जयपुर. राजस्थान के 6 जिलों भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, जयपुर, जोधपुर और सिरोही के पंचायती राज चुनावों के पहले चरण में 25 पंचायत समितियों और इनमें आने वाले जिला परिषद सदस्यों के लिए गुरुवार 26 अगस्त को मतदान होने जा रहा है. प्रदेश में सत्ताधारी दल कांग्रेस है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के नेता इस चुनाव में अपनी बढ़त मानकर चल रहे हैं.
साल 2020 में हुए 20 जिलों के पंचायती राज चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को जो झटका दिया उसके बाद अब 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. वैसे तो मुख्यमंत्री होने के नाते अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते गोविंद डोटासरा की साख भी चुनाव में दांव पर होगी. गुरुवार 26 अगस्त को होने वाले पहले चरण के चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत 5 मंत्रियों की 6 पंचायत समिति में चुनाव होने हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत 5 मंत्रियों की प्रतिष्ठा पहले चरण के चुनाव में दांव पर होगी.
वहीं, पहले चरण में 6 कांग्रेस विधायकों की 9 पंचायत समिति में भी चुनाव है. ऐसे में 6 कांग्रेस के विधायकों की भी प्रतिष्ठा दांव पर होगी. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने विधायकों के ऊपर टिकट वितरण की जिम्मेदारी सौंपी थी और जहां से कांग्रेस समर्थक निर्दलीय विधायक आते हैं वहां भी टिकट वितरण और चुनाव जिताने की जिम्मेदारी निर्दलीयों पर सौंपी गई थी. ऐसे में तीन निर्दलीय विधायकों की पंचायत समिति में गुरुवार 26 अगस्त को होने वाले चुनाव में साख दांव पर होगी.
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पहला चरण कांग्रेस पार्टी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि 25 पंचायत समिति में से 16 पंचायत समिति कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र में आती हैं. तीन पंचायत समितियां कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में आती हैं. ऐसे में जहां कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थित विधायक हैं वहां अगर कांग्रेस पार्टी का प्रधान नहीं बनता है तो सवाल निश्चित तौर पर विधायकों के ऊपर ही खड़े होंगे.
राजस्थान में गुरुवार 26 अगस्त को जिन पंचायत समितियों में चुनाव होने हैं, उनमें 6 पंचायत समितियां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत 5 मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र में आती हैं. इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की विधानसभा सरदारपुरा में आने वाली मंडोर पंचायत समिति, मंत्री लालचंद कटारिया की विधानसभा झोटवाड़ा में आने वाली झोटवाड़ा पंचायत समिति, मंत्री राजेंद्र यादव की विधानसभा में आने वाली कोटपूतली पंचायत समिति, मंत्री ममता भूपेश की विधानसभा में आने वाली सिकराय पंचायत समिति और मंत्री भजन लाल जाटव की विधानसभा वैर में आने वाली वैर और भुसावर पंचायत समिति के चुनाव शामिल हैं.
वहीं, पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी. इन 6 विधायकों में से विधायक इंद्राज गुर्जर की विधानसभा विराटनगर में आने वाली पंचायत समिति विराटनगर और पावटा, बयाना से कांग्रेस विधायक अमर सिंह जाटव की विधानसभा में आने वाली बयाना और रूपबास पंचायत समिति. विधायक दिव्या मदेरणा की विधानसभा ओसियां से आने वाली ओसिया पंचायत समिति और तिंवरी पंचायत समिति. विधायक जीआर खटाणा की विधानसभा बांदीकुई में आने वाली बेजुपाड़ा पंचायत समिति. विधायक इंदिरा मीणा की विधानसभा बामनवास की बामनवास पंचायत समिति और विधायक महेंद्र विश्नोई की विधानसभा लूणी की केरु पंचायत समिति में चुनाव है ।इस तरह से कांग्रेस के 6 विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में आने वाली 9 पंचायत समितियों में गुरुवार को चुनाव होने हैं, जहां पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी कांग्रेस विधायकों की होगी.
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3 कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायकों पर भी जीत दिलाने की जिम्मेदारी
इसके साथ ही 26 अगस्त को होने वाले चुनावों मे तीन कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायकों पर भी कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी होगी. यह तीनों विधायक कांग्रेस समर्थित हैं और इन्हीं के कहने पर कांग्रेस पार्टी ने अपने टिकट भी बांटे हैं. ऐसे में निर्दलीय विधायकों की विधानसभा में हार और जीत निर्दलीय विधायकों के भविष्य को तय करेगी. जिन तीन निर्दलीय विधायकों की विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हैं उसमें निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा की विधानसभा गंगापुर सिटी की गंगापुर सिटी पंचायत समिति. निर्दलीय विधायक आलोक बेनीवाल की विधानसभा शाहपुरा की पंचायत समिति शाहपुरा और निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला की विधानसभा महुआ की महुआ पंचायत समिति शामिल है.
ऐसे में साफ है कि तीनों चरण में कांग्रेस के मुख्यमंत्री समेत 6 मंत्री, 18 विधायक और 1 राज्यसभा सांसद शामिल हैं, तो 6 निर्दलीय विधायकों और एक आरएलडी के कोटे से मंत्री सुभाष गर्ग की विधानसभा में भी चुनाव होने हैं. हालांकि, 26 अगस्त को 78 में से 25 पंचायत समितियों और उनमें आने वाले जिला परिषद सदस्यों के चुनाव हैं. जिनमें 5 मंत्री, 6 कांग्रेस विधायक और 3 निर्दलीय विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है.