ETV Bharat / city

स्पेशल: पर्यटन उद्योग पर Corona की मार, अब देसी पावणों पर फोकस करेगी सरकार

कोरोना वायरस के बाद देश भर में बिगड़े हालात के बीच पर्यटन के क्षेत्र पर बड़ा असर पड़ा है. यह भी साफ है कि अगले 1 साल तक इस उद्योग को खड़ा करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी होगी. इस सिलसिले में बीते दिनों पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने एक बैठक लेते हुए आगामी रणनीति पर मंथन किया था. माना जा रहा है कि अब प्रदेश सरकार का फोकस देसी सैलानियों पर होगा.

राजस्थान का पर्यटन उद्योग कोरोना से प्रभावित, Rajasthan's tourism affected by Corona
राजस्थान का पर्यटन उद्योग कोरोना से प्रभावित
author img

By

Published : Apr 30, 2020, 12:08 PM IST

जयपुर. आमतौर पर राजस्थान में पर्यटन का सीजन सितंबर से लेकर मार्च के अंत तक होता है. इस लिहाज से समझा जाए तो जैसे ही लॉकडाउन खत्म होने के आसार आगामी कुछ महीनों बाद बनेंगे तब पर्यटन के उद्योग के लिए राजस्थान में अपार संभावनाएं होंगी. लेकिन कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के बाद दुनिया भर में जो हालात पैदा हुए हैं, उनमें लोगों की प्राथमिकता में सैर सपाटा और घूमना फिरना अब फेहरिस्त में आखिरी नंबर पर होगा.

पर्यटन उद्योग पर Corona की मार (पार्ट-1)

लिहाजा इसकी चिंता राजस्थान में पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों को भी सताने लगी है. गौरतलब है कि प्रदेश में जयपुर और जैसलमेर में बड़ी तादाद में सैलानी पहुंचते हैं, तो इसके अलावा उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और सिरोही के माउंट आबू में भी पर्यटकों की दिलचस्पी कुछ कम नहीं होती है.

यह साफ है कि सरिस्का और रणथंभौर अभ्यारण बरसात के महीने में बंद होने के बाद अक्टूबर तक खुलेंगे. इससे पहले स्कूलों में पड़ने वाली गर्मियों की छुट्टियों के बीच में दक्षिण के कुछ राज्यों समेत मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों से भी सैलानी राजस्थान आया करते थे. अब पर्यटन विभाग की कोशिश है कि इन देसी पावणों को ज्यादा से ज्यादा रिझाया जाए. यहां तक कि सरकार भी मान रही है कि लगभग अगले डेढ़ साल तक स्थितियों को सुधारने में समय लगेगा.

पर्यटन उद्योग पर Corona की मार (पार्ट-2)

ये भी पढ़ें- Special: लॉकडाउन में थड़ियों पर लगा ताला, अब नहीं होती 'चाय' की 'चुस्की' के साथ 'चर्चा'

राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे से भी बात कर चुके हैं. वहीं, प्रदेश के पर्यटन उद्योग से जुड़े संगठनों से भी इस सिलसिले में बातचीत शुरू की गई है. जिससे पर्यटन के क्षेत्र में नई जान फूंकी जा सके. इस सिलसिले में ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर के पर्यटन कारोबारी संजय कौशिक से बात की तो उन्होंने भी सरकार के इस कैंपेन का समर्थन करते हुए घरेलू पर्यटकों पर ही जोर देने की बात कही.

साथ ही कौशिक ने बताया कि बीते 2 महीने के दौरान ही राजस्थान के पर्यटन उद्योग को 500 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ है. अगर 2020 तक की बात की जाए तो पर्यटन और इससे जुड़े अन्य उद्योगों में दिसंबर तक यह नुकसान हजारों करोड़ का होगा और इसके कारण राजस्थान में बेरोजगारी भी बड़े पैमाने पर बढ़ेगी.

सरकार को मिले सुझाव

बीते दिनों जयपुर के पर्यटन भवन में राजस्थान के टूरिज्म डिपार्टमेंट की चिंता पर हुई बैठक में पर्यटन की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य और राजसमंद से सांसद दीया कुमारी ने अपने सुझाव दिए और एक सक्रिय विज्ञापन अभियान की जरूरत पर जोर दिया. अन्य सुझावों में टोल फ्री नंबर की संभावनाएं, टैक्सेस में कमी जैसे विचार भी सामने आए.

ये भी पढ़ें- भैरुनाथ का 700 साल पुराना मंदिर, परंपराओं पर नहीं पड़ा लॉकडाउन का असर

ये हुआ फैसला

पर्यटन के क्षेत्र में जान फूंकने के लिए विचार करने के बाद बैठक में तय हुआ कि देसी सैलानियों को रिझाने के लिए एक मार्केटिंग रणनीति जरूरी है. प्रदेश में पर्यटन के विभिन्न क्षेत्रों की संभावना को ध्यान में रखते हुए उनका ज्यादा से ज्यादा प्रचार किया जाए. नए सर्किट बनाकर घरेलू पर्यटकों को राजस्थान की तरफ खींचा जाए.

राजस्थान में आने वाले विदेशी सैलानियों में अमेरिका के साथ-साथ सबसे ज्यादा फ्रांस से पर्यटक आते हैं. इसके अलावा जर्मनी, स्पेन जैसे यूरोपीय देशों की भी पसंद में जयपुर और जैसलमेर जैसे स्थान है. वहीं, बात की जाए चीन की, तो चीनी सैलानी भी राजस्थान तक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. लेकिन अब कोविड-19 के खौफ के बाद इन सबके आने की संभावनाएं ना के बराबर हो चुकी है. ऐसी परिस्थितियों में राजस्थान का पर्यटन उद्योग पुनर्जीवित किस तरह से हो इस बारे में जहां पर्यटन के क्षेत्र से जुड़े लोग सुझाव दे रहे हैं. वहीं सरकार भी इसी प्रयास में जुटी है कि कैसे प्रदेश के पर्यटन उद्योग को फिर से पटरी पर लाया जाए.

जयपुर. आमतौर पर राजस्थान में पर्यटन का सीजन सितंबर से लेकर मार्च के अंत तक होता है. इस लिहाज से समझा जाए तो जैसे ही लॉकडाउन खत्म होने के आसार आगामी कुछ महीनों बाद बनेंगे तब पर्यटन के उद्योग के लिए राजस्थान में अपार संभावनाएं होंगी. लेकिन कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के बाद दुनिया भर में जो हालात पैदा हुए हैं, उनमें लोगों की प्राथमिकता में सैर सपाटा और घूमना फिरना अब फेहरिस्त में आखिरी नंबर पर होगा.

पर्यटन उद्योग पर Corona की मार (पार्ट-1)

लिहाजा इसकी चिंता राजस्थान में पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों को भी सताने लगी है. गौरतलब है कि प्रदेश में जयपुर और जैसलमेर में बड़ी तादाद में सैलानी पहुंचते हैं, तो इसके अलावा उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और सिरोही के माउंट आबू में भी पर्यटकों की दिलचस्पी कुछ कम नहीं होती है.

यह साफ है कि सरिस्का और रणथंभौर अभ्यारण बरसात के महीने में बंद होने के बाद अक्टूबर तक खुलेंगे. इससे पहले स्कूलों में पड़ने वाली गर्मियों की छुट्टियों के बीच में दक्षिण के कुछ राज्यों समेत मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों से भी सैलानी राजस्थान आया करते थे. अब पर्यटन विभाग की कोशिश है कि इन देसी पावणों को ज्यादा से ज्यादा रिझाया जाए. यहां तक कि सरकार भी मान रही है कि लगभग अगले डेढ़ साल तक स्थितियों को सुधारने में समय लगेगा.

पर्यटन उद्योग पर Corona की मार (पार्ट-2)

ये भी पढ़ें- Special: लॉकडाउन में थड़ियों पर लगा ताला, अब नहीं होती 'चाय' की 'चुस्की' के साथ 'चर्चा'

राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे से भी बात कर चुके हैं. वहीं, प्रदेश के पर्यटन उद्योग से जुड़े संगठनों से भी इस सिलसिले में बातचीत शुरू की गई है. जिससे पर्यटन के क्षेत्र में नई जान फूंकी जा सके. इस सिलसिले में ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर के पर्यटन कारोबारी संजय कौशिक से बात की तो उन्होंने भी सरकार के इस कैंपेन का समर्थन करते हुए घरेलू पर्यटकों पर ही जोर देने की बात कही.

साथ ही कौशिक ने बताया कि बीते 2 महीने के दौरान ही राजस्थान के पर्यटन उद्योग को 500 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ है. अगर 2020 तक की बात की जाए तो पर्यटन और इससे जुड़े अन्य उद्योगों में दिसंबर तक यह नुकसान हजारों करोड़ का होगा और इसके कारण राजस्थान में बेरोजगारी भी बड़े पैमाने पर बढ़ेगी.

सरकार को मिले सुझाव

बीते दिनों जयपुर के पर्यटन भवन में राजस्थान के टूरिज्म डिपार्टमेंट की चिंता पर हुई बैठक में पर्यटन की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य और राजसमंद से सांसद दीया कुमारी ने अपने सुझाव दिए और एक सक्रिय विज्ञापन अभियान की जरूरत पर जोर दिया. अन्य सुझावों में टोल फ्री नंबर की संभावनाएं, टैक्सेस में कमी जैसे विचार भी सामने आए.

ये भी पढ़ें- भैरुनाथ का 700 साल पुराना मंदिर, परंपराओं पर नहीं पड़ा लॉकडाउन का असर

ये हुआ फैसला

पर्यटन के क्षेत्र में जान फूंकने के लिए विचार करने के बाद बैठक में तय हुआ कि देसी सैलानियों को रिझाने के लिए एक मार्केटिंग रणनीति जरूरी है. प्रदेश में पर्यटन के विभिन्न क्षेत्रों की संभावना को ध्यान में रखते हुए उनका ज्यादा से ज्यादा प्रचार किया जाए. नए सर्किट बनाकर घरेलू पर्यटकों को राजस्थान की तरफ खींचा जाए.

राजस्थान में आने वाले विदेशी सैलानियों में अमेरिका के साथ-साथ सबसे ज्यादा फ्रांस से पर्यटक आते हैं. इसके अलावा जर्मनी, स्पेन जैसे यूरोपीय देशों की भी पसंद में जयपुर और जैसलमेर जैसे स्थान है. वहीं, बात की जाए चीन की, तो चीनी सैलानी भी राजस्थान तक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. लेकिन अब कोविड-19 के खौफ के बाद इन सबके आने की संभावनाएं ना के बराबर हो चुकी है. ऐसी परिस्थितियों में राजस्थान का पर्यटन उद्योग पुनर्जीवित किस तरह से हो इस बारे में जहां पर्यटन के क्षेत्र से जुड़े लोग सुझाव दे रहे हैं. वहीं सरकार भी इसी प्रयास में जुटी है कि कैसे प्रदेश के पर्यटन उद्योग को फिर से पटरी पर लाया जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.