जयपुर. राजस्थान के सियासी समर में अशोक गहलोत सरकार के भविष्य, टोंक से विधायक और बागी रुख रखने वाले कांग्रेस नेता सचिन पायलट की रणनीति और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी के सूरत-ए-हाल आगे कैसे होंगे?
ये सारे सवाल आज देशभर के जहन में कई मर्तबा खड़े हो रहे हैं. इन सवालों के बीच सबसे अहम तस्वीर है, अशोक गहलोत सरकार के भविष्य की. जिसकी सूरत 14 अगस्त को आहूत होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान साफ होने की उम्मीद है. इस सत्र में पार्टी के व्हिप को लेकर अपनी सदस्यता के सवालों से घिरे तमाम बागी विधायक भी अवाम से रूबरू होंगे. ऐसी उम्मीद की जा रही है.
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इस सत्र से पहले भारतीय जनता पार्टी की तरफ से आरोपों की बौछार का दौर बदस्तूर जारी है. पर विपक्ष के खेमे में वह नेता कौन होगा, जो सरकार को बहुमत की कसौटी पर लाकर खड़ा करेगा. ये सवाल भी आज तक जवाब के इंतजार में है. विपक्ष के खेमे से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की खमोशी और उनके अगले कदम की चर्चा लगातार की जा रही है.
ऐसे में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की नीतियों पर फिलहाल सबकी निगाहें हैं. वहीं, कांग्रेस के खेमे में नये प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कितने विधायकों को साध पाएंगे. इन विधायकों के लिए क्या अगली रणनीति तैयार की जा रही है.
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जानकार आने वाले एक हफ्ते को इस सियासी गणित की तस्वीर को बदलने में अहम मान रहे हैं. ऐसे में क्या 102 के मैजिकल फिगर को कायम रख पाएंगे ? क्या पायलट के पक्ष में बागी हुए विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा मंत्री पद को गंवाने के बाद भी तल्खी को कायम रख सकते हैं और इन सारे सवालों के बीच नजर कांग्रेस और बीजेपी के अलावा गेम चेंजर साबित होने वाले 13 निर्दलीय विधायकों पर रहेगी.
कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी होने और कानूनी पचड़े में फंसे होने के बाद बसपा से दलबदल कर रुखसत हुए 6 विधायकों के वोटिंग राइट्स और उनकी सदस्यता का भविष्य भी फिलहाल अटकलों के दायरे मे है. ऐसे में जयपुर स्टूडियो में मौजूद ईटीवी भारत की टीम से समझिए इस सियासी गणित के वो सारे पेच जो सत्ता की चाबी पर काबू पाने की जद्दोजहद का हिस्सा बनकर सियासत के पारे को लगातार गर्माये हुए हैं.