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1986 से लगती आ रही गुलदाउदी प्रदर्शनी पर कोरोना का 'लॉकडाउन', राजस्थान विश्वविद्यालय ने की स्थगित

1986 से राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही गुलदाउदी प्रदर्शनी पर कोरोना ने लॉकडाउन लगा दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनी स्थगित कर दी है.

rajasthan university Postponed Chrysanthemum Exhibition, jaipur news
विश्वविद्यालय प्रशासन ने गुलदाउदी प्रदर्शनी स्थगित कर दी है.
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Published : Dec 5, 2020, 12:43 PM IST

जयपुर. 1986 से राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही गुलदाउदी प्रदर्शनी पर कोरोना ने लॉकडाउन लगा दिया है. हर साल दिसंबर में होने वाली गुलदाउदी फूलों की प्रदर्शनी इस बार कोरोना के खतरे को देखते हुए नहीं लगाई जाएगी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनी स्थगित कर दी है. राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में प्रदर्शनी के लिए गुलदाउदी के 4000 गमले तैयार किए गए थे. अब आम लोगों की बजाय संस्थाओं को गुलदाउदी की बिक्री की जाएगी. कोरोना संक्रमण के बीच राजस्थान यूनिवर्सिटी की नर्सरी में गुलदाउदी को लेकर तैयारियां चल रही थी. करीब 70 किस्म के 4000 पौधे गुलदाउदी के तैयार किए गए थे. हालांकि, कोरोना के चलते कर्मचारी कम थे. फिर भी वह कोशिश में लगे थे कि तय समय पर गुलदाउदी के पौधे तैयार हो जाए और हर साल की भांति इस साल भी गुलदाउदी की प्रदर्शनी लगाई जाए.

नर्सरी में प्रदर्शनी के लिए गुलदाउदी के 4000 गमले तैयार किए गए थे.


नर्सरी में गुलदाउदी के पौधे तैयार करने के लिए 2 कर्मचारियों ने जिम्मेदारी संभाली और गुलदाउदी के 4000 पौधे तैयार किए. गुलदाउदी के पौधे प्रदर्शनी के लिए बिल्कुल तैयार है, लेकिन आम लोगों के कोरोना के खतरे को देखते हुए इस बार प्रदर्शनी नहीं लगाई जाएगी. नर्सरी इंचार्ज प्रोफेसर राम अवतार शर्मा ने बताया कि गुलदाउदी के 4000 पौधे तैयार किए गए है. इसमें इनकी कीमत 100 रुपये रखी गई है और लगभग 70 गुलदाउदी की किस्में इस बार तैयार की गई थी, इनमें कुछ नई भी थी.

यह भी पढ़ें: LIVE : जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य चुनाव का अंतिम चरण, सुबह 10 बजे तक 11.93 प्रतिशत वोटिंग

उन्होंने बताया कि गुलदाउदी के 8 ग्रुप होते हैं और इनमें से 6 ग्रुप प्रदर्शनी में डिस्प्ले किए जाते हैं. कोरोना के कारण लोकल गुलदाउदी ज्यादा तैयार की गई है. उन्होंने बताया कि जयपुर वासी हो या फिर कोई और, राजस्थान यूनिवर्सिटी में लगने वाली गुलदाउदी प्रदर्शनी का हर किसी को इंतजार रहता है. सालों से यह परंपरा चलती रही है और 2 दिन तक गुलदाउदी को निहारने के लिए प्रदर्शनी में रखा जाता है. लोगों को घर ले जाने के लिए भी गुलदाउदी दी जाती थी. प्रोफेसर राम अवतार शर्मा ने बताया कि कोरोना के कारण इस परिस्थितियां विकट है और बदली हुई है. इसके कारण नियम और शर्तों में भी बदलाव आया है. अब राजस्थान विश्वविद्यालय से जुड़ी संस्थाओं व अन्य संस्थाओं को गुलदाउदी के पौधों की बिक्री की जाएगी ताकि विश्वविद्यालय प्रशासन को किसी भी तरह का नुकसान ना हो.

जयपुर. 1986 से राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही गुलदाउदी प्रदर्शनी पर कोरोना ने लॉकडाउन लगा दिया है. हर साल दिसंबर में होने वाली गुलदाउदी फूलों की प्रदर्शनी इस बार कोरोना के खतरे को देखते हुए नहीं लगाई जाएगी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनी स्थगित कर दी है. राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में प्रदर्शनी के लिए गुलदाउदी के 4000 गमले तैयार किए गए थे. अब आम लोगों की बजाय संस्थाओं को गुलदाउदी की बिक्री की जाएगी. कोरोना संक्रमण के बीच राजस्थान यूनिवर्सिटी की नर्सरी में गुलदाउदी को लेकर तैयारियां चल रही थी. करीब 70 किस्म के 4000 पौधे गुलदाउदी के तैयार किए गए थे. हालांकि, कोरोना के चलते कर्मचारी कम थे. फिर भी वह कोशिश में लगे थे कि तय समय पर गुलदाउदी के पौधे तैयार हो जाए और हर साल की भांति इस साल भी गुलदाउदी की प्रदर्शनी लगाई जाए.

नर्सरी में प्रदर्शनी के लिए गुलदाउदी के 4000 गमले तैयार किए गए थे.


नर्सरी में गुलदाउदी के पौधे तैयार करने के लिए 2 कर्मचारियों ने जिम्मेदारी संभाली और गुलदाउदी के 4000 पौधे तैयार किए. गुलदाउदी के पौधे प्रदर्शनी के लिए बिल्कुल तैयार है, लेकिन आम लोगों के कोरोना के खतरे को देखते हुए इस बार प्रदर्शनी नहीं लगाई जाएगी. नर्सरी इंचार्ज प्रोफेसर राम अवतार शर्मा ने बताया कि गुलदाउदी के 4000 पौधे तैयार किए गए है. इसमें इनकी कीमत 100 रुपये रखी गई है और लगभग 70 गुलदाउदी की किस्में इस बार तैयार की गई थी, इनमें कुछ नई भी थी.

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उन्होंने बताया कि गुलदाउदी के 8 ग्रुप होते हैं और इनमें से 6 ग्रुप प्रदर्शनी में डिस्प्ले किए जाते हैं. कोरोना के कारण लोकल गुलदाउदी ज्यादा तैयार की गई है. उन्होंने बताया कि जयपुर वासी हो या फिर कोई और, राजस्थान यूनिवर्सिटी में लगने वाली गुलदाउदी प्रदर्शनी का हर किसी को इंतजार रहता है. सालों से यह परंपरा चलती रही है और 2 दिन तक गुलदाउदी को निहारने के लिए प्रदर्शनी में रखा जाता है. लोगों को घर ले जाने के लिए भी गुलदाउदी दी जाती थी. प्रोफेसर राम अवतार शर्मा ने बताया कि कोरोना के कारण इस परिस्थितियां विकट है और बदली हुई है. इसके कारण नियम और शर्तों में भी बदलाव आया है. अब राजस्थान विश्वविद्यालय से जुड़ी संस्थाओं व अन्य संस्थाओं को गुलदाउदी के पौधों की बिक्री की जाएगी ताकि विश्वविद्यालय प्रशासन को किसी भी तरह का नुकसान ना हो.

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