ETV Bharat / city

Special : सालों से चली आ रही राजस्थान विधानसभा की 'अपशकुनी परंपरा'...नहीं रहती विधायकों की पूरी संख्या

राजस्थान विधानसभा का पिछले 20 सालों से एक अजीब संयोग रहा है. जिसमें विधानसभा के एक पूरे कार्यकाल में पूरे 200 सदस्य कभी विधानसभा में बैठ नहीं पाए हैं. ऐसे में एक बार फिर से कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद सदस्यों की संख्या 199 रह गई. इसे मजह एक संयोग कहें या 'अपशकुनी परंपरा', देखिये ये रिपोर्ट...

विधानसभा में विधायक की संख्या 199, Legislative Assembly Number 199
विधानसभा में विधायक की संख्या 199
author img

By

Published : Oct 6, 2020, 7:41 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा ऐसी विधानसभा है, जहां एक साथ एक समय में पूरे 200 विधायक नहीं बैठ पाते हैं. विधानसभा का इसे अजीब संयोग मानें या कुछ और, लेकिन एक बार फिर 5 साल पूरे होने से पहले राजस्थान विधानसभा के सदस्यों का आंकड़ा 200 से कम हो गया है. भीलवाड़ा की सहाड़ा विधानसभा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद अब 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 199 सदस्य ही रह गए हैं.

विधानसभा में अब विधायकों की संख्या 199...

गहलोत सरकार बनने के साथ ही पहले रामगढ़ विधानसभा में चुनाव नहीं हो सके थे. जिसके चलते सदस्यों की संख्या 199 रह गई थी. उसके बाद सांसद बनने के चलते खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल और मंडावा से विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के चलते फिर यह सीटें खाली हो गईं.

पढ़ें- राजस्थान विधानसभा का अजीब संयोग: सदन में पूरे 5 साल नहीं रह पाता 200 विधायकों का आंकड़ा

इन दोनों सीटों पर चुनाव हुए तो रीटा चौधरी और नारायण बेनीवाल विधायक बने. जिसके बाद एक बार फिर सदस्यों की संख्या 200 हो गई, लेकिन इसी बीच कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल की तबीयत इतनी ज्यादा नासाज हो गई कि वह राजस्थान विधानसभा में मेजॉरिटी दिखाने के लिए भी नहीं आ सके. अभी मास्टर भंवरलाल मेघवाल गंभीर बीमार हैं. इसी बीच विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया है. जिससे अब सदस्य संख्या राजस्थान विधानसभा में 199 रह गई है और एक बार फिर उस बात को बल मिला है. जिसके अनुसार विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाते हैं.

पिछली सरकार में भी 'अपशकुनी परंपरा' रही थी जारी...

ऐसा नहीं है कि गहलोत सरकार के समय में ही यह हालात बने हैं, बल्कि यह हालात तो वसुंधरा राजे के पूर्वर्ती कार्यकाल में भी थे. जब पहले उपचुनाव के चलते 4 सीटें खाली हुईं तो वहां नए विधायक बनकर आए. जिसके चलते सदस्य कम हुए. उपचुनाव के बाद विधायकों की संख्या पूरी हुई, लेकिन इसी दौरान धौलपुर के विधायक बाबूलाल कुशवाहा मर्डर के चार्ज में फंस गए. जिसके चलते कुशवाहा की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करनी पड़ी और फिर राजस्थान विधानसभा में सदस्यों की संख्या 199 रह गई.

बाद में शोभा रानी कुशवाहा अपने पति की सीट पर चुनाव जीतकर आई तो संख्या 200 हुई, लेकिन भीलवाड़ा से मांडलगढ़ विधायक कीर्ति कुमारी का स्वाइन फ्लू से निधन हो गया. जिसके चलते यह संख्या फिर 199 रही. मांडलगढ़ में उपचुनाव से एक बार फिर सदस्य 200 हुए ही थे कि राजस्थान विधानसभा के भाजपा विधायक कल्याण सिंह का निधन हो गया और वसुंधरा राजे का पूरा कार्यकाल 199 विधायकों के साथ ही समाप्त हुआ.

पिछली गहलोत सरकार में भी यही थे हालात...

ऐसा नहीं है कि 2 विधानसभा से ही यह हालात बने हैं, बल्कि इससे पहले जब साल 2008 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे. उस समय भी राजस्थान में विधानसभा का यही हाल था. गहलोत सरकार के समय भंवरी देवी मामले में प्रदेश के दो मंत्रियों को जेल जाना पड़ा. हालांकि, इन दोनों की सदस्यता समाप्त नहीं की गई थी, लेकिन जेल में रहने के कारण वो विधानसभा नहीं जा सकते थे. जिसके चलते विधानसभा में संख्या पूरी नहीं रही. इससे पहले राम सिंह विश्नोई का निधन हो गया था और विधानसभा में संख्या 200 नहीं रह पाई थी.

पढ़ें- कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन...सीएम गहलोत ने जताई संवेदना, डोटासरा ने भी दी श्रद्धांजलि

भाजपा कार्यकाल में करवाई गई थी पूजा...

जिस तरीके से राजस्थान विधानसभा को अपशुकनी विधानसभा माना जाता है. ऐसे में पिछली वसुंधरा राजे सरकार के समय तो विधायक के निधन के बाद तत्कालीन मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर ने विधानसभा में इस अपशकुन को दूर करने के लिए पूजा तक करवाई थी. लेकिन उस पूजा का कोई असर नहीं हुआ और वसुंधरा राजे का कार्यकाल जब समाप्त हुआ तो एक और विधायक का निधन हो गया और संख्या 199 रह गई.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा ऐसी विधानसभा है, जहां एक साथ एक समय में पूरे 200 विधायक नहीं बैठ पाते हैं. विधानसभा का इसे अजीब संयोग मानें या कुछ और, लेकिन एक बार फिर 5 साल पूरे होने से पहले राजस्थान विधानसभा के सदस्यों का आंकड़ा 200 से कम हो गया है. भीलवाड़ा की सहाड़ा विधानसभा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद अब 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 199 सदस्य ही रह गए हैं.

विधानसभा में अब विधायकों की संख्या 199...

गहलोत सरकार बनने के साथ ही पहले रामगढ़ विधानसभा में चुनाव नहीं हो सके थे. जिसके चलते सदस्यों की संख्या 199 रह गई थी. उसके बाद सांसद बनने के चलते खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल और मंडावा से विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के चलते फिर यह सीटें खाली हो गईं.

पढ़ें- राजस्थान विधानसभा का अजीब संयोग: सदन में पूरे 5 साल नहीं रह पाता 200 विधायकों का आंकड़ा

इन दोनों सीटों पर चुनाव हुए तो रीटा चौधरी और नारायण बेनीवाल विधायक बने. जिसके बाद एक बार फिर सदस्यों की संख्या 200 हो गई, लेकिन इसी बीच कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल की तबीयत इतनी ज्यादा नासाज हो गई कि वह राजस्थान विधानसभा में मेजॉरिटी दिखाने के लिए भी नहीं आ सके. अभी मास्टर भंवरलाल मेघवाल गंभीर बीमार हैं. इसी बीच विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया है. जिससे अब सदस्य संख्या राजस्थान विधानसभा में 199 रह गई है और एक बार फिर उस बात को बल मिला है. जिसके अनुसार विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाते हैं.

पिछली सरकार में भी 'अपशकुनी परंपरा' रही थी जारी...

ऐसा नहीं है कि गहलोत सरकार के समय में ही यह हालात बने हैं, बल्कि यह हालात तो वसुंधरा राजे के पूर्वर्ती कार्यकाल में भी थे. जब पहले उपचुनाव के चलते 4 सीटें खाली हुईं तो वहां नए विधायक बनकर आए. जिसके चलते सदस्य कम हुए. उपचुनाव के बाद विधायकों की संख्या पूरी हुई, लेकिन इसी दौरान धौलपुर के विधायक बाबूलाल कुशवाहा मर्डर के चार्ज में फंस गए. जिसके चलते कुशवाहा की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करनी पड़ी और फिर राजस्थान विधानसभा में सदस्यों की संख्या 199 रह गई.

बाद में शोभा रानी कुशवाहा अपने पति की सीट पर चुनाव जीतकर आई तो संख्या 200 हुई, लेकिन भीलवाड़ा से मांडलगढ़ विधायक कीर्ति कुमारी का स्वाइन फ्लू से निधन हो गया. जिसके चलते यह संख्या फिर 199 रही. मांडलगढ़ में उपचुनाव से एक बार फिर सदस्य 200 हुए ही थे कि राजस्थान विधानसभा के भाजपा विधायक कल्याण सिंह का निधन हो गया और वसुंधरा राजे का पूरा कार्यकाल 199 विधायकों के साथ ही समाप्त हुआ.

पिछली गहलोत सरकार में भी यही थे हालात...

ऐसा नहीं है कि 2 विधानसभा से ही यह हालात बने हैं, बल्कि इससे पहले जब साल 2008 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे. उस समय भी राजस्थान में विधानसभा का यही हाल था. गहलोत सरकार के समय भंवरी देवी मामले में प्रदेश के दो मंत्रियों को जेल जाना पड़ा. हालांकि, इन दोनों की सदस्यता समाप्त नहीं की गई थी, लेकिन जेल में रहने के कारण वो विधानसभा नहीं जा सकते थे. जिसके चलते विधानसभा में संख्या पूरी नहीं रही. इससे पहले राम सिंह विश्नोई का निधन हो गया था और विधानसभा में संख्या 200 नहीं रह पाई थी.

पढ़ें- कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन...सीएम गहलोत ने जताई संवेदना, डोटासरा ने भी दी श्रद्धांजलि

भाजपा कार्यकाल में करवाई गई थी पूजा...

जिस तरीके से राजस्थान विधानसभा को अपशुकनी विधानसभा माना जाता है. ऐसे में पिछली वसुंधरा राजे सरकार के समय तो विधायक के निधन के बाद तत्कालीन मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर ने विधानसभा में इस अपशकुन को दूर करने के लिए पूजा तक करवाई थी. लेकिन उस पूजा का कोई असर नहीं हुआ और वसुंधरा राजे का कार्यकाल जब समाप्त हुआ तो एक और विधायक का निधन हो गया और संख्या 199 रह गई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.