जयपुर. राजस्थान में पंचायती राज चुनाव के बाद अब सियासी 'खेल' शुरू हो चुका है. बात करें कांग्रेस की तो पार्टी के विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्र में आने वाले पंचायत समिति सदस्यों और जिला परिषद सदस्यों को बाड़ाबंदी में ले लिया है. राज्य के जिन 6 जिलों में जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव हुए हैं, उसमें कुल 37 विधानसभा क्षेत्र लगते हैं.
इन 37 विधानसभा क्षेत्रों में से विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या महज 6 और आरएलपी का एक विधायक है. ऐसे में बाकी बची 30 विधानसभा में 6 मंत्री, 18 कांग्रेस के विधायक और 6 निर्दलीय कांग्रेस समर्थित विधायक हैं. ऐसे में 30 विधानसभा क्षेत्र में तो विधायकों ने अपने स्तर पर बाड़ाबंदी कर ली है, बाकी बची 7 विधानसभा में कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों और पंचायत समिति सदस्यों की जिम्मेदारी हारे हुए प्रत्याशियों को दी गई है.
माननीय बाड़ाबंदी में कर रहे करोड़ों खर्च...
देश में कोरोना महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियां आज भी पूरी तरह से पटरी पर नहीं आ सकी हैं. लोगों को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन माननीयों को कोरोना से पैदा हुई आर्थिक चुनौतियां से कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है. चुनाव में बाड़ाबंदी के नाम पर होटल और रिसोर्ट में जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों को रखने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है.
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आपको बता दें कि प्रदेश में 6 जिलों में कुल 78 पंचायत समितियों में 1564 पंचायत समिति मेंबर और 200 जिला परिषद सदस्य चुने जाने हैं. दोनों पार्टियों ने अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े प्रत्याशियों समेत कुल 2000 नेताओं को बाड़ाबंदी में रखा है. जिसमें करीब 10 करोड़ का खर्च इन प्रत्याशियों के रहने-खाने पर होगा. वैसे तो इस खर्च की जिम्मेदारी प्रत्यक्ष तौर पर विधायकों की है, लेकिन हकीकत यह है कि जो नेता जिला प्रमुख और प्रधान बनने की दौड़ में हैं, खर्चा भी वही नेता कर रहे हैं.
अब बारी निर्दलियों के खरीद-फरोख्त की...
प्रत्याशियों के रहने खाने के नाम पर करीब 10 करोड़ का खर्च कांग्रेस के नेताओं का होगा. लेकिन असली खर्चा 4 सितंबर को चुनाव के नतीजों के बाद शुरू होगा. क्योंकि उसके बाद प्रधान और जिला प्रमुख बनाने के लिए होने वाली जोड़-तोड़ चरम पर होगी. राजनीति के जानकारों का मानना है कि, क्योंकि कांग्रेस सत्ता में है और 6 जिलों में जिन 37 विधानसभा में चुनाव हो रहे हैं, उनमें से 30 विधानसभा कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थक विधायकों के कब्जे में हैं.
ऐसे में विधायक साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाते हुए चुनाव में जीत दर्ज करने वाले निर्दलीयों को भी अपने पाले में लाने का प्रयास करेंगे. क्योंकि इन चुनाव में दल बदल कानून लागू नहीं होता है तो ऐसे में अपनी पार्टी से नाराज जीते हुए प्रत्याशियों को दूसरी पार्टी भी अपने साथ मिलाने का प्रयास करेगी. जानकारों की मानें तो दोनों पार्टियों के लिए ये चुनाव करीब 50 करोड़ रुपये के होंगे.
जयपुर जिला ऐसा जहां जयपुर और दौसा के प्रत्याशियों को रखा गया...
चुनाव में जयपुर ऐसा जिला है, जहां दौसा और जयपुर दोनों जिलों के पंचायत समिति सदस्यों और जिला परिषद सदस्यों को बाड़ाबंदी में रखा गया है. इसके अलावा बाकी बचे जिले भरतपुर, सवाई माधोपुर, सिरोही और जोधपुर की बाड़ाबंदी उन्हीं जिलों में की गई है. केवल गोविंदगढ़ पंचायत समिति के प्रत्याशियों को सरिस्का रिसोर्ट में रखा गया है. बाड़ाबंदी में प्रत्याशियों के फोन उनसे ले लिए गए हैं.