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जयपुरः राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की बैठक, चेक लिस्ट बनाकर आवेदनों की प्री-स्क्रीनिंग करने का निर्णय - राजस्थान न्यूज

जयपुर शासन सचिवालय में बुधवार को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से संबंधित अंतर विभागीय नीतिगत निर्णयों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें सम्मति आवेदनों के निस्तारण के लिए प्रक्रिया आसान बनाने के लिए विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई.

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राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने आयोजित की उच्च स्तरीय बैठक
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Published : Jun 25, 2020, 2:32 AM IST

जयपुर. शासन सचिवालय में बुधवार को मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की अध्यक्षता में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से संबंधित अंतर विभागीय नीतिगत निर्णयों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें सम्मति आवेदनों के निस्तारण के लिए प्रक्रिया आसान बनाने के लिए विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा कर निर्णय लिए गए. साथ ही निर्णय लिया गया कि अब आवेदनों की प्री-स्क्रीनिंग चेक लिस्ट बनाकर की जाएगी.

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राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने आयोजित की उच्च स्तरीय बैठक

प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि बिना भू-संपरिवर्तन सरकारी और गैर सरकारी भूमि पर उद्योग स्थापित कर मंडल में आवेदन प्रस्तुत कर दिए जाते हैं. ऐसी स्थिति में मंडल की ओर से सम्मति आवेदन का निस्तारण औद्योगिक प्रयोजनार्थ भू-संपरिवर्तत के अभाव में नहीं किया जा सकता है. खनिज इकाइयों को वन विभाग से अनापत्ति और राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से क्लीयरेंस लेने की आवश्यकता होती है. उद्योगों को भूजल दोहन के लिए केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण से अनापत्ति प्राप्त करने की बाध्यता है. संयुक्त सीवेज उपचार संयंत्र एवं राजकीय अस्पतालों से जुड़े प्रकरणों और सम्मति आवेदनों के साथ पर्यावरणीय स्वीकृति प्रस्तुत करने की बाध्यता है. इन मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श कर निर्णय लिया गया कि संबंधित विभाग लिए गए निर्णयों के अनुसार अतिशीघ्र कार्रवाई करें, जिससे मंडल के स्तर पर लम्बित सम्मति आवेदनों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जा सके.

मुख्य सचिव गुप्ता ने निर्देश दिए कि मंडल की ओर से चेक लिस्ट बनाकर आवेदनों की प्री-स्क्रीनिंग की जाए और जिन आवेदनों में आवश्यक दस्तावेज नहीं हो, उन्हें प्रारंभिक जांच के पश्चात ही परियोजना प्रस्तावक को लौटाने का प्रावधान करें.

मंडल चेयरमैन पवन कुमार गोयल ने बताया कि पिछले 8 महीने में कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेकर सम्मति और प्राधिकार आवेदनों का बड़े स्तर पर निस्तारण किया गया है. इससे लम्बित आवेदनों की संख्या करीब आधी रह गई है, जो पिछले 10 साल में रिकॉर्ड है. कुछ मुद्दों पर निर्णय अन्य विभागों के स्तर पर किए जाने होते हैं. ये कार्य तय समय पर होने से लम्बित आवेदनों की संख्या बहुत कम कर सकेंगे.

पढ़ेंः कांग्रेस को महापुरुषों के अपमान करने का एडिक्शन है : सतीश पूनिया

बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग सुबोध अग्रवाल, प्रमुख शासन सचिव राजस्व संदीप वर्मा, प्रमुख शासन सचिव वन एवं पर्यावरण श्रेया गुहा, प्रमुख शासन सचिव खान कुंजीलाल मीणा, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर, सचिव पर्यावरण विभाग डीएन पांडे और केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण के प्रतिनिधि सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे.

जयपुर. शासन सचिवालय में बुधवार को मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की अध्यक्षता में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से संबंधित अंतर विभागीय नीतिगत निर्णयों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें सम्मति आवेदनों के निस्तारण के लिए प्रक्रिया आसान बनाने के लिए विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा कर निर्णय लिए गए. साथ ही निर्णय लिया गया कि अब आवेदनों की प्री-स्क्रीनिंग चेक लिस्ट बनाकर की जाएगी.

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राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने आयोजित की उच्च स्तरीय बैठक

प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि बिना भू-संपरिवर्तन सरकारी और गैर सरकारी भूमि पर उद्योग स्थापित कर मंडल में आवेदन प्रस्तुत कर दिए जाते हैं. ऐसी स्थिति में मंडल की ओर से सम्मति आवेदन का निस्तारण औद्योगिक प्रयोजनार्थ भू-संपरिवर्तत के अभाव में नहीं किया जा सकता है. खनिज इकाइयों को वन विभाग से अनापत्ति और राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से क्लीयरेंस लेने की आवश्यकता होती है. उद्योगों को भूजल दोहन के लिए केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण से अनापत्ति प्राप्त करने की बाध्यता है. संयुक्त सीवेज उपचार संयंत्र एवं राजकीय अस्पतालों से जुड़े प्रकरणों और सम्मति आवेदनों के साथ पर्यावरणीय स्वीकृति प्रस्तुत करने की बाध्यता है. इन मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श कर निर्णय लिया गया कि संबंधित विभाग लिए गए निर्णयों के अनुसार अतिशीघ्र कार्रवाई करें, जिससे मंडल के स्तर पर लम्बित सम्मति आवेदनों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जा सके.

मुख्य सचिव गुप्ता ने निर्देश दिए कि मंडल की ओर से चेक लिस्ट बनाकर आवेदनों की प्री-स्क्रीनिंग की जाए और जिन आवेदनों में आवश्यक दस्तावेज नहीं हो, उन्हें प्रारंभिक जांच के पश्चात ही परियोजना प्रस्तावक को लौटाने का प्रावधान करें.

मंडल चेयरमैन पवन कुमार गोयल ने बताया कि पिछले 8 महीने में कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेकर सम्मति और प्राधिकार आवेदनों का बड़े स्तर पर निस्तारण किया गया है. इससे लम्बित आवेदनों की संख्या करीब आधी रह गई है, जो पिछले 10 साल में रिकॉर्ड है. कुछ मुद्दों पर निर्णय अन्य विभागों के स्तर पर किए जाने होते हैं. ये कार्य तय समय पर होने से लम्बित आवेदनों की संख्या बहुत कम कर सकेंगे.

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बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग सुबोध अग्रवाल, प्रमुख शासन सचिव राजस्व संदीप वर्मा, प्रमुख शासन सचिव वन एवं पर्यावरण श्रेया गुहा, प्रमुख शासन सचिव खान कुंजीलाल मीणा, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर, सचिव पर्यावरण विभाग डीएन पांडे और केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण के प्रतिनिधि सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे.

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