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Rajasthan Police orders : राजस्थान पुलिस के ये तीन आदेश बने चर्चा का विषय, पुलिसकर्मी असमंजस में... जानिए डिटेल

राजस्थान पुलिस के तीन नए आदेश चर्चा में (Viral orders of Rajasthan Police) हैं. इनमें पहला आदेश सभी पुलिस कर्मचारी और अधिकारियों के सोशल मीडिया से जुड़ने और एक्टिव रहने से जुड़ा है, तो दूसरा आदेश चारे से भरे ट्रकों को न रोकने का लेकर है. वहीं तीसरा आदेश परिवादियों को एडिशनल एसपी से ना मिलने देने को लेकर है.

Viral orders of Rajasthan Police
राजस्थान पुलिस के ये तीन आदेश बने चर्चा का विषय, पुलिसकर्मी असमंजस में, जानिए डिटेल
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Published : May 28, 2022, 10:23 PM IST

जयपुर. इन दिनों राजस्थान पुलिस के तीन आदेश चर्चाओं का विषय बने हुए हैं. इन्हें लेकर पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी भी असमंजस में हैं. इनमें से एक आदेश पुलिस मुख्यालय के सोशल मीडिया हैंडल को फॉलो करने और सभी पुलिसकर्मियों के सोशल मीडिया अकाउंट बनाने को लेकर (Rajasthan Police directs policemen to join social media) है. इससे वे पुलिसकर्मी परेशान हैं जिनके लिए पहचान छुपाना अनिवार्य है और कुछ ऐसे पुलिसकर्मी हैं जिनके पास मल्टी​मीडिया फोन ही नहीं हैं.

पहला आदेश पुलिस मुख्यालय से राजस्थान पुलिस के तमाम सोशल नेटवर्किंग हैंडल्स को लेकर निकाला गया है. जिसके तहत तमाम रेंज आईजी व जिला एसपी को निर्देश दिए गए हैं की सभी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी राजस्थान पुलिस के सोशल मीडिया हैंडल्स से जुड़ें. ऐसे अधिकारी व कर्मचारी जिनके सोशल मीडिया हैंडल्स नहीं हैं या जिनके फेसबुक और ट्विटर पर प्रोफाइल नहीं हैं, वे अपनी प्रोफाइल क्रिएट करें. तमाम जिला और रेंज स्तर पर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर पेज क्रिएट किया जाएं और वे पुलिस मुख्यालय के ऑफिशियल पेज और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो करें.

पढ़ें: जयपुर आरटीओ कार्यालय के एक अधिकारी का आदेश बना चर्चा का विषय...जानें क्या है आदेश

इसके साथ ही जिले और रेंज में पदस्थापित तमाम पुलिसकर्मी भी सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल क्रिएट करें और जिले व रेंज के पेज के अलावा राजस्थान पुलिस के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल्स को फॉलो करें. राजस्थान पुलिस के सोशल मीडिया हैंडल्स पर की जाने वाली पोस्ट को सभी पुलिसकर्मी लाइक व शेयर करें और कमेंट करें. ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य पुलिस मुख्यालय से जारी किए गए संदेश को सभी पुलिसकर्मी तक पहुंचाना और पुलिसकर्मियों के माध्यम से उन्हें आगे प्रसारित कर आमजन तक पहुंचाना है.

आईबी और स्पेशल सेल में तैनात पुलिसकर्मियों में असमंजस: पुलिस मुख्यालय से आदेश अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस तकनीकी सेवा की ओर से जारी किया गया है. जाहिर सी बात है कि पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी हुआ है तो तमाम पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को इसकी पालना करना जरूरी है. आईबी और स्पेशल सेल में तैनात ऐसे पुलिसकर्मी जो अपनी पहचान को गोपनीय रखकर विभिन्न तरह की सूचनाएं एकत्रित करते हैं या बदमाशों के बीच में रहते हैं, उनके लिए सोशल मीडिया पर प्रोफाइल क्रिएट करना एक बड़ा खतरा बन सकता है. इसके साथ ही पुलिस फोर्स में ऐसे पुलिसकर्मी भी मौजूद हैं जिनके पास मल्टीमीडिया फोन नहीं हैं.

पढ़ें: राजस्थान में एक आदेश पर भड़का गुर्जर समाज, विरोध पर अधिकारी निलंबित...जानें क्या है माजरा

ड्यूटी के दौरान फोन उपयोग ना करने की कैसे हो पालना: इस आदेश पर एक और असमंजस बना हुआ है. कई जिला एसपी और पुलिस कमिश्नर ने अपने स्तर पर ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों के मोबाइल का उपयोग ना करने पर पाबंदी लगा रखी है. अब ऐसे में पुलिसकर्मी, पुलिस कमिश्नर या जिला एसपी के आदेश की पालना करें या पुलिस मुख्यालय से जारी किए गए आदेश की, इसे लेकर भी काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

कई पुलिस अधिकारी फॉलोअर्स के मामले में राजस्थान पुलिस से कहीं आगे: राजस्थान पुलिस के कई आला अधिकारी फॉलोअर्स के मामले में राजस्थान पुलिस के ऑफिशियल हैंडल के फॉलोअर्स की संख्या (Followers on Rajasthan police Facebook Page) से कहीं आगे हैं. यदि बात की जाए राजस्थान पुलिस के फेसबुक पेज की तो उसे 77 हजार लोग फॉलो करते हैं. वहीं सिंघम के नाम से मशहूर एडीजी दिनेश एमएन के फेसबुक पेज को 3 लाख 63 हजार लोग फॉलो करते हैं. इसी प्रकार से डीआईजी अजय पाल लांबा के फेसबुक पेज को 1 लाख 94 हजार लोग फॉलो करते हैं. इस तरह के कई पुलिस अधिकारी हैं जिनके खुद के फेसबुक पर फॉलोअर्स की संख्या राजस्थान पुलिस के ऑफिशियल हैंडल से कहीं अधिक है.

पढ़ें: शिक्षा विभाग ने फर्जी आदेश वायरल होने के मामले में तीन शिक्षकों को किया निलबिंत

चारे के ट्रकों को नहीं रोकने का आदेश: राजस्थान पुलिस का दूसरा आदेश जो चर्चाओं में बना हुआ है, उसे पुलिस मुख्यालय से एडीजी लॉ एंड ऑर्डर हवा सिंह घुमरिया की ओर से जारी किया गया है. जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्रदेश में चारे की भारी मांग एवं कमी को देखते हुए हाईवे पर चारे का परिवहन कर रहे वाहनों को नाकों पर रोक पुलिसकर्मियों की ओर से अनावश्यक परेशान नहीं किया (Police order for trucks carrying fodder) जाए. पुलिस मुख्यालय से यह आदेश तमाम रेंज आईजी और जिला एसपी को जारी कर इसकी सख्ती से पालना कराने के निर्देश दिए गए हैं.

हाईवे पर ओवर लोड़ चलते हैं चारे के वहां अब कैसे करें कार्रवाई: पुलिस मुख्यालय से यह आदेश जारी होने के बाद चारे का परिवहन करने वाले लोगों की तो चांदी हो गई. लेकिन ऐसे वाहन जिनमें चारे को ओवरलोड करके भरा जाता है और जो पूरे हाईवे को घेर कर चलते हैं व दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, उनके खिलाफ पुलिस किस तरह से कार्रवाई करे इस पर संशय बना हुआ है. साथ ही चारे से भरे वाहनों को नाके पर नहीं रोकने के आदेश के बाद इसका गलत फायदा शराब, हथियार या मादक पदार्थ तस्कर ना उठाएं यह भी चिंता का एक बड़ा विषय बना हुआ है.

एडिशनल एसपी के पास परिवादियों को ना भेजने आदेश: वहीं राजस्थान पुलिस का तीसरा आदेश जो चर्चाओं का विषय बना हुआ है. यह आदेश जैसलमेर जिला पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी किया गया है. जिसमें जिला पुलिस अधीक्षक भंवर सिंह नाथावत ने आदेश जारी करते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आने वाले परिवादियों को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के सामने पेश ना करने के लिए कहा है. आदेश में इस बात का जिक्र किया गया है कि एसपी की मौजूदगी में जिला मुख्यालय पर आने वाले परिवादियों को एसपी द्वारा ही सुना जाएगा और आदेश की कड़ाई से पालना करने के निर्देश दिए गए हैं.

जयपुर. इन दिनों राजस्थान पुलिस के तीन आदेश चर्चाओं का विषय बने हुए हैं. इन्हें लेकर पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी भी असमंजस में हैं. इनमें से एक आदेश पुलिस मुख्यालय के सोशल मीडिया हैंडल को फॉलो करने और सभी पुलिसकर्मियों के सोशल मीडिया अकाउंट बनाने को लेकर (Rajasthan Police directs policemen to join social media) है. इससे वे पुलिसकर्मी परेशान हैं जिनके लिए पहचान छुपाना अनिवार्य है और कुछ ऐसे पुलिसकर्मी हैं जिनके पास मल्टी​मीडिया फोन ही नहीं हैं.

पहला आदेश पुलिस मुख्यालय से राजस्थान पुलिस के तमाम सोशल नेटवर्किंग हैंडल्स को लेकर निकाला गया है. जिसके तहत तमाम रेंज आईजी व जिला एसपी को निर्देश दिए गए हैं की सभी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी राजस्थान पुलिस के सोशल मीडिया हैंडल्स से जुड़ें. ऐसे अधिकारी व कर्मचारी जिनके सोशल मीडिया हैंडल्स नहीं हैं या जिनके फेसबुक और ट्विटर पर प्रोफाइल नहीं हैं, वे अपनी प्रोफाइल क्रिएट करें. तमाम जिला और रेंज स्तर पर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर पेज क्रिएट किया जाएं और वे पुलिस मुख्यालय के ऑफिशियल पेज और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो करें.

पढ़ें: जयपुर आरटीओ कार्यालय के एक अधिकारी का आदेश बना चर्चा का विषय...जानें क्या है आदेश

इसके साथ ही जिले और रेंज में पदस्थापित तमाम पुलिसकर्मी भी सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल क्रिएट करें और जिले व रेंज के पेज के अलावा राजस्थान पुलिस के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल्स को फॉलो करें. राजस्थान पुलिस के सोशल मीडिया हैंडल्स पर की जाने वाली पोस्ट को सभी पुलिसकर्मी लाइक व शेयर करें और कमेंट करें. ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य पुलिस मुख्यालय से जारी किए गए संदेश को सभी पुलिसकर्मी तक पहुंचाना और पुलिसकर्मियों के माध्यम से उन्हें आगे प्रसारित कर आमजन तक पहुंचाना है.

आईबी और स्पेशल सेल में तैनात पुलिसकर्मियों में असमंजस: पुलिस मुख्यालय से आदेश अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस तकनीकी सेवा की ओर से जारी किया गया है. जाहिर सी बात है कि पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी हुआ है तो तमाम पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को इसकी पालना करना जरूरी है. आईबी और स्पेशल सेल में तैनात ऐसे पुलिसकर्मी जो अपनी पहचान को गोपनीय रखकर विभिन्न तरह की सूचनाएं एकत्रित करते हैं या बदमाशों के बीच में रहते हैं, उनके लिए सोशल मीडिया पर प्रोफाइल क्रिएट करना एक बड़ा खतरा बन सकता है. इसके साथ ही पुलिस फोर्स में ऐसे पुलिसकर्मी भी मौजूद हैं जिनके पास मल्टीमीडिया फोन नहीं हैं.

पढ़ें: राजस्थान में एक आदेश पर भड़का गुर्जर समाज, विरोध पर अधिकारी निलंबित...जानें क्या है माजरा

ड्यूटी के दौरान फोन उपयोग ना करने की कैसे हो पालना: इस आदेश पर एक और असमंजस बना हुआ है. कई जिला एसपी और पुलिस कमिश्नर ने अपने स्तर पर ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों के मोबाइल का उपयोग ना करने पर पाबंदी लगा रखी है. अब ऐसे में पुलिसकर्मी, पुलिस कमिश्नर या जिला एसपी के आदेश की पालना करें या पुलिस मुख्यालय से जारी किए गए आदेश की, इसे लेकर भी काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

कई पुलिस अधिकारी फॉलोअर्स के मामले में राजस्थान पुलिस से कहीं आगे: राजस्थान पुलिस के कई आला अधिकारी फॉलोअर्स के मामले में राजस्थान पुलिस के ऑफिशियल हैंडल के फॉलोअर्स की संख्या (Followers on Rajasthan police Facebook Page) से कहीं आगे हैं. यदि बात की जाए राजस्थान पुलिस के फेसबुक पेज की तो उसे 77 हजार लोग फॉलो करते हैं. वहीं सिंघम के नाम से मशहूर एडीजी दिनेश एमएन के फेसबुक पेज को 3 लाख 63 हजार लोग फॉलो करते हैं. इसी प्रकार से डीआईजी अजय पाल लांबा के फेसबुक पेज को 1 लाख 94 हजार लोग फॉलो करते हैं. इस तरह के कई पुलिस अधिकारी हैं जिनके खुद के फेसबुक पर फॉलोअर्स की संख्या राजस्थान पुलिस के ऑफिशियल हैंडल से कहीं अधिक है.

पढ़ें: शिक्षा विभाग ने फर्जी आदेश वायरल होने के मामले में तीन शिक्षकों को किया निलबिंत

चारे के ट्रकों को नहीं रोकने का आदेश: राजस्थान पुलिस का दूसरा आदेश जो चर्चाओं में बना हुआ है, उसे पुलिस मुख्यालय से एडीजी लॉ एंड ऑर्डर हवा सिंह घुमरिया की ओर से जारी किया गया है. जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्रदेश में चारे की भारी मांग एवं कमी को देखते हुए हाईवे पर चारे का परिवहन कर रहे वाहनों को नाकों पर रोक पुलिसकर्मियों की ओर से अनावश्यक परेशान नहीं किया (Police order for trucks carrying fodder) जाए. पुलिस मुख्यालय से यह आदेश तमाम रेंज आईजी और जिला एसपी को जारी कर इसकी सख्ती से पालना कराने के निर्देश दिए गए हैं.

हाईवे पर ओवर लोड़ चलते हैं चारे के वहां अब कैसे करें कार्रवाई: पुलिस मुख्यालय से यह आदेश जारी होने के बाद चारे का परिवहन करने वाले लोगों की तो चांदी हो गई. लेकिन ऐसे वाहन जिनमें चारे को ओवरलोड करके भरा जाता है और जो पूरे हाईवे को घेर कर चलते हैं व दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, उनके खिलाफ पुलिस किस तरह से कार्रवाई करे इस पर संशय बना हुआ है. साथ ही चारे से भरे वाहनों को नाके पर नहीं रोकने के आदेश के बाद इसका गलत फायदा शराब, हथियार या मादक पदार्थ तस्कर ना उठाएं यह भी चिंता का एक बड़ा विषय बना हुआ है.

एडिशनल एसपी के पास परिवादियों को ना भेजने आदेश: वहीं राजस्थान पुलिस का तीसरा आदेश जो चर्चाओं का विषय बना हुआ है. यह आदेश जैसलमेर जिला पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी किया गया है. जिसमें जिला पुलिस अधीक्षक भंवर सिंह नाथावत ने आदेश जारी करते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आने वाले परिवादियों को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के सामने पेश ना करने के लिए कहा है. आदेश में इस बात का जिक्र किया गया है कि एसपी की मौजूदगी में जिला मुख्यालय पर आने वाले परिवादियों को एसपी द्वारा ही सुना जाएगा और आदेश की कड़ाई से पालना करने के निर्देश दिए गए हैं.

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