जयपुर. राजस्थान में एक ओर कैबिनेट विस्तार या फेरबदल (Cabinet Expansion and Reshuffle) को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी का संगठन और सरकार राजस्थान में होने वाले दो विधानसभा सीटों वल्लभनगर और धारियावाद सीटों पर उपचुनाव (Rajasthan By-Election) में जुट गई है. क्योंकि अभी उपचुनाव की तारीख घोषित नहीं हुई है, लेकिन राजस्थान में 6 जिलों जयपुर, जोधपुर, सिरोही, सवाई माधोपुर, दौसा और भरतपुर में पंचायत चुनाव (Rajasthan Panchayati Raj Election) घोषित हो चुके हैं.
ऐसे में ज्यादा फोकस कांग्रेस पार्टी ने 6 जिलों में हो रहे पंचायत चुनाव पर कर लिया है. तीन चरणों में होने वाले इन पंचायत चुनाव में पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया बुधवार 11 अगस्त से शुरू हो जाएगी. यह चुनाव सत्ताधारी दल कांग्रेस के लिए साख का सवाल बने हुए हैं और उसके पीछे कारण है साल 2020 में 20 जिलों के हुए जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव. जहां यह माना जाता है कि गांव का वोटर ज्यादातर गांव की सरकार बनाने में कांग्रेस के हाथ का साथ देता है.
लेकिन 2020 में 20 जिलों में से जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 12 जगह अपने जिला प्रमुख बनाने में कामयाबी पाई तो सत्ताधारी दल कांग्रेस के हाथ केवल पांच जिला प्रमुख ही आए. हालांकि, प्रधान बनाने के मामले में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने भाजपा की बराबरी तो की, लेकिन एक तो सत्ताधारी दल होने और दूसरा गांव के वोटर पर कांग्रेस के एकाधिकार की बात पर झटका कांग्रेस पार्टी को लगा है.
अब साल 2020 में अपनी साख गंवा चुकी कांग्रेस के सामने इन 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में जीतने की एक चुनौती रहेगी. यह चुनौती राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा (Gehlot-Dotasra) के लिए तो होगी ही. इसके साथ ही राजस्थान के इन 6 जिलों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत 7 मंत्रियों और 18 कांग्रेस के विधायकों, चार निर्दलीय विधायकों और एक राज्यसभा सांसद नीरज डांगी की साख दांव पर है.
इन मंत्रियों की रहेगी साख दांव पर...
जोधपुर - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
जयपुर - राजेंद्र यादव, लालचंद कटारिया
भरतपुर - भजन लाल जाटव, सुभाष गर्ग (हालांकि सुभाष गर्ग कांग्रेस के नहीं, बल्कि समर्थित पार्टी आरएलडी के हैं)
दौसा - ममता भूपेश और प्रसादी लाल मीणा
इन 18 कांग्रेस 4 निर्दलीय विधायकों समेत राज्यसभा सांसद नीरज डांगी की साख रहेगी दांव पर...
भरतपुर - विश्वेंद्र सिंह, वाजिब अली, जाहिदा खान, जोगिंदर अवाना, अमर सिंह जाटव
जयपुर - वेद प्रकाश सोलंकी, इंद्राज गुर्जर, गोपाल मीणा
जयपुर जिले के तीन विधायक वह भी हैं जो निर्दलीय हैं, लेकिन कांग्रेस को सपोर्ट करते हैं. ऐसे में विधायक बाबूलाल नागर, विधायक आलोक बेनीवाल और विधायक लक्ष्मण मीणा के लिए भी कांग्रेस पार्टी को चुनाव जीताना बड़ी जिम्मेदारी होगी.
जोधपुर - दिव्या मदेरणा, मीना कंवर, महेंद्र विश्नोई, किशना राम विश्नोई और हीरालाल मेघवाल
दौसा - मुरारी लाल मीणा और जीआर खटाणा
सिरोही - राज्यसभा सांसद नीरज डांगी और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा
सवाई माधोपुर - अशोक बैरवा, इंदिरा मीणा और दानिश अबरार
निर्दलीय और एक आरएलडी के कोटे से मंत्री का भविष्य भी तय होगा इन चुनावों में...
एक ओर राजस्थान में कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी किया जा सकता है, लेकिन दूसरी ओर अब यह चर्चा चल पड़ी है कि 6 जिलों में होने वाले चुनाव के नतीजे मंत्रियों और विधायकों के भविष्य तय करेंगे. जिन मंत्रियों के क्षेत्र में मंत्री अपनी पार्टी को नहीं जीता सकेंगे, उनपर मंत्री पद से हटाए जाने की तलवार लटक सकती है. वहीं, जो विधायक बेहतर प्रदर्शन करेंगे, उनकी एंट्री कैबिनेट में परफॉर्मेंस के आधार पर दी जा सकती है. कांग्रेस के साथ ही इन चुनाव में निर्दलीय विधायकों के परफॉर्मेंस पर भी नजर रहेगी कि चार निर्दलीय विधायकों संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर, लक्ष्मण मीणा और आलोक बेनीवाल में से संयम लोढ़ा या बाबूलाल नागर, किस विधायक का प्रदर्शन इन चुनाव में बेहतर रहता है.
क्योंकि इन दोनों नेताओं का भी नाम मंत्री बनाए जाने वाली लिस्ट में शामिल है. उधर आरएलडी (RLD) के कोटे से पहले से ही मंत्री बनाए जा चुके सुभाष गर्ग का भविष्य भी भरतपुर के चुनाव के नतीजों पर तय होगा.
कांग्रेस का प्रभारियों को सिंबल देने का काम हुआ शुरू, टिकट वितरण में रहेगी विधायकों की अहम भूमिका...
6 जिलों में होने वाले पंचायती राज चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी का संगठन कमर कस चुका है. इन 6 जिलों में कांग्रेस पार्टी की ओर से बनाए गए प्रभारी अपने जिलों में जाकर संभावित प्रत्याशियों की बैठक कर चुके हैं. ऐसे में संभावित प्रत्याशियों के नाम भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंप चुके हैं. अब जिन जिलों में पहले चरण का चुनाव है, उन जिलों के प्रभारियों को सिंबल देने का काम शुरू हो चुका है. जो नामांकन के अंतिम दिन तक जारी रहेगा.
हालांकि, प्रभारियों ने अपने क्षेत्र में जाकर प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस के नेताओं की नब्ज टटोली है, लेकिन किस प्रत्याशी को टिकट दिया जाएगा यह विधायकों पर ही छोड़ा जा रहा है. ऐसे में जिन विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है, उनके कहने पर ही टिकट दिए जाएंगे.