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राजस्थान HC ने निजी स्कूलों के फीस वसूली के मामले में फैसला रखा सुरक्षित

राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों के फीस वसूली के मामले में अंतरिम आदेश देने के लिए याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में अभिभावक संगठन की ओर से पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर भी अपना फैसला बाद में देना तय किया है.

Rajasthan highcourt,  School fees matter
राजस्थान HC ने निजी स्कूलों के फीस वसूली के मामले में फैसला रखा सुरक्षित
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Published : Sep 4, 2020, 7:23 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों के फीस वसूली के मामले में अंतरिम आदेश देने के लिए याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में अभिभावक संगठन की ओर से पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर भी अपना फैसला बाद में देना तय किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन व अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

पढ़ें: HC ने कोरोना काल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ओर से पूरी फीस वसूलने पर मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता स्कूल फीस कानून के तहत लेते हैं. राज्य सरकार ने कोरोना के चलते गत अप्रैल माह में आदेश जारी कर निजी स्कूलों को अपनी फीस स्थगित करने को कहा था. वहीं, जुलाई माह में फिर से आदेश जारी कर स्कूल खुलने तक फीस स्थगित करने और फीस के अभाव में विद्यार्थी का नाम नहीं काटने को कहा.
याचिका में कहा गया कि अब प्रदेश से लॉकडाउन समाप्त हो चुका है. इसके अलावा स्कूल की आय का एकमात्र जरिया स्कूल फीस ही होती है. फीस से ही टीचर और स्टाफ आदि के वेतन के साथ ही स्कूल के लिए लोन आदि की किस्त दी जाती है.

वहीं, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भी अलग से खर्चा करना पड़ रहा है. ऐसे में राज्य सरकार के फीस स्थगित करने के आदेश को रद्द किया जाए और याचिका के लंबित रहने के दौरान कम से कम ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी जाए. संयुक्त अभिभावक समिति की ओर से मामले में पक्षकार बनने की गुहार की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अंतरिम आदेश देने के लिए याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों के फीस वसूली के मामले में अंतरिम आदेश देने के लिए याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में अभिभावक संगठन की ओर से पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर भी अपना फैसला बाद में देना तय किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन व अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता स्कूल फीस कानून के तहत लेते हैं. राज्य सरकार ने कोरोना के चलते गत अप्रैल माह में आदेश जारी कर निजी स्कूलों को अपनी फीस स्थगित करने को कहा था. वहीं, जुलाई माह में फिर से आदेश जारी कर स्कूल खुलने तक फीस स्थगित करने और फीस के अभाव में विद्यार्थी का नाम नहीं काटने को कहा.
याचिका में कहा गया कि अब प्रदेश से लॉकडाउन समाप्त हो चुका है. इसके अलावा स्कूल की आय का एकमात्र जरिया स्कूल फीस ही होती है. फीस से ही टीचर और स्टाफ आदि के वेतन के साथ ही स्कूल के लिए लोन आदि की किस्त दी जाती है.

वहीं, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भी अलग से खर्चा करना पड़ रहा है. ऐसे में राज्य सरकार के फीस स्थगित करने के आदेश को रद्द किया जाए और याचिका के लंबित रहने के दौरान कम से कम ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी जाए. संयुक्त अभिभावक समिति की ओर से मामले में पक्षकार बनने की गुहार की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अंतरिम आदेश देने के लिए याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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