जयपुर. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शुक्रवार को राजस्थान में वन्यजीवों की गणना की जा रही है. पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में वन्यजीवों का बहुत ही अहम योगदान है. ऐसे में कोरोना वायरस के कारण मई में होने वाली वन्यजीव गणना अब जून में की जा रही है.
विश्व पर्यावरण दिवस पर कोरोना वायरस के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए मचान बनाए गए हैं. पर्यावरण प्रेमी से लेकर वनकर्मी मचान पर लगातार 24 घंटे बैठकर वॉटरहॉल पर नजर रखेंगे और वन्यजीवों की गिनती करेंगे.
वन कर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमी भी इस काम में वॉलिंटियर्स बनकर मदद कर रहे हैं. वन्यजीवों के एक-एक मूवमेंट पर नजर बनाए रखे हैं. कोरोना का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि वन्यजीव के रूटीन पर भी पड़ने लगा है. इस साल राजस्थान में होने वाली वन्यजीव गणना 1 महीने की देरी से हो रही है.
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पहले यह वन्यजीव गणना 8 मई को की जाती थी. लेकिन अब यह 5 और 6 जून को प्रदेशभर में आयोजित की जा रही है. राजस्थान के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने प्रदेश के तमाम मुख्य वन्यजीव संरक्षक को आदेश जारी किए हैं.
लॉकडाउन में इंसानी गतिविधियों के कम होने से इस बार गणना में ज्यादा सटीक और अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है. झालाना वन क्षेत्र में 37 मचान और जयपुर रेंज में 125 प्वाइंट पर वन्यजीव गणना की जा रही है. राजस्थान में वन्यजीवों के आकलन के लिए हर साल अप्रैल के अंत में या मई की शुरुआत में आने वाली बुद्ध पूर्णिमा पर वन्यजीव गणना की जाती है.
क्योंकि वन्यजीव गणना में मुख्य आधार वह सभी जल स्रोत होते हैं, जो वन क्षेत्रों में मौजूद होते हैं. वन विभाग की ओर से हर वन रेंज में बीट वाइज चुनिंदा जल स्रोतों में पानी रखा जाता है और चांदनी रात में वहां आने वाले वन्यजीवों की गिनती की जाती है.
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सभी मुख्य वन संरक्षकों को अपने-अपने इलाकों में ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित करने के आदेश दिए गए थे. प्रदेशभर में करीब 37 प्रजातियों के वन्यजीवों की गणना की जा रही है. गणना में टाइगर, पैंथर, भालू समेत 16 प्रजातियां मांसाहारी जीवों की है.
आठ अलग-अलग प्रजातियां शाकाहारी वन्यजीवों की भी गिनी जा रही हैं. इसके साथ ही 9 अलग-अलग प्रजातियों के पक्षियों को भी काउंटिंग में शामिल किया गया है. तीन प्रजातियों के रेप्टाइल्स की भी गिनती की जा रही है. गणना में कैमरा ट्रैप का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
24 घंटे की वन्यजीव गणना के आंकड़े एकत्रित कर वन मुख्यालय भेजे जायेंगे. वन्यजीव आंकड़ों की अधिकारियों द्वारा तुलना की जाएगी. वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होगी तो वन विभाग के लिए खुशखबरी की बात होगी और अगर आंकड़ों में कमी आई तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा.