जयपुर. राजस्थान के 21 जिलों में हुए पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव के मंगलवार को जारी परिणाम सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को छोड़ बीजेपी के पक्ष में रहे. राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, कुल पंचायत समिति क्षेत्रों की 4371 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी ने 1,833 सीटों पर जीत हासिल की है, तो वहीं सत्ताधारी दल कांग्रेस ने 1713 सीटों पर कब्जा जमाया है. लेकिन, हमेशा चुनाव में नजर होती है सत्ताधारी दल और उसके उन मंत्रियों के ऊपर, जिनके जिलों में हुए चुनाव में परिणामों पर.
इस बार के नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए बदतर कहे जा सकते हैं. जिला परिषद की बात करें तो प्रदेश में 21 जिलों में जिला परिषद के चुनाव हुए थे. उनमें से भाजपा ने 13 जिलों में अपना जिला प्रमुख बनाने जा रही है. इन 13 जिलों में पाली, सीकर, चूरू, झुंझुनू, बूंदी, अजमेर, टोंक, उदयपुर, भीलवाड़ा, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और जालौर शामिल हैं.
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वहीं, कांग्रेस पार्टी जो सत्ताधारी दल है, उसे 21 में से महज 5 जिला परिषद में बहुमत हासिल हुआ है. इन 5 जिलों में हनुमानगढ़, जैसलमेर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और बीकानेर शामिल हैं. वहीं, आदिवासी इलाके डूंगरपुर में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने अपने पैर जमा लिए हैं और इसका नतीजा है कि डूंगरपुर में बीटीपी का जिला प्रमुख बनेगा. बाड़मेर में मुकाबला बराबरी का रहा है, जहां कांग्रेस और भाजपा के 18-18 सदस्य जीते हैं, जबकि एक सीट पर आरएलपी का कब्जा है. इसी तरीके से नागौर में भाजपा ने 20 कांग्रेस ने 18 और आरएलपी ने 9 सीटें जीती हैं. ऐसे में बाड़मेर और नागौर में जिला प्रमुख कौन बनेगा, इसका फैसला हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी करती दिखाई देगी.
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और मंत्री रघु शर्मा के साथ ही मंत्री उदयलाल आंजना और मंत्री सुखराम बिश्नोई अशोक चांदना ना तो जिला प्रमुख बना सके, ना ही अपनी पंचायत समिति में जीत दिला सके.
इन मंत्रियों के गढ़ में भी सत्ताधारी दल को मिली हार...
गोविंद डोटासरा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
चुनाव नतीजों पर सबकी नजर थी, लेकिन सबसे ज्यादा नजर थी राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर. जिनके ऊपर इन चुनाव की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी थी, लेकिन प्रदेश के नतीजे तो कांग्रेस के लिए खराब आए ही खुद गोविंद डोटासरा के गृह जिले सीकर में भाजपा जिला प्रमुख बनाती हुई दिखाई दे रही है. इसके साथ ही खास बात यह है कि न केवल अपने गृह जिले में, बल्कि गोविंद डोटासरा अपनी पंचायत समिति लक्ष्मणगढ़ में भी पार्टी को जीत नहीं दिला सके हैं.
रघु शर्मा, स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के लिए भी ये चुनाव के नतीजे खराब साबित हुए हैं, क्योंकि एक ओर तो अजमेर जिला प्रमुख अब भारतीय जनता पार्टी का होगा. वहीं दूसरी ओर अपने अजमेर जिले के साथ ही अपनी खुद की केकड़ी पंचायत समिति से भी रघु शर्मा को निराशा हाथ लगी है. यहां से भी भाजपा का ही प्रधान बनना तय है.
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उदयलाल आंजना, सहकारिता मंत्री
सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना के लिए तो ये पंचायतों के चुनाव एक बुरे सपने की तरह साबित हुए हैं, क्योंकि जहां एक ओर चित्तौड़गढ़ जिले में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है और भाजपा का जिला प्रमुख बनना तय है. वहीं निंबाहेड़ा पंचायत समिति जो खुद उदयलाल आंजना की पंचायत समिति कहलाती है, वहां से भी कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा है.
अशोक चांदना, खेल मंत्री
खेल मंत्री अशोक चांदना के लिए भी ये चुनाव के नतीजे निराशाजनक रहे हैं, क्योंकि खेल मंत्री अशोक चांदना के गृह जिले बूंदी में भले ही कुछ मार्जिन से सही, लेकिन कांग्रेस बहुमत बनाने में पिछड़ गई है और अगर किसी तरीके की तोड़फोड़ नहीं हुई तो जिला प्रमुख भाजपा का ही बनेगा. इसके साथ ही ज्यादा निराशाजनक नतीजे अशोक चांदना के लिए अपनी पंचायत समिति हिंडोली से आए हैं, जहां पर वह प्रधान बनाने में भी भाजपा से पिछड़ गए हैं.
सुखराम बिश्नोई, वन मंत्री
मंत्री सुखराम बिश्नोई के लिए भी ये नतीजे बुरे सपने की तरह हैं. जहां एक ओर जालौर में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है और भाजपा का जिला प्रमुख जालौर में बनना तय है. इसके साथ ही सांचौर पंचायत समिति जो खुद मंत्री सुखराम बिश्नोई की पंचायत समिति है, वहां से भी अब भाजपा का प्रधान बनेगा.
इनका प्रदर्शन रहा ठीक...
सालेह मोहम्मद, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री
मंत्री सालेह मोहम्मद के लिए भी यह चुनाव नतीजे अच्छे साबित हुए हैं, क्योंकि उनके गृह जिले जैसलमेर में भी कांग्रेस पार्टी अपना जिला प्रमुख बना लेगी, हालांकि सालेह मोहम्मद की पंचायत समिति पोकरण में चुनाव नहीं थे.
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अर्जुन बामणिया, जनजाति मंत्री
बांसवाड़ा से आने वाले मंत्री अर्जुन बामनिया का भी परफॉर्मेंस कुछ हद तक सही कहा जा सकता है, क्योंकि एक ओर तो बांसवाड़ा जिला परिषद में कांग्रेस ने 31 में से 20 सीटें जीते हुए अपना जिला प्रमुख बनना तय कर लिया है. बांसवाड़ा से भाजपा को 10 और निर्दलीय को 1 सीट मिली है, तो वहीं दूसरी ओर अर्जुन बामनिया की बांसवाड़ा पंचायत समिति से हार का सामना करना पड़ा है. बांसवाड़ा पंचायत समिति से भाजपा का प्रधान बनना तय है. सबसे रोचक नतीजे बाड़मेर और नागौर के जहां से जिला प्रमुख बनना तय करेगी हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी, नागौर से तो उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी की पत्नी ही चुनाव हार गईं.
हरीश चौधरी, राजस्व मंत्री
नतीजों के लिहाज से मंत्री हरीश चौधरी के गृह जिले बाड़मेर का नतीजा सबसे रोचक रहा है. यहां 37 जिला परिषद की सीटों में से 18 सीटों पर बीजेपी और 18 सीटों पर ही कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जबकि एक सीट आरएलपी के प्रत्याशी ने जीती है. ऐसे में आरएलपी जिसे समर्थन करेगी, उसी पार्टी का जिला प्रमुख बाड़मेर में बनेगा. वहीं नागौर के नतीजे भी कमोबेश ऐसे ही रोमांचित करने वाले हैं, क्योंकि नागौर जिला परिषद में भाजपा ने 20 और कांग्रेस ने 18 जिला परिषद की सीटों पर जीत दर्ज की है, लेकिन दोनों ही पार्टियां बहुमत के आंकड़े से दूर हैं. ऐसे में जिला प्रमुख बनाने के लिए आरएलपी की जरूरत पड़ेगी और जिस पार्टी को आरएलपी समर्थन करेगी उसी का जिला प्रमुख नागौर में बनेगा.
आदिवासी इलाकों में उभर कर आई बीटीपी, डूंगरपुर में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी
राजस्थान में इस बार एक जिला ऐसा भी है, जहां भाजपा कांग्रेस के अलावा तीसरी पार्टी का बहुमत ज्यादा है और वह जिला है डूंगरपुर. जहां बहुमत किसी के पास नहीं है, लेकिन सबसे ज्यादा जिला परिषद सदस्य जीत कर आए हैं भारतीय ट्राइबल पार्टी के. इसके बाद दूसरे नंबर पर भाजपा ने 8 सीटें जीती है, तो कांग्रेस ने 6 तो वहीं निर्दलीय के खाते में भी 2 सीटें गई हैं. ऐसे में बहुमत भले ही यहां किसी के पास नहीं है और जोड़-तोड़ से ही जिला प्रमुख बनेगा, लेकिन सबसे ज्यादा सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी ने जीती हैं.
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आइए आंकड़ों के जरिए समझते हैं जीत हार का गणित...
जिला परिषद चुनाव- कुल 21 जिलों में
भाजपा जीती:13 जिलों में
कांग्रेस: 05 जिलों में
पंचायत समिति चुनाव
कुल पंचायत समिति- 222
कुल वार्ड संख्या- 4371
बीजेपी ने जीती 1836 सीटें
कांग्रेस ने जीती 1718 सीटें
निर्दलीयों ने जीती 422 सीटें
बसपा ने जीती 3 सीटें
भाजपा : 93 पंचायत समिति पर जीत
कांग्रेस: 81 पंचायत समिति पर जीत