जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने कमेटियों पर कमेटियां बना कर कर्मचारियों के किसी भी आंदोलन को उग्र नहीं होने दिया. लेकिन अब प्रदेश के कमर्चारियों ने राज्य सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों और लंबित मांगों की उपेक्षा के विरोध में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (Rajasthan State Employees Joint Federation) के आह्वान पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन के साथ विधानसभा का घेराव किया और सरकार के खिलाफ नारे लगाए.
महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अपने 3 वर्ष के कार्यकाल में कर्मचारियों को सिर्फ कमेटियों में उलझा कर रखा है. वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए पहले डी सी सामंत की कमेटी बनाई और जब उसकी रिपोर्ट पूरी हुई तो खेमराज चौधरी की दूसरी कमेटी बना दी. वास्तविकता यह है कि सरकार का पूरा ध्यान केवल अपने कार्यकाल को पूरा करने में है. अपने कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए ही सरकार कमेटी का कार्यकाल भी बढ़ाए जा रही है. जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
राठौड़ ने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश के राज्य कर्मचारियों ने सरकार का पूरे तन, मन और धन से साथ दिया है, लेकिन सरकार इन्हीं कर्मचारियों की लगातार उपेक्षा करती आ रही है. उन्होंने बताया कि महासंघ (Rajasthan State Employees Joint Federation) के लंबित मांग पत्र पर भी राज सरकार ने आज तक वार्ता की कोई पहल नहीं की है. राठौड़ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सरकार कांग्रेस के जन घोषणा पत्र 2018 में कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने और संविदा कर्मियों सहित सभी अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करने के चुनावी वादे को शीघ्र पूरा करे. महासंघ (एकीकृत) के लंबित मांग पत्र पर शीघ्र उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित कर मांगों का निराकरण करे. इसके अलावा राठौड़ ने जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच सेवानिवृत्त हुए राज्य कर्मचारियों के लिए केंद्र के अनुरूप फ्रिज किए महंगाई भत्ते को भी शीघ्र रिलीज करने की मांग की है.
यह है प्रमुख मांग-
1 राज्य कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित डी सी सामंत की रिपोर्ट और खेमराज चौधरी की कमेटी की रिपोर्ट को शीघ्र प्रकाशित किया जाए .
2 वित्त विभाग के 30 अक्टूबर 2017 के वेतन कटौती के आदेश को निरस्त किया जाए.
3 ग्रेड पे 2400 और 2800 के लिए बनाए गए पे लेवल को समाप्त कर केंद्र के अनुरूप पे मैट्रिक्स निर्धारित की जाए.
4 चयनित वेतनमान का परिलाभ 9,18 और 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर पदोन्नति पद के समान दिया जाए.
5 वर्ष 2004 के बाद नियुक्त राज्य कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए.
6 कांग्रेस के जन घोषणा पत्र 2018 में कर्मचारी कल्याण के तहत की गई घोषणाओं के अनुपालन में जनता जल कर्मी, होमगार्ड, आंगनबाड़ी कर्मियों, सीसीडीयू और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अंशकालीन रसोईये एवं चौकीदार, संविदा कर्मियों, एनआरएचएम एवं एनयूएचएम कर्मियों, पैरा टीचर्स, उर्दू पैरा टीचर्स, लोक जुबिश कर्मियों, शिक्षाकर्मियों, विद्यार्थी मित्रों, पंचायत सहायकों, प्रेरक, वन मित्र, कृषि मित्र, चिकित्सा कर्मी, एंबुलेंस कर्मचारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, संविदा फार्मासिस्ट, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में लगाए गए ब्लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट एवं लैब सहायक, आईटीआई संविदा कर्मी एवं पशुपालन विभाग के पशुधन सहायक आदि सभी अस्थाई कर्मचारियों को नियमित किया जाए.
7 राज्य कर्मचारियों के लिए स्पष्ट और पारदर्शी स्थानांतरण नीति लागू की जावे सहित कई अन्य मांगे शामिल है.