जयपुर. एनटीटी में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नौकरी पाने के मामले का खुलासा होने के बाद अब प्रदेश की कई अन्य भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े और धांधली के आरोप लग रहे हैं. राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ ने प्रदेश की कई अन्य भर्ती परीक्षाओं में धांधली के आरोप लगाते हुए इनकी निष्पक्ष जांच की मांग की है.
बेरोजगार संघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव का दावा है कि यदि उनके आरोप गलत पाए जाते हैं, तो वे जेल जाने के लिए भी तैयार है. उनका कहना है कि कई तरीकों से भर्तियों में धांधली कर योग्य बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है. यादव ने बताया कि पुस्तकालयाध्यक्ष भर्ती परीक्षा में शामिल कई अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच में डिग्री फर्जी होने की जानकारी सामने आई है.
उनका कहना है कि राजस्थान में 1960 से लाइब्रेरियन की डिग्री शुरू हुई थी. इसकी पहली भर्ती 1998 में निकाली गई थी. दूसरी भर्ती 2016 में हुई थी. तब 500 पदों पर 9 हजार आवेदन आए थे. इसी तरह 2018 में हुई तीसरी भर्ती में 700 पदों पर 44 हजार आवेदन आए, लेकिन इस भर्ती के लिए 2019 में नए सिरे से आवेदन मांगे गए तो 87,459 आवेदन आए.
ऐसे में सवाल उठता है कि महज एक साल में 40 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइब्रेरियन की डिग्री कैसे हासिल कर ली. इसी तरह उन्होंने एनटीटी भर्ती में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ी का आरोप लगाया है. इसके साथ ही पीटीआई भर्ती की भी निष्पक्ष जांच की मांग की है. बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में हर स्तर पर शिकायत की है, लेकिन अभी कार्रवाई नहीं हुई है. यदि निष्पक्ष जांच की जाए तो भर्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली और गड़बड़ी का खुलासा हो सकता है.