जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी और दवाइयों की कालाबाजारी के मामले में कहा है कि मरीजों की सहायता के लिए गठित जिला स्तरीय कमेटियों को मरीजों का सहयोग करना चाहिए ना की अस्पताल के काम में हस्तक्षेप. इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने केन्द्र व राज्य सरकार को ऑक्सीजन व दवाइयों की सप्लाई को लेकर समन्वय से काम करने को कहा है.
पढे़ं: राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर निजी अस्पताल को किराये पर देने पर मांगा जवाब
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि केन्द्र सरकार को ऑक्सीजन परिवहन के लिए टैंकर भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए और रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित अन्य दवाओं की आपूर्ति समय पर होनी चाहिए. इस पर केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार की हर स्तर पर मदद की जा रही है. राज्यों से समन्वय के लिए नेशनल टास्क फोर्स गठित की गई है. केन्द्र सरकार की ओर से दिए ऑक्सीजन के पूरे कोटे को राज्य सरकार ने अभी तक नहीं उठाया है.
वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि जिला कमेटियां अस्पतालों के काम में बाधा पैदा कर रही हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने कहा कि संसाधनों के अभाव में अधिवक्ता भवन को कोविड सेंटर में नहीं बदल रहे हैं, लेकिन इसे आइसोलेशन सेंटर का रूप दिया जा सकता है. इस पर खंडपीठ ने कमेटियों को अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करने की हिदायत दी है. गौरतलब है कि हाईकोर्ट बार ने पत्र याचिका पेश कर ऑक्सीजन की कमी और दवाओं की कालाबाजारी का मुद्दा उठाया है.