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High Court: Rajendra Mirdha Kidnapping Case के अभियुक्त हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड (Rajendra Mirdha Kidnapping Case) के अभियुक्त हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश हरनेक सिंह की पैरोल याचिका पर दिए.

Rajendra Mirdha Kidnapping Case, Rajasthan High Court order
Rajasthan High Court
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Published : Nov 30, 2021, 11:59 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्रदेश के चर्चित राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड (Rajendra Mirdha Kidnapping Case) के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने पैरोल कमेटी में गत 14 जुलाई के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने हरनेक सिंह को पैरोल पर रिहा करने से इनकार कर दिया था.

जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश हरनेक सिंह की पैरोल याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि स्थाई पैरोल के दौरान यदि याचिकाकर्ता किसी अवांछित गतिविधि में शामिल होता है तो स्थाई पैरोल को वापस लेकर उसकी शेष सजा पूरी कराई जा सकती है.

पढ़ें- Rajasthan high court notice: अवमानना याचिका में निदेशक और आयुक्त को पक्षकार बनाकर दिया नोटिस

याचिका में कहा गया कि मामले में उसे 6 अक्टूबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. वह करीब 15 साल पांच महीने से जेल में बंद है. उसे प्रथम और द्वितीय पैरोल के अलावा कोरोना में स्पेशल पैरोल पर भी रिहा किया गया था. पैरोल की रिहाई का उनसे कोई दुरुपयोग नहीं किया और तय समय पर वापस जेल में समर्पण भी किया था. वहीं, जेल में इसका चाल चलन भी संतोषजनक है. याचिकाकर्ता की ओर से पैरोल कमेटी के समक्ष स्थाई पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, लेकिन कमेटी ने सिर्फ इस आधार पर प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया की उसे मिर्धा अपहरण कांड में सजा हुई थी. ऐसे में उसे स्थाई पैरोल पर रिहा किया जाए.

गौरतलब कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा (Former Union Minister Ram Niwas Mirdha) के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का 17 फरवरी 1995 को सी-स्कीम स्थित घर से अपहरण हो गया था. आतंकियों ने मिर्धा का अपहरण खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्रपाल सिंह भुल्लर को रिहा करने के लिए किया था. मामले में दयासिंह को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को पांच साल की सजा हुई थी. वहीं, पंजाब पुलिस ने हरनेक सिंह को वर्ष 2004 में गिरफ्तार कर फरवरी 2007 में राजस्थान पुलिस को सौंपा था. अदालत ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जबकि एक आरोपी नवनीत कादिया की मौके पर एनकाउंटर में मौत हुई थी.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्रदेश के चर्चित राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड (Rajendra Mirdha Kidnapping Case) के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने पैरोल कमेटी में गत 14 जुलाई के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने हरनेक सिंह को पैरोल पर रिहा करने से इनकार कर दिया था.

जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश हरनेक सिंह की पैरोल याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि स्थाई पैरोल के दौरान यदि याचिकाकर्ता किसी अवांछित गतिविधि में शामिल होता है तो स्थाई पैरोल को वापस लेकर उसकी शेष सजा पूरी कराई जा सकती है.

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याचिका में कहा गया कि मामले में उसे 6 अक्टूबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. वह करीब 15 साल पांच महीने से जेल में बंद है. उसे प्रथम और द्वितीय पैरोल के अलावा कोरोना में स्पेशल पैरोल पर भी रिहा किया गया था. पैरोल की रिहाई का उनसे कोई दुरुपयोग नहीं किया और तय समय पर वापस जेल में समर्पण भी किया था. वहीं, जेल में इसका चाल चलन भी संतोषजनक है. याचिकाकर्ता की ओर से पैरोल कमेटी के समक्ष स्थाई पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था, लेकिन कमेटी ने सिर्फ इस आधार पर प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया की उसे मिर्धा अपहरण कांड में सजा हुई थी. ऐसे में उसे स्थाई पैरोल पर रिहा किया जाए.

गौरतलब कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा (Former Union Minister Ram Niwas Mirdha) के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का 17 फरवरी 1995 को सी-स्कीम स्थित घर से अपहरण हो गया था. आतंकियों ने मिर्धा का अपहरण खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्रपाल सिंह भुल्लर को रिहा करने के लिए किया था. मामले में दयासिंह को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को पांच साल की सजा हुई थी. वहीं, पंजाब पुलिस ने हरनेक सिंह को वर्ष 2004 में गिरफ्तार कर फरवरी 2007 में राजस्थान पुलिस को सौंपा था. अदालत ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जबकि एक आरोपी नवनीत कादिया की मौके पर एनकाउंटर में मौत हुई थी.

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