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राजस्थान हाईकोर्ट ने SMS अस्पताल में तैनात संविदाकर्मी को हटाने पर रोक लगाई

राजस्थान हाईकोर्ट ने एसएमएस अस्पताल में प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए तैनात संविदाकर्मी को हटाने पर रोक लगाते हुए प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज अधाीक्षक सहित आरएमआरसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश परमेश्वर की याचिका पर दिए.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने SMS अस्पताल में तैनात संविदाकर्मी को हटाने पर रोक लगाई
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Published : Mar 19, 2021, 9:58 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एसएमएस अस्पताल में प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए तैनात संविदाकर्मी को हटाने पर रोक लगाते हुए प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज अधाीक्षक सहित आरएमआरसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश परमेश्वर की याचिका पर दिए.

पढ़ें: Viral Video: चूरू में कांस्टेबल को लोगों ने धुना, रात में नशे की हालत में गलत नियत से घर में घुसने का है आरोप

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए पिछले पांच साल से एसएमएस अस्पताल में संविदा पर काम कर रही है. विभाग की ओर से प्लेसमेंट एजेन्सी को प्रति संविदाकर्मी 13 हजार पांच सौ रुपए वेतन दिया जाता है, लेकिन एजेन्सी याचिकाकर्ता को छह हजार पांच सौ रुपए ही दे रही है. याचिकाकर्ता ने जब अपना वेतन बढ़ाने की मांग की तो उसे सेवा से हटाकर दूसरे संविदाकर्मी को नियुक्ति दी जा रही है.

जबकि एक संविदाकर्मी को हटाकर दूसरे संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं की जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता को पद से हटाने पर रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एसएमएस अस्पताल में प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए तैनात संविदाकर्मी को हटाने पर रोक लगाते हुए प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज अधाीक्षक सहित आरएमआरसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश परमेश्वर की याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए पिछले पांच साल से एसएमएस अस्पताल में संविदा पर काम कर रही है. विभाग की ओर से प्लेसमेंट एजेन्सी को प्रति संविदाकर्मी 13 हजार पांच सौ रुपए वेतन दिया जाता है, लेकिन एजेन्सी याचिकाकर्ता को छह हजार पांच सौ रुपए ही दे रही है. याचिकाकर्ता ने जब अपना वेतन बढ़ाने की मांग की तो उसे सेवा से हटाकर दूसरे संविदाकर्मी को नियुक्ति दी जा रही है.

जबकि एक संविदाकर्मी को हटाकर दूसरे संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं की जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता को पद से हटाने पर रोक लगा दी है.

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