जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगरपालिका कानून के विपरीत जाकर निगम आयुक्त को प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां देने पर स्वायत्त शासन सचिव, डीएलबी निदेशक और भरतपुर नगर निगम के आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश भरतपुर महापौर अभिजीत कुमार की ओर से दायर याचिका पर दिए.
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याचिका में अधिवक्ता संतोष जैमन और अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने नगरपालिका अधिनियम में 18 मई 2017 को संशोधन कर नगर निकायों को अध्यक्ष, सभापति व महापौर के वित्तीय व प्रशासनिक नियंत्रण में कर दिया. इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग ने 9 नवंबर 2017 को दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए. याचिका में कहा गया कि स्थानीय निकाय निदेशक ने गत 26 अगस्त को एक पत्र जारी कर नगरपालिका सामग्री क्रय नियम का हवाला देते हुए नगर निगम आयुक्त को एक करोड़ रुपए तक की वित्तीय और प्रशासनिक शक्ति प्राप्त होना बता दिया.
इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि इस नियम के बाद राज्य सरकार अधिनियम में ही संशोधन कर नगर निगम को महापौर के वित्तीय और प्रशासनिक नियंत्रण में कर चुकी है. ऐसे में स्थानीय निकाय निदेशक ने अधिनियम के विपरीत जाकर यह पत्र जारी किया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.