जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब 44 बोर्ड आयोग और निगम में 58 नियुक्तियां दी तो उनमें सचिन पायलट कैंप के लिए कहने को केवल 4 से 5 नियुक्तियां थी. लेकिन सोमवार को की गई राजनीतिक नियुक्तियों (Rajasthan Political Appointments) में तीन अध्यक्ष में से 2 अध्यक्ष, 4 उपाध्यक्ष में से 2 उपाध्यक्ष और 67 सदस्यों में से बड़ी संख्या में सदस्य सचिन पायलट कैंप के बनाए गए हैं. ऐसे में साफ है कि सोमवार को दी गई राजनीतिक नियुक्तियों में सचिन पायलट भारी दिखाई दे रहे हैं. इस राजनीतिक नियुक्ति को गहलोत की रविवार को हुई सोनिया गांधी के साथ मुलाकात से जोड़कर देखा जा रहा है.
इन नियुक्तियों में भले ही देखने मे यह लग रहा हो कि इसमें पायलट से जुड़े नेताओं को जगह मिली है. लेकिन जगह के बावजूद लिस्ट देखते ही पता चलता है कि गहलोत ने अपने राजनीतिक गुणा भाग से पायलट कैंप के नेताओं की गणित बिगाड़ दिया है. क्योंकि पायलट कैम्प के जो नेता अपने लिए बोर्ड, निगम के अध्यक्ष पद की आस लगा रहे थे वे सदस्य जैसे बिना महत्व के पदों पर नियुक्ति पाने के चलते नाराज हो गए हैं. यही कारण है कि पायलट कैम्प के पद पाए 2 नेता राजेश चौधरी और सुशील आसोपा ने तो पद लेने से इनकार भी कर दिया है.
इन नेताओं को मिली अध्यक्ष पद पर नियुक्ति
सुरेश मोदी (विधायक), व्यापार कल्याण बोर्ड
गजराज खटाणा (विधायक), भवन एवं अन्य सनिर्माण राज्य स्तरीय सलाहकार समिति
इन नेताओं को मिली उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति
सुचित्रा आर्य, स्टेट एग्रो इंडस्ट्रिज डवलपमेंट बोर्ड
दर्शनसिंह गुर्जर, पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास आयोग
आयोग, बोर्ड और निगमों में पायलट कैम्प से इन्हें बनाया सदस्य
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अब राजनीतिक नियुक्तियां पाने वाले विधायकों की संख्या हुई 14: प्रदेश में दी गई राजनीतिक नियुक्तियों में 2 और विधायकों सुरेश मोदी और गजराज खटाना के नाम जुड़ गए हैं. ऐसे में अब राजनीतिक नियुक्तियां पाने वाले विधायकों की संख्या 14 हो गई है. लेकिन विधायक क्योंकि लाभ का पद होता है ऐसे में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में आने के चलते इन सभी 14 विधायकों को वेतन समेत कोई लाभ नहीं मिल सकेगा.
इन विधायकों को मिल चुकी है अब तक राजनीतिक नियुक्ति
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लिस्ट में 4 विधायक पुत्र-पुत्री शामिल कर परिवारवाद को भी बढ़ाया आगे
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अभी और नेता जता सकते हैं नाराजगी
करन सिंह उचियारड़ा- पायलट समर्थक पहले सचिव रहे. अब किसी बोर्ड का चेयरमैन बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन सदस्य बनाए गए. नाराज हैं भले ही शांत हैं लेकिन ज्वाइन शायद ही करें.
ज्योति खंडेलवाल- जयपुर की पहली चुनी हुई महापौर रही. इस बार जयपुर जैसी प्रतिष्ठित सीट के लिए कांग्रेस के टिकट पर सांसद की प्रत्याशी बनी. किसी बोर्ड निगम में बड़े पद की उम्मीद थी लेकिन सदस्य बनाए जाने पर अंदर खाने से नाराज हैं.
घनश्याम मेहर- पूर्व विधायक रहे. इस बार टोडाभीम विधानसभा से टिकट कटा उसके बाद भी बगावत नहीं की. लेकिन उम्मीद थी की पार्टी उन्हें बलिदान के बदले बड़ा पद देगी, लेकिन उन्हें भी सदस्य बना दिया गया है जिससे वे नाराज हैं.
अभिमन्यु पूनिया- एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष रहे. सचिन पायलट के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दिया. उम्मीद थी कि उन्हें भी कोई बड़ा पद दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्हें भी यूथ बोर्ड में सदस्य बनाया गया है ऐसे में अभिमन्यु पूनिया भी असंतुष्ट में शामिल हैं.