक्ष साल 2021 में ही इसका प्रेजेंटेशन भी दिया गया, लेकिन हरियाणा की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा. स्थिति यह है कि इस काम के सर्वे के लिए हरियाणा ने स्वीकृति तक नहीं दी. ऐसे में हेलीकॉप्टर के जरिए डीपीआर के लिए सर्वे का काम करवाया गया.