जयपुर. आवासन आयुक्त (housing commissioner) पवन अरोड़ा ने बताया कि मण्डल की 29 प्रीमियम सम्पत्तियां ई-ऑक्शन (e-auction) के माध्यम से बेची गई है. जिससे मण्डल को 34 करोड़ 12 लाख रुपये का राजस्व मिला. बुधवार नीलामी उत्सव ई-बिड सबमिशन योजना में एक माह में 342 सम्पत्तियां बिकीं, जिससे मण्डल को 37 करोड़ 88 लाख रुपये का राजस्व मिला.
आयुक्त अरोड़ा ने बताया कि मण्डल द्वारा मानसरोवर योजना (Mansarovar Yojana) में विकसित आरएचबी आतिश मार्केट की 10 दुकानें अपने निर्धारित न्यूनतम विक्रय मूल्य से लगभग दोगुनी से ज्यादा कीमत में बिकीं हैं. यहां की 2 दुकानें जिनकी कीमत 1 करोड़ 15 लाख रुपये थी, वह 3 करोड़ 72 लाख रुपये में बिकीं. इनका न्यूनतम विक्रय मूल्य 80 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर था. आयुक्त ने बताया कि मंडल की प्रताप नगर योजना में हल्दी घाटी गेट के पास स्थित एक बड़ा व्यावसायिक भूखंड 14 करोड़ 82 लाख रुपये में बिका.
राजस्थान आवासन मंडल द्वारा प्रताप नगर में विकसित राणा सांगा मार्केट की 7 दुकानों के विक्रय से 3 करोड़ 69 लाख रुपये का राजस्व मिला है. ये सभी दुकानें अपने न्यूनतम विक्रय मूल्य से अधिक कीमत में बिकीं है. अरोड़ा ने बताया कि जयपुर वृत्त प्रथम, द्वितीय और तृतीय में 112 सम्पत्तियां बिकी, जिससे मण्डल को 10 करोड़ 37 लाख रुपये का राजस्व मिला. जोधपुर वृत्त प्रथम और द्वितीय में 99 सम्पत्तियां बिकी, जिससे मण्डल को 12 करोड़ 22 लाख रुपये का राजस्व मिला.
जयपुर के अलावा अन्य शहरों में यूं हुई कमाई...
बीकानेर वृत्त में 73 सम्पत्तियां बिकीं, जिससे मण्डल को 5 करोड 72 लाख. उदयपुर वृत्त में 48 सम्पत्तियां बिकीं, जिससे मण्डल को 7 करोड़ 63 लाख और अलवर वृत्त में 10 सम्पत्तियां बिकीं, जिससे मण्डल को 1 करोड़ 92 लाख रुपये का राजस्व मिला.
प्रॉपर्टी में बूम...
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट का मानना है कि प्रताप नगर में मंडल द्वारा विकसित कोचिंग हब, जयपुर चौपाटी, राणा सांगा मार्केट और एआईएस रेजीडेंसी जैसी प्रीमियम योजनाओं की वजह से यहां प्रॉपर्टी में बूम आया है. उसका ही परिणाम है कि मंडल के बड़े व्यावसायिक भूखंड भी अपने न्यूनतम विक्रय मूल्य से अधिक कीमत पर बिक रहे हैं.