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राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल देने पर करें विचार: HC - Rajasthan High Court News

राजस्थान हाईकोर्ट ने पैरोल कमेटी को कहा है कि वह राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आतंकी हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने पर विचार करें. अदालत ने अभियुक्त हरनेक को कहा है कि वह इस संबंध में पैरोल कमेटी के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करें.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : May 14, 2021, 8:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पैरोल कमेटी को कहा है कि वह राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आतंकी हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने पर विचार करें. अदालत ने अभियुक्त हरनेक को कहा है कि वह इस संबंध में पैरोल कमेटी के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करें. न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश हरनेक सिंह की पैरोल याचिका पर दिए.

पढ़ें- रक्षक बने भक्षक: 'सांसों' की कालाबाजारी करते 2 नर्सिंग छात्र गिरफ्तार

याचिका में कहा गया कि वह अपहरण कांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है. उसे जेल में 14 साल से अधिक का समय बीत चुका है. इसके अलावा वह अब तक दो नियमित पैरोल और एक विशेष पैरोल पर रिहा हो चुका है, लेकिन उसने इसका दुरूपयोग नहीं किया.

पैरोल कमेटी ने उसका प्रार्थना पत्र स्थाई पैरोल के लिए अपात्र बताते हुए खारिज कर दिया. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पैरोल कमेटी के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करते समय याचिकाकर्ता को जेल में 13 साल और 11 महीने से बंद था. ऐसे में कमेटी ने उसे अपात्र मानते हुए प्रार्थना पत्र खारिज किया था, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभियुक्त को स्थाई पैरोल पर रिहा करने पर विचार करने को कहा है.

गौरतलब है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का 17 फरवरी 1995 को सी-स्कीम स्थित घर से अपहरण हो गया था. आतंकियों ने मिर्धा का अपहरण खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्रपाल सिंह भुल्लर को रिहा करने के लिए किया था. मामले में दयासिंह को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को 5 साल की सजा हुई थी. वहीं, हरनेक सिंह वर्ष 2004 में गिरफ्तार हुआ था. अदालत ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पैरोल कमेटी को कहा है कि वह राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आतंकी हरनेक सिंह को स्थाई पैरोल पर रिहा करने पर विचार करें. अदालत ने अभियुक्त हरनेक को कहा है कि वह इस संबंध में पैरोल कमेटी के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करें. न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश हरनेक सिंह की पैरोल याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि वह अपहरण कांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है. उसे जेल में 14 साल से अधिक का समय बीत चुका है. इसके अलावा वह अब तक दो नियमित पैरोल और एक विशेष पैरोल पर रिहा हो चुका है, लेकिन उसने इसका दुरूपयोग नहीं किया.

पैरोल कमेटी ने उसका प्रार्थना पत्र स्थाई पैरोल के लिए अपात्र बताते हुए खारिज कर दिया. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पैरोल कमेटी के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करते समय याचिकाकर्ता को जेल में 13 साल और 11 महीने से बंद था. ऐसे में कमेटी ने उसे अपात्र मानते हुए प्रार्थना पत्र खारिज किया था, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभियुक्त को स्थाई पैरोल पर रिहा करने पर विचार करने को कहा है.

गौरतलब है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का 17 फरवरी 1995 को सी-स्कीम स्थित घर से अपहरण हो गया था. आतंकियों ने मिर्धा का अपहरण खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्रपाल सिंह भुल्लर को रिहा करने के लिए किया था. मामले में दयासिंह को आजीवन कारावास और उसकी पत्नी सुमन को 5 साल की सजा हुई थी. वहीं, हरनेक सिंह वर्ष 2004 में गिरफ्तार हुआ था. अदालत ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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