जयपुर. अपनी मांगें पूरी नहीं होने के कारण प्रदेशभर के सरपंच आक्रोशित हैं और सोमवार को सरपंच प्रदेश भर में पंचायतों की तालाबंदी कर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करेंगे. सरपंचों ने मांगें नहीं माने जाने पर 22 मार्च को विधानसभा घेराव की भी चेतावनी दी है. रविवार को सरपंचों ने अपने अपने क्षेत्र के विधायकों को मांग पत्र भी सौंपा.
राजस्थान सरपंच संघ प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल की अध्यक्षता में लंबित मांगों को लेकर आंदोलन करने का निर्णय लिया गया था. सरपंच संघ के प्रदेश प्रवक्ता जयराम पलसानिया ने बताया कि राजस्थान सरपंच संघ 13 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर (Rajasthan Sarpanch Sangh agitation in support of demands) रहा है.
सरपंचों ने रविवार को अपने अपने क्षेत्र के विधायकों को मांग पत्र सौंपा और उनसे सरपंचों की आवाज को विधानसभा में उठाने की मांग रखी. 14 मार्च को प्रदेश के सरपंच पंचायतों की तालाबंदी करेंगे और अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करेंगे. इसके बाद मांगें पूरी न होने पर 22 मार्च को विधानसभा या मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा. इस दौरान प्रदेश भर के सरपंच मौजूद रहेंगे.
पलसानिया ने बताया कि छठे राज्य वित्त आयोग में दी गई राजस्व कटौती को वापस बढ़ाकर 10 फीसदी करने, निजी खातेदारी में प्रचलित रास्तों व पेयजल योजनाओं के लिए सहमति के आधार पर स्वीकृति जारी करने के आदेश देने, संविदाकर्मियों का वेतन संबंधित विभाग से करवाने, पेयजल योजनाओं का संचालन एवं संधारण पीएचईडी द्वारा करने, कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों को नियमन कर पट्टा जारी करने का अधिकार पंचायतों को देने सहित सरपंच संघ की 13 मांगें हैं.
पढ़ें: पूर्व सरपंच पर जानलेवा हमला, अस्पताल में जल रहा इलाज...जानें पूरा मामला
जयराम पलसानिया ने बताया कि सभी जिलों में सरपंचों ने विधायकों को 13 सूत्री मांग पत्र सौंपा है. विधायकों ने सरपंचों को आश्वस्त किया है कि वे सरपंचों की मांग विधानसभा में रखेंगे. जयराम ने बताया कि सरकार पिछले 2 साल से सरपंचों को पॉवर लैस कर रही है और उनके वित्तीय अधिकारों में कटौती कर रही है. छठे वित्त आयोग में सकल राजस्व कम किया गया है, जबकि उसको बढ़ाने की आवश्यकता थी. इसके कारण 200 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है. सरकार सरपंचों की मांगों को अनसुना कर रही है, इसलिए प्रदेश के हजारों सरपंच आक्रोशित हैं.