जयपुर. राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या 200 है, लेकिन इसमें से करीब 20 ही विधायक ऐसे हैं जो ऑनलाइन वर्किंग को ठीक ढंग से समझ कर काम कर रहे हैं. इनमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़, विधायक अनिता भदेल, दीप्ति माहेश्वरी, ज्ञानचंद पारख, मदन प्रजापत, अशोक लाहोटी, जोराराम कुमावत, जितेंद्र शेखावत, भरत सिंह, नारायण सिंह, पानाचंद मेघवाल सहित कुछ विधायक शामिल हैं. हालांकि, इनमें से अधिकतर विधायकों के ऑनलाइन वर्किंग से जुड़ा काम उनका स्टाफ देता है, लेकिन ऐसे कई विधायक हैं जिन्हें ऑनलाइन वर्किंग आती ही नहीं.
हर विधायक को लैपटॉप और वेतन भोगी सहायक कर्मचारी की सुविधा : राजस्थान विधानसभा के समस्त प्रक्रिया ऑनलाइन करने के साथ ही राजस्थान के सभी विधायकों को लैपटॉप और करीब 30 हजार रुपए का वेतन भोगी एक सहायक भी विधायकों को मिला, लेकिन ऑनलाइन वर्किंग की दृष्टि से यह सुविधा भी हमारे नेता जी को ऑनलाइन वर्किंग नहीं सिखा पाए. राजस्थान विधानसभा में ऑनलाइन प्रक्रिया अपडेट करने का काम 1993 में करना शुरू किया और साल 2010 में देश में ऐसी पहली विधानसभा होने का तमगा भी मिल गया जो पूरी तरह ऑनलाइन हो गई.
सदन की हर सीट पर लगेगा टच स्क्रीन कंप्यूटर, तैयारी शुरू : राजस्थान विधानसभा के सभी प्रक्रिया और सिस्टम को ही ऑनलाइन नहीं किया गया, बल्कि सदन से जुड़ी प्रक्रिया को भी पेपरलेस (online culture in rajasthan) करने की तैयारी है. विधानसभा में सदन की हर सीट पर मॉनिटर और सिस्टम लगाए जाने हैं. टच स्क्रीन मॉनिटर के माध्यम से कार्यसूची कार्य संचालन व व्यवस्था संबंधी नियमों और पुराने संदर्भ की जानकारी एक बटन क्लिक करने पर ही मिल जाएगी.
कार्यसूची और सदन की कार्रवाई सब कुछ है ऑनलाइन, लेकिन हार्ड कॉपी मांगते हैं विधायक : राजस्थान विधानसभा का अपना मोबाइल ऐप है पेपर बजट तमाम प्रोसिडिंग रोज आदि लाइव रहते हैं, यूट्यूब चैनल के माध्यम से सदन की कार्रवाई भी लाइव दिखाई जाती है. विधानसभा की कार्यसूची ऑनलाइन है, लेकिन अधिकतर विधायक अब भी विधानसभा से कार्रवाई की हार्ड कॉपी मांगते हैं. समय-समय पर विधायकों के प्रशिक्षण के लिए भी कार्यशाला होती है, लेकिन इसमें विधायक रुचि नहीं दिखाते वरना आज यह स्थिति नहीं होती.
मंत्री खाचरियावास ने कहा- ऑनलाइन का जमाना है, जमाने के साथ करेंगे काम, भाजपा विधायक भी सहमत : वहीं, अधिकतर विधायक अब तक ऑनलाइन नहीं हुए, इस बारे में जब मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से सवाल पूछा गया तो (Minister Pratap Singh About Online Trend) उन्होंने कहा कि ऑनलाइन का जमाना है और निश्चित रूप से अधिकतर विधायक अब तक ऑनलाइन प्रश्न नहीं लगाते. लेकिन हमारे विधायक ऑनलाइन से जुड़ने का प्रयास जरूर करते हैं.
खाचरियावास के अनुसार तो जमाना ऑनलाइन का है और जैसा जमाना है वैसे ही हम सब काम करेंगे. वहीं, भाजपा विधायक अविनाश गहलोत के अनुसार स्वयं तो ऑनलाइन प्रक्रिया के अनुरूप ही काम करते हैं, लेकिन अधिकतर विधायक अब तक इस तकनीक के अनुरूप खुद को नहीं डाल पाए हैं. ऐसे में जब तक सभी विधायक नई तकनीक के अनुसार खुद को नहीं ढालते, तब तक राजस्थान विधानसभा के ऑनलाइन होने का लाभ उन्हें नहीं मिल पाएगा.