जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव 2022 की बिसात बिछ चुकी है. अध्यक्ष पदों के प्रत्याशियों को (Presidential Candidates in RU) पार्टी का टिकट मिल चुका है. एबीवीपी ने ड्राइवर के बेटे नरेन्द्र यादव को मैदान में उतारा है. वहीं, एनएसयूआई ने किसान की बेटी और ताइक्वांडो की खिलाड़ी रितु बराला पर दांव खेला है. दोनों प्रमुख छात्र संगठनों के प्रत्याशियों को कई निर्दलीय उम्मीदवारों से चुनौती मिलने वाली है. इनमें मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल का नाम भी शामिल है.
कारों का लंबा काफिला, पीछे सैकड़ों स्टूडेंट की भीड़ और जगह-जगह पोस्टर-बैनर देखकर लगता है कि छात्रसंघ चुनाव ऊंचे रसूख वाले ही लड़ सकते हैं. लेकिन इसके विपरीत एबीवीपी ने एक ड्राइवर के बेटे अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है. नरेंद्र यादव कॉमर्स कॉलेज से ही छात्र राजनीति में सक्रिय थे. यादव की सक्रियता को देखते हुए एबीवीपी ने (Presidential Candidates in RU) उन्हें राजस्थान विश्वविद्यालय इकाई का सहसचिव बनाया. बाद में जिला संयोजक की जिम्मेदारी दी गई. राजस्थान विश्वविद्यालय में पीजी चौथे सेमेस्टर के छात्र नरेन्द्र यादव को हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब एबीवीपी ने अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने बताया कि 7 साल से यूनिवर्सिटी में छात्रों के हितों के लिए संघर्ष कर रहें हैं. छात्रों के प्रवेश के लिए टंकी पर भी चढ़े और अब प्रवेश, परीक्षा, परिणाम, लाइब्रेरी, हॉस्टल और दूसरी मूलभूत सुविधाओं के मुद्दों को लेकर आम छात्र से वोट मांगेंगे.
उधर, एनएसयूआई की ओर से रितु बराला को प्रत्याशी बनाए जाने के साथ ही छात्र राजनीति का सियासी पारा बढ़ गया. क्योंकि एनएसयूआई प्रत्याशी के तौर पर सचिन पायलट खेमे से राजस्थान सरकार में मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल भी दौड़ में थीं. निहारिका जोरवाल का टिकट कट गया और एनएसयूआई ने रितु बराला पर दांव लगाया. मूलरूप से राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बारी का बास गांव की रहने वाली रितु बराला किसान की बेटी है.
रितु साल 2018 में जयपुर के महारानी कॉलेज की छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुकी हैं और इंटरनेशनल ताइक्वांडो प्लेयर रही हैं. उन्होंने नेशनल लेवल पर मेडल पर प्राप्त किया है. वर्तमान में राजस्थान यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी से पीजी कर रही बराला ने बताया कि अब तक (Narendra Yadav and Ritu Barala) महज दो छात्राएं अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठी हैं. वो चाहती हैं कि छात्राओं के सामने आनी वाली समस्याओं का समाधान हो. छात्राओं की आवाज और उनके मुद्दे उठाने के लिए वो उनसे ज्यादा से ज्यादा वोट की अपील कर रही हैं.
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निर्दलियों की बड़ी चुनौतीः इन दोनों प्रमुख छात्र संगठनों को निर्दलीय उम्मीदवारों की फौज से जूझना पड़ेगा. इनमें सबसे प्रमुख नाम है निहारिका जोरवाल. जिनके साथ कई पूर्व छात्र नेता लगे हुए हैं. मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका ने कहा कि उनका टिकट कटने के पीछे कोई भी परिस्थिति रही हो, लेकिन काबिलियत किसी की गुलाम नहीं होती. वो यहां अपने पिता के नहीं बल्कि छात्र शक्ति के दम पर चुनाव लड़ रही हैं. उन्होंने आम छात्र की तरह की संघर्ष किया है. 6 साल से वो विश्वविद्यालय में संघर्ष कर रहीं हैं. पिता के नाम का कभी कोई फायदा नहीं उठाया और चुनाव लड़ने का फैसला भी उनका खुद का है. ऐसे में उन्होंने छात्र शक्ति के सपोर्ट से इस बार ऐतिहासिक जीत का दावा किया है.
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इनके अलावा शुरूआत से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके प्रत्याशी निर्मल चौधरी, एसएफआई, इनसो और हिंदवी स्वराज छात्रसंघ भी छात्रों से जुड़ते हुए ताल ठोक रहे हैं. सोमवार को इस छात्रसंघ चुनाव के संग्राम में नामांकन दाखिल किए जाएंगे. उससे पहले प्रमुख छात्र संगठन बागियों से मान मनौव्वल में भी जुटे हुए हैं. लेकिन ये बात तय है कि इस बार (Rajasthan Student Union Election 2022) चुनाव किसी भी प्रत्याशी के लिए आसान नहीं रहने वाला. ऐसे में 27 अगस्त का दिन ही तय करेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है.