जयपुर. साढ़े 11 महीने गुजर जाने के बाद भी राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) जिला अध्यक्ष बनाने में असफल रही है. हालात ये हैं कि लगातार 4 महीने से प्रदेश कांग्रेस अपने जिला प्रभारियों से नाम मांग रही थी लेकिन संगठन के जिला प्रभारी प्रदेश कांग्रेस को नाम के पैनल नहीं भेज सके और न ही प्रदेश कांग्रेस एआईसीसी को यह नाम भिजवा सकी.
यही कारण रहा कि एआईसीसी महासचिव और राजस्थान प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) ने संभावित जिला अध्यक्षों के तीन-तीन नामों के पैनल अब जिला प्रभारियों से सीधे ही मांग लिए हैं. अब सवाल यह उठता है कि क्या कारण है कि जिला प्रभारी तमाम प्रयासों के बाद भी 4 महीने से नाम देने में असफल रहे हैं?
राजस्थान प्रभारी अजय माकन की ओर से पैनल भेजने की अंतिम तारीख 30 जून भी निकल गयी है, लेकिन नामों के पैनल अबतक अजय माकन तक नहीं पहुंचे हैं. जब पैनल के नाम एआईसीसी के पास पहुंचे ही नहीं तो डिस्कस किन नामों पर होगा? कैसे जिला अध्यक्षों की घोषणा प्रदेश कांग्रेस की ओर से की जा सकेगी?
कई जिलों में बड़े नेताओं, विधायकों और स्थानीय नेताओं के बीच विवाद
जानकारों की मानें तो इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण राजस्थान कांग्रेस की गुटबाजी है. जिलों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) कैंप और पायलट कैंप (Sachin Pilot) में कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता बंटे हुए हैं. उन जिलों के बड़े नेताओं, विधायकों में भी आपसी गुटबाजी चल रही है. हर गुट अपने समर्थक को जिला अध्यक्ष की कुर्सी दिलवाना चाहता है. वहीं विधायक अपने समर्थकों को. इसी रस्साकशी का परिणाम है कि राजस्थान में कई जिलों में जिलाध्यक्ष के नामों को लेकर जबरदस्त विवाद की स्थिति बन गई है. जिला प्रभारी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वह किन नामों का पैनल भेजें.
हालात यह हुए कि मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष रामलाल जाट (Ramlal Jat) ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) को सीधे कह दिया कि हमारे भीलवाड़ा में भी जिला अध्यक्ष को लेकर वही हालात हैं, जो आपके सीकर जिले में हैं.
इन जिलों में है बड़े नेताओं के बीच विवाद की स्थिति
1. सीकर
- सीकर जिला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का गृह जिला है. डोटासरा अपने खुद के गृह जिले में चल रही गुटबाजी के चलते जिला अध्यक्ष तय नहीं कर पा रहे हैं.
- सीकर जिले में विधायक परसराम मोरदिया, राजेंद्र पारीक, दीपेंद्र सिंह शेखावत, वीरेंद्र चौधरी अंदर खाने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ हैं.
- पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से अदावत किसी से छिपी नहीं है.
- डोटासरा को केवल सीधा समर्थन हाकम अली और निर्दलीय विधायक महादेव खंडेला का ही है.
- अब 3 वरिष्ठ विधायकों और एक पूर्व अध्यक्ष की डोटासरा से अदावत के चलते आपसी गुटबाजी ने सीकर के जिला अध्यक्ष नाम पर अड़चनें पैदा कर दी है.
2. जयपुर शहर
जयपुर शहर जिला कांग्रेस का अध्यक्ष कौन हो, इसे लेकर भी विवाद बना हुआ है. यहां भी पार्टी के कई धड़े अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं.
- जयपुर राजधानी है लिहाजा शहर अध्यक्ष को लेकर पायलट कैंप ने भी अपना दावा ठोक रखा है.
- प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा भी राजधानी में अपने समर्थक को जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं.
- जयपुर में मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और मुख्य सचेतक महेश जोशी भी अपने-अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं.
- जयपुर जिले के दो अल्पसंख्यक विधायक रफीक खान और अमीन कागजी चाहते हैं कि अगर अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष पार्टी जयपुर में बनाती है तो उनमें से ही किसी को यह पद दें. रफीक खान तो इस पद को लेकर दिल्ली तक लॉबिंग कर चुके हैं.
3. जयपुर देहात
जयपुर देहात में भी जिला अध्यक्ष पद को लेकर रस्साकशी चल रही है.
- यहां कृषि मंत्री लालचंद कटारिया अपने समर्थक के लिए जिलाध्यक्ष पद चाहते हैं.
- सचिन पायलट मनीष यादव के लिए जिला अध्यक्ष पद की मांग कर रहे हैं.
- विधायक गोपाल मीणा भी जिला अध्यक्ष के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.
4. भीलवाड़ा
भीलवाड़ा में स्पीकर सीपी जोशी का प्रभाव है. पहले भी उनके समर्थक रामपाल शर्मा ही भीलवाड़ा जिला अध्यक्ष थे.
- अब भी सीपी जोशी रामपाल शर्मा या अपने किसी अन्य समर्थक के लिए भीलवाड़ा जिला अध्यक्ष का पद चाहते हैं.
- पूर्व मंत्री और कांग्रेस उपाध्यक्ष विधायक रामलाल शर्मा भी अपने किसी समर्थक को यह पद दिलाना चाहते हैं.
- मंत्री अशोक चांदना भी अपने समर्थक के लिए यह पद चाहते हैं.
ऐसे में भीलवाड़ा में भी जिला अध्यक्ष पद को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है.
5. उदयपुर
उदयपुर जिला अध्यक्ष पद को लेकर भी खींचतान चल रही है.
- यहां स्पीकर सीपी जोशी के समर्थक अपने लिए यह पद चाहते हैं.
- कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रघुवीर मीणा अपने समर्थक को यह पद दिलाना चाहते हैं.
- राजस्थान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष गिरिजा व्यास भी इस पद पर अपने समर्थक को बैठाना चाहती हैं.
6. अजमेर
अजमेर शहर हो या फिर अजमेर ग्रामीण, दोनों जिला अध्यक्षों को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. मंत्री रघु शर्मा भी अपने समर्थक को बिठाना चाहते हैं. इसे लेकर जबरदस्त लॉबिंग भी चल रही है.
7. बीकानेर ग्रामीण
बीकानेर ग्रामीण में जिला अध्यक्ष पद को लेकर जबरदस्त खींचतान है.
- पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं.
- विधायक गोविंद राम मेघवाल अपने समर्थक के लिए यह पद चाहते हैं.
8. चूरू
चूरू जिला अध्यक्ष को लेकर भी विवाद की स्थिति है.
- यहां प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पूर्व सांसद प्रत्याशी रहे प्रताप पूनिया के पक्ष में हैं.
- रफीक मंडेलिया और पूसाराम गोदारा अलग-अलग गुट बनाकर जिलाध्यक्ष के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.
9. भरतपुर
भरतपुर में जिला अध्यक्ष कौन हो इसे लेकर भी रस्साकशी चल रही है. जहां एक और पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक विश्वेंद्र सिंह अपने समर्थक को भरतपुर जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. तो वहीं आरएलडी के कोटे से मंत्री बने सुभाष गर्ग भी कांग्रेस जिला अध्यक्ष पद के लिए अपने समर्थक का नाम आगे कर रहे हैं. भले ही सुभाष गर्ग कांग्रेस पार्टी के सदस्य ना हो लेकिन भरतपुर कांग्रेस में उनका दखल और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी करीबियां किसी से छिपी नहीं है.
10. बाड़मेर
बाड़मेर की सियासत में विधायकों की अदावत ने जिला अध्यक्ष पद पर पेच फंसा दिया है.
- बाड़मेर जिला अध्यक्ष पद को लेकर मंत्री हरीश चौधरी अपने समर्थक नेताओं का नाम आगे कर रहे हैं.
- बाड़मेर से ही आने वाले विधायक मेवाराम, मदन प्रजापत और अमीन खान संयुक्त रुप से जिला अध्यक्ष पद की लॉबिंग कर रहे हैं.
- बाड़मेर से ही पायलट कैंप के हेमाराम अपने समर्थक को जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं.
11. जैसलमेर
जैसलमेर जिला अध्यक्ष पद के लिए मंत्री सालेह मोहम्मद अपने समर्थक को और मंत्री हरीश चौधरी अपने समर्थक को यह पद दिलाना चाहते हैं. मंत्री हरीश चौधरी विधायक रूपाराम मेघवाल के साथ खड़े हो गए हैं. रूपाराम मेघवाल और सालेह मोहम्मद के बीच अदावत किसी से छिपी हुई नहीं है.
12. सवाई माधोपुर
सवाई माधोपुर जिले में जिला अध्यक्ष बनाने के लिए विधायक अशोक बैरवा और विधायक दानिश अबरार के बीच संघर्ष चल रहा है.
राजनीतिक उठापटक के बाद भंग कर दिया गया था संगठन
राजस्थान में पिछले साल जुलाई के महीने में जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ, उसके बाद से राजस्थान कांग्रेस का पूरा संगठन ही भंग कर दिया गया था. अब उस घटना के साढ़े 11 महीने गुजर जाने के बाद अगली जुलाई भी आ गई है, लेकिन राजस्थान कांग्रेस का संगठन अब तक नहीं बन सका है. चाहे 39 जिला अध्यक्ष या उनकी जिला कार्यकारिणी हो, 400 ब्लॉक अध्यक्ष या उनकी कार्यकारिणी हो या फिर राजस्थान कांग्रेस के विभिन्न प्रकोष्ठ हों.
5 महीनों तक संगठन के नाम पर एक पदाधिकारी
ऐसे में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा केवल 39 नेताओं की पदाधिकारी की टीम के साथ ही कांग्रेस का काम देख रहे हैं. डोटासरा को 39 पदाधिकारी भी 6 महीने पहले 6 जनवरी को ही मिले हैं, नहीं तो हालात यह थे कि राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा संगठन के नाम पर साढे 5 महीने तक एकमात्र पदाधिकारी थे.