जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव के पदों पर निकाली गई भर्ती को तीन साल में भी पूरा नहीं करने पर विश्वविद्यालय प्रशासन और संयुक्त उच्च शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश लोकेश कुमार की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि विवि प्रशासन ने जनवरी 2017 में अतिरिक्त कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, उप कुलसचिव, सहायक कुलसचिव, विधि सहायक और कार्टोग्राफर सहित अतिथि गृह प्रबंधक के पदों पर भर्ती निकाली थी. जिसमें याचिकाकर्ता ने सहायक कुलसचिव के पद पर आवेदन किया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता विवि की ओर से आयोजित स्क्रीनिंग टेस्ट पास कर साक्षात्कार के लिए पात्र हो गया है.
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वहीं विवि ने साक्षात्कार की तिथि तय कर बाद में उन्हें स्थगित कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि विवि ने अन्य पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन सहायक कुलसचिव के पदों पर साक्षात्कार नहीं लिए जा रहे हैं. जबकि दस पदों की इस भर्ती में साक्षात्कार के आधार पर ही चयन होना है. याचिकाकर्ता की ओर से यह भी शंका जताई गई की विवि प्रशासन सहायक कुलसचिव के पदों की इस भर्ती को रद्द करना चाहता है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
संविदा पर तैनात कम्प्यूटर ऑपरेटर को हटाने पर जवाबृतलब...
राजस्थान हाईकोर्ट ने संविदा पर तैनात कम्प्यूटर ऑपरेटर को हटाने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और दौसा सीएमएचओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश रोहिताश कुमार शर्मा की ओर से दायर याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता कई सालों से दौसा की बांदीकुई सीएचसी में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर काम कर रहा है. गत 27 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पदों में कमी करते हुए सरप्लस ऑपरेटर्स को जिले में ही दूसरी जगह समायोजित करने को कहा.
याचिका में कहा गया कि दूसरी जगह समायोजन के आदेश होने के बावजूद याचिकाकर्ता को पद से हटा दिया गया. वहीं सीएचसी बांदीकुई के प्रभारी ने कार्य अधिक होने के कारण विभाग से एक अतिरिक्त कम्प्यूटर ऑपरेटर का पद स्वीकृत कर लिया. इस पद पर वरिष्ठता के आधार पर याचिकाकर्ता को नियुक्त किया जाना चाहिए था. इसके बावजूद उसे नियुक्ति नहीं दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.