जयपुर. बजट सत्र 2022 का ये पहला दिन था जब सदन की कार्यवाही बिना किसी शोर शराबे या हंगामे के बीच (Rajasthan Legislative Assembly Budget Session question hour) नियमानुसार चली. विरोध स्वरूप आज केवल भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी ने काली पट्टी बांधी. जिसके साथ माना जा रहा है कि विपक्ष ने अपना विरोध विधानसभा में समाप्त कर दिया है. यही वजह रही कि आज विधानसभा में शांतिपूर्वक प्रश्नकाल चला और भाजपा विधायकों ने अपने सवाल भी पूछे.
गुलाबचंद कटारिया का सवाल, धारीवाल का जवाब: नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सरकार से पूछा कि क्या सरकार जनजाति बाहुल्य उदयपुर में बेंच खोलने की मंशा रखती है? इस पर जवाब मंत्री शांति धारीवाल (kataria Vs Dhariwal In Assembly) ने कानूनी प्रावधान का जिक्र किया. उन्होंने नियमों का हवाला दिया. कहा कि उच्च न्यायालय की स्थाई बेंच की स्थापना संबंधी प्रस्ताव को राज्य सरकार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजती है. जब ये प्रस्ताव हाई कोर्ट से वापस सरकार को आता है तो फिर सरकार राज्यपाल को हाई कोर्ट बेंच के लिए प्रस्ताव भेजती है.
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इसके बाद राज्यपाल राष्ट्रपति के परामर्श के बाद हाई कोर्ट बेंच को लेकर अंतिम निर्णय लेते हैं. राज्य सरकार को हाईकोर्ट बेंच खोलने के लिए मिले सभी प्रस्ताव को हाई कोर्ट को भिजवा दिए गए हैं लेकिन मुख्य न्यायाधीश से सरकार को अभी कोई परामर्श नहीं मिला है.
दिलाई रांची हाईकोर्ट की याद: मंत्री धारीवाल के उदयपुर हाई कोर्ट बेंच खोलने से इनकार के बाद कटारिया ने रांची हाई कोर्ट बेंच का उदाहरण दिया. कहा कि 1972 में ही रांची में जो बेंच स्थापित हुई उसमें लिखा गया कि छोटा नागपुर एरिया के आदिवासियों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर इस कोर्ट को बनाया गया. ऐसे में क्या उदयपुर को भी जनजाति आबादी के आधार पर, जातीय आधार पर बेंच नहीं बनवानी चाहिए.
मिला स्पीकर का साथ: धारीवाल से संतोषप्रद जवाब न मिलने पर स्पीकर सीपी जोशी ने नेता प्रतिपक्ष (CP Joshi Questions Minister Dhariwal) का साथ दिया. उन्होंने हस्तक्षेप किया. कानूनी प्रावधान और संवैधानिक अधिकार के बीच का अंतर स्पष्ट किया. बोले- राज्यपाल के पास शक्ति है. ऐसे में क्या सरकार राज्यपाल से कहेगी? स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि संविधान गवर्नर को अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर हाई कोर्ट बेंच के लिए राष्ट्रपति को लिखने का अधिकार देता है. तो क्या राज्य सरकार सीधे राज्यपाल से इस बारे में आग्रह नहीं कर सकती?
और स्पीकर की सलाह पर टिकी रही नजर : मंत्री शांति धारीवाल ने तर्क दिया कि अब तक जो 22 हाई कोर्ट बेंच बनी है ,उनमें यही प्रक्रिया रही है. राज्य सरकार सीधे राज्यपाल को लिखने की जगह हाईकोर्ट को ही प्रस्ताव भेज सकती है. जो राज्य सरकार ने भेज दिए हैं. लेकिन इसके बाद फिर इसी का सीपी जोशी ने कहा कि आप जो प्रक्रिया बता रहे हैं वह नॉर्मल प्रोसीजर है. संविधान में गवर्नर को अधिकार दिए गए हैं कि वह शेड्यूल एरिया के अंतर्गत Suo Moto (स्वत: संज्ञान ) बिना गवर्नमेंट की संस्तुति के भी ये निर्णय ले सकते हैं.
जोशी बोले- तो क्या सरकार राज्यपाल को इस बारे में लिखेगी? इस पर मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि सरकार इस बारे में नियम दिखा लेगी और अगर संभव होगा तो यह कर लिया जाएगा. इस पर मंत्री धारीवाल ने कहा कि वो नियम दिखवा लेंगे.